स्वास्थ्य

जो लोग स्क्रीन के अधिक संपर्क में रहते हैं उनमें इन गंभीर बीमारियों का बढ़ जाता है जोखिम

मोबाइल-कंप्यूटर और टीवी जैसे स्क्रीन के बढ़ते इस्तेमाल को अध्ययनों में स्वास्थ्य के लिए कई प्रकार से समस्याकारक माना जाता रहा है सुबह उठने से लेकर रात में सोने तक हम कई प्रकार के स्क्रीन वाले उपकरणों से घिरे रहते हैं, पर क्या आपने कभी सोचा कि ये स्वास्थ्य के लिए कितने खतरनाक हो सकते हैं? इससे आंखों से लेकर मस्तिष्क तक की कई प्रकार की समस्याओं का जोखिम अधिक हो सकता है

शोधकर्ताओं ने बताया, जो लोग स्क्रीन के अधिक संपर्क में रहते हैं उनमें मस्तिष्क से संबंधित गंभीर रोंगों का जोखिम भी हो सकता है विशेषतौर पर बच्चों के स्क्रीन टाइम को लेकर अध्ययनकर्ताओं ने चेतावनी जारी की है

स्क्रीन पर अधिक समय बितने को अब तक आंखों की बीमारियों, नींद न आने की परेशानी या फिर अवसाद के जोखिमों से संबंधित माना जाता रहा था पर एक हालिया अध्ययन में वैज्ञानिकों ने कहा कि इसका मस्तिष्क पर भी गंभीर प्रकार से असर हो सकता है इतना गंभीर कि इससे सामाजिक कौशल में कमी से लेकर न्यूरोलॉजिकल विकारों के विकसित होने तक का खतरा हो सकता है

डिजिटल स्क्रीन के हो सकते हैं कई दुष्प्रभाव

अध्ययनकर्ता बताते हैं, आठ साल और उससे कम उम्र के लगभग आधे बच्चों के पास मोबाइल-टैबलेट्स की सहज उपलब्धता है बच्चों का रोजाना औसतन 2.25 घंटे डिजिटल स्क्रीन पर बिताता है स्क्रीन टाइम बच्चों के दिमाग पर क्या असर डाल रहा है? इसको समझने के लिए किए गए एक हालिया शोध में शोधकर्ताओं ने कहा ये बच्चों को मस्तिष्क के विकास को तो प्रभावित करता ही है साथ ही उनमें सामाजिक कौशल में विकास की समस्या, न्यूरोलॉजिकल विकारों को भी बढ़ाने वाला हो सकता है

अध्ययन में क्या पता चला?

साल 2018 में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (एनआईएच) द्वारा किए गए शोध में पाया गया कि जिन बच्चों का स्क्रीन-टाइम रोजाना दो घंटे से अधिक था उनमें भाषा-सोचने की क्षमता कम पाई गई शोधकर्ताओं ने कहा कि स्क्रीन पर अधिक समय बिताने से मस्तिष्क का कॉर्टेक्स पतला होने लगता है, ये हिस्सा सोचने, याददाश्त को बनाए रखने और तर्क की क्षमता विकसित करने के लिए महत्वपूर्ण हो जाता है

न्यूयॉर्क के हॉस्पिटल में बाल बीमारी जानकार डाक्टर जेनिफर एफ क्रॉस कहती हैं, इस बात के सबूत हैं कि छोटे बच्चों में स्क्रीन टाइम अधिक होने से मस्तिष्क में कुछ संरचनात्मक बदलाव हो सकते हैं, जिसका क्वालिटी ऑफ लाइफ पर भी नकारात्मक असर देखने को मिल सकता है

मस्तिष्क की कार्यक्षमता पर भी असर

हार्वर्ड मेडिकल विद्यालय के शोधकर्ताओं ने बताया, स्क्रीन टाइम का बढ़ना कई  प्रकार से मस्तिष्क की कार्यक्षमता को प्रभावित करने वाला हो सकता है इसका एक दुष्प्रभाव नींद की कमी से भी संबंधित है SmartPhone या डिजिटल उपकरणों से निकलने वाली नीली रोशनी, नींद के लिए जरूरी हार्मोन मेलाटोनिन के स्राव को प्रभावित कर देती है, जिससे  आपमें अनिद्रा और नींद के अन्य विकारों का खतरा बढ़ जाता है

नींद की कमी को पहले के अध्ययनों में मस्तिष्क की कार्यक्षमता में कमी से संबंधित कहा गया था यानी कि यदि आप लंबे समय तक प्रतिदिन स्क्रीन के संपर्क में रहते हैं तो ये नींद विकारों का कारण बन सकती है जिसके परिणामस्वरूप मस्तिष्क से संबंधित कई प्रकार की समस्याओं का खतरा हो सकता है

क्या कहते हैं स्वास्थ्य विशेषज्ञ?

स्वास्थ्य जानकार कहते हैं, मोबाइल-कंप्यूटर का बढ़ता इस्तेमाल सभी उम्र के लोगों के लिए नुकसानदायक है बच्चों-वयस्कों सभी में इसके कई प्रकार के दुष्प्रभाव हो सकते हैं इसके जोखिम केवल मस्तिष्क की समस्याओं तक ही सीमित नहीं हैं, शरीर पर इसके कई अन्य प्रकार के खतरे हो सकते हैं मानसिक और शारीरिक दोनों प्रकार की स्वास्थ्य पर इसके साइड-इफेक्ट्स हो सकते हैं

 

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