कोरोना वायरस को लेकर शोधकर्ताओं की टीम ने किया ये बड़ा खुलासा
कोरोनावायरस चार वर्ष से अधिक समय से अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य के लिए बड़ा जोखिम बना हुआ है। संक्रमण के दौरान कई लोगों में गंभीर रोगों का खतरा देखा गया, इतना ही नहीं संक्रमण से ठीक हो चुके लोगों में पोस्ट कोविड के जोखिमों को लेकर स्वास्थ्य जानकार चिंता जताते रहे हैं। मसलन कोविड-19 का यदि एक बार संक्रमण हो जाए तो इससे स्वास्थ्य को कई प्रकार के हानि होने का जोखिम हो सकता है। इसी से संबंधित एक हालिया अध्ययन में शोधकर्ताओं की टीम ने बड़ा खुलासा किया है।

कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने अध्ययन के दौरान पाया है कि किसी आदमी के पहली बार कोविड-19 से संक्रमित होने के बाद वायरस के अवशेष एक साल से अधिक समय तक रक्त और ऊतकों में रह सकते हैं। लॉन्ग कोविड के जोखिमों को लेकर अध्ययन कर रही वैज्ञानिकों की टीम ने कहा कि संक्रमण के बाद 14 महीने तक रक्त में और दो वर्ष से अधिक समय तक ऊतकों के सैंपल में कोरोनावायरस के एंटीजन पाए गए।
शोधकर्ताओं ने कहा, संभवत: ये एक कारण हो सकता है कि बार-बार लोग कोविड-19 से संक्रमित पाए जा रहे हैं। कोविड-19 के जोखिमों को लेकर सभी लोगों को सावधानी बरतते रहने की जरूरत है।
शरीर में बना रह सकता है कोरोनावायरस
यूसीएसएफ विद्यालय ऑफ मेडिसिन में संक्रामक रोगों के शोधकर्ता माइकल पेलुसो कहते हैं, ये शोध अब तक का सबसे मजबूत सबूत प्रदान करता है कि Covid-19 एंटीजन कुछ लोगों में लंबे समय तक बने रह सकते हैं, भले ही हमें लगता है कि उनके पास सामान्य प्रतिरक्षा प्रतिक्रियाएं हैं।
वैज्ञानिक यह समझने के लिए अध्ययन कर रहे थे कि लॉन्ग कोविड के क्या कारण हो सकते हैं, जिसमें रोग के लक्षण संक्रमण से ठीक होने के बाद भी महीनों या सालों तक बने रहते हैं। लॉन्ग कोविड के कारण सबसे आम लक्षणों में अत्यधिक थकान, सांस लेने में तकलीफ, गंध की कमी और मांसपेशियों में दर्द की परेशानी देखी जाती रही है। पर कुछ लोगों में ये हृदय, फेफड़े और मस्तिष्क से संबंधित समस्याओं को बढ़ाने वाली भी हो सकती है।
अध्ययन में क्या पता चला?
यूसीएसएफ की अध्ययन टीम ने इस शोध के लिए 171 संक्रमित लोगों के ब्लड सैंपल की जांच की। इसमें पाया गया कि कुछ लोगों में संक्रमण के 14 महीने बाद तक Covid-19 के “स्पाइक” प्रोटीन उपस्थित थे। एंटीजन उन लोगों में अधिक पाए गए जिनको संक्रमण के कारण हॉस्पिटल में भर्ती रहना पड़ा था या फिर जिन लोगों में कोविड-19 के लक्षण काफी गंभीर थे।
इतना ही नहीं शरीर के ऊतकों में, संक्रमित होने के दो वर्ष बाद तक भी वायरस के आरएनए के अंश मिले हैं।
कैसे हटाए जा सकते हैं शरीर से वायरस?
शोधकर्ताओं के अनुसार, कोविड-19 के वायरल फ्रेग्मेंट्स कनेक्टिव टिश्यू में पाए गए जहां प्रतिरक्षा कोशिकाएं होती हैं। इससे ये भी पता चलता है कि इन फ्रेग्मेंट्स ने प्रतिरक्षा प्रणाली पर धावा किया। इस अध्ययन के बाद यूसीएसएफ टीम यह पता लगाने के लिए क्लिनिकल परीक्षण कर रही है कि क्या मोनोक्लोनल एंटीबॉडी या एंटीवायरल दवाएं शरीर में बने रहने वाले वायरस को हटा सकती हैं?
लॉन्ग कोविड बना हुआ है बड़ा खतरा
गौरतलब है कि कोरोनावायरस को कई प्रकार से शरीर को क्षति पहुंचाते हुए देखा जा रहा है। हाल ही में लॉन्ग कोविड को लेकर किए गए एक अध्ययन में संक्रमण से ठीक हो चुक लोगों में मस्तिष्क से संबंधित गंभीर समस्याओं को लेकर अलर्ट किया गया है। जानकारों की टीम ने बताया, जो लोग Covid-19 से ठीक हो गए, उनमें एक वर्ष बाद तक आईक्यू लेवल में कम से कम 3-पॉइंट तक की कमी देखी गई है। द न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित इस अध्ययन में कहा गया है कि कोविड-19 संक्रमण के हल्के और गंभीर दोनों प्रकार के मुद्दे वाले लोगों में संज्ञानात्मक गिरावट देखी जा रही है।
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