स्वास्थ्य

डेंगू बुखार जैसा ही हो सकता है जीका वायरस : विशेषज्ञ

नई दिल्ली. महाराष्ट्र के पुणे में हाल ही में जीका वायरस से पांच लोगों की मृत्यु के मुद्दे में स्वास्थ्य जानकारों ने बोला कि इसके कोई लक्षण नहीं है, यह डेंगू बुखार जैसा ही हो सकता है. जीका वायरस बीमारी मच्छर जनित एक बीमारी है, जो एडीज मच्छरों द्वारा फैलता है. यह मच्छर डेंगू, चिकनगुनिया और पीला बुखार भी फैलाता है.

यह आमतौर पर दिन में काटता है. इसे आमतौर पर वयस्कों में कम गंभीरता वाली रोग माना जाता है. इसके उपचार के लिए किसी विशेष इलाज की जरूरत नहीं होती.

इसके सामान्य लक्षणों में हल्का बुखार, चकत्ते, सिरदर्द, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द तथा पलक के नीचे सूजन शामिल है. ये लक्षण आमतौर पर 2-7 दिनों तक रहते हैं.

पुणे के मणिपाल हॉस्पिटल में कंसल्टेंट इंटरनल मेडिसिन डाक्टर सुरुचि मांडरेकर ने आईएएनएस को कहा कि लगभग 80 फीसदी मामलों में लक्षण नहीं दिखाई देते.

डॉक्टर ने कहा, दूसरी ओर इसमें डेंगू बुखार जैसे लक्षण दिखाई देते है. इसमें बुखार, लाल आंखें, जोड़ों में दर्द, सिरदर्द और एलर्जी शामिल हो सकती हैं.

पुणे के डीपीयू सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में इमरजेंसी विभाग के सलाहकार और प्रभारी डाक्टर दिग्विजय अडके ने बोला कि डेंगू की तरह ही जीका वायरस के मामलों में वृद्धि के लिए मुख्य रूप से कई कारक उत्तरदायी हैं. इनमें मौसम में अचानक बदलाव, नालियों का जाम होना, आसपास पानी जमा होना आदि शामिल हैं.

इस बीच डाक्टर सुरुचि ने कहा कि जीका वायरस का संक्रमण गर्भावस्था के दौरान चिंता का विषय है. क्योंकि यह कुछ शिशुओं में माइक्रोसेफेली और अन्य मस्तिष्क विकृतियों का कारण बन सकता है.

वयस्कों में इसे गिलियन-बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) से जोड़ा गया है और यह मानव श्वान कोशिकाओं को प्रभावित करने के लिए जाना जाता है.

डॉ. सुरुचि ने बोला कि इसमें मच्छरों की रोकथाम करना बहुत महत्वपूर्ण है. हालांकि अभी तक इसका कोई टीका नहीं है, लेकिन डॉक्टरों ने मच्छरों से बचने के लिए मच्छरों को दूर रखने, शरीर के अधिकतर हिस्से को कपड़ों से ढकने, मच्छरदानी लगाने और जहां मच्छर पनपते हैं, वहां पानी जमा होने से बचने जैसे तरीकों की राय दी है.

डॉ. दिग्विजय ने आईएएनएस से बोला कि हाथों को नियमित रूप से धोने के साथ अच्‍छा भोजन लें. अपने दैनिक आहार में पोषक तत्वों से भरपूर फल और सब्जियों को शामिल करने से आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होती है. इससे वेक्टर जनित रोंगों से लड़ने में सहायता मिलेगी.

 

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