जानिए आयुर्वेद के हिसाब से क्यों नहीं खाने चाहिए मोमोज
पिछले 10 सालों में मोमोज स्ट्रीट फूड चेन में शीर्ष पर पहुंच गया है। यह नॉर्मल मैदे से बना होता है, जिसमें सब्जियों या चिकन की स्टफिंग भरी जाती है। मोमोज हर गली-मोहल्ले में सरलता से मिल जाता है। मोमोज हर किसी को पसंद होते हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि ये हमारी स्वास्थ्य को कितना हानि पहुंचाते हैं?
वेज या नॉन-वेज स्टफिंग से भरे मोमोज गर्म चटनी और सॉस के साथ परोसे जाते हैं, जो अनहेल्दी होती हैं और शरीर को लंबे समय तक काफी हानि पहुंचा सकती हैं। ऋतुचर्या एक प्राचीन आयुर्वेदिक अभ्यास है जिसमें लाइफस्टाइल और डाइट रूटीन शामिल है, जो मौसमी परिवर्तनों के शारीरिक और मानसिक प्रभावों से निपटने के लिए आयुर्वेद के दिशानिर्देशों का पालन करती है।
अनहेल्दी फूड कॉम्बिनेशन
आयुर्वेद के मुताबिक मोमोज को आमतौर पर मसालेदार और तीखी चटनी के साथ परोसा जाता है, जो खराब फूड कॉम्बिनेशन बना सकता है। भिन्न-भिन्न स्वाद, गुण और पाचन समय वाले फूड को मिलाने से पाचन प्रक्रिया बाधित हो सकती है और अमा (शरीर की गंदगी) बन सकता है।
कफ गुनाह का बढ़ना
बरसात के मौसम में प्रमुख गुनाह कफ होता है, जो ठंडा, गीला, भारी और धीमा जैसे गुणों से जुड़ा होता है। अक्सर ऑयली, फैटी और ठंडे मोमोज का सेवन करने से कफ गुनाह बढ़ सकता है। इससे सुस्ती, भारीपन और बलगम का उत्पादन बढ़ सकता है।
फूड पॉइजनिंग
बरसात के मौसम के दौरान नमी बैक्टीरिया और सूक्ष्मजीवों के विकास के लिए अनुकूल परिस्थितियां बनाती हैं। मोमोज जैसे स्ट्रीट फूड (जो अक्सर खुले इलाकों में बनाए और बेचे जाते हैं) प्रदूषण का अधिक खतरा पैदा कर सकते हैं, जिससे फूड पॉइजनिंग हो सकती हैं।
पाचन अग्नि पर प्रभाव
वर्षा ऋतु पाचन अग्नि को कमजोर करती है। ऐसे में मोमोज को पचाना चुनौतीपूर्ण होता है और इसका सेवन पहले से ही समझौता कर चुकी अग्नि पर बोझ डाल सकता है, जिससे अपच, सूजन और परेशानी हो सकती है।