Red Sea Film Festival Rekha: ने बिखेरा उमराव जान का जादू, दर्शकों से की खास अपील
Red Sea Film Festival Rekha: सऊदी अरब के जेद्दा शहर में चल रहे रेड सी इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में उस रात कुछ ऐसा हुआ जो सालों तक याद रहेगा। जब मंच पर बॉलीवुड की सदाबहार अभिनेत्री रेखा पहुंचीं तो पूरा हॉल एक पल में शांत हो गया और फिर तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। सफेद-सुनहरी साड़ी में लिपटी रेखा बिल्कुल वैसी ही लग रही थीं जैसे 1981 में उमराव जान बनकर परदे पर उतरी थीं। उनकी मुस्कान, उनके अंदाज और उनकी आवाज ने साबित कर दिया कि समय उनके सामने भी बेबस है।

उमराव जान वाला क्लासिक लुक फिर जीवंत हुआ
रेखा ने इस मौके पर पारंपरिक कानजीवरम साड़ी चुनी थी जिसके साथ भारी ज्वेलरी और गजरा लगा हुआ था। उनके बालों में जूड़ा और माथे पर बिंदी ने उन्हें पूरी तरह पुराने लखनऊ की तवायफ जैसा लुक दे दिया। जैसे ही वो मंच पर आईं, दर्शकों ने खड़े होकर तालियां बजाईं। उनकी खूबसूरती देखकर विदेशी मेहमान भी हैरान रह गए। सोशल मीडिया पर तुरंत उनकी तस्वीरें वायरल होने लगीं और लोग लिखने लगे कि रेखा सचमुच अमर हैं।
मंच पर सुनाई दिल चीज क्या है की पंक्तियां
खास बात ये रही कि रेखा सिर्फ आईं और चली गईं नहीं, बल्कि उन्होंने मंच पर अपनी मशहूर फिल्म उमराव जान का वो गाना सुनाया जिसे सुनकर आज भी लाखों लोग झूम उठते हैं। “दिल चीज क्या है आप मेरी जान लीजिए…” जैसे ही उन्होंने ये पंक्तियां गाईं पूरा हॉल तालियों से गूंज उठा। उनकी आवाज में अभी भी वही जादू था जो कभी खय्याम साहब के संगीत के साथ रिकॉर्ड हुआ था। इसके बाद उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा, “हर रोज फिल्में देखिए, ये सबसे बड़ा सुकून है। मैं तो फिल्मों की वजह से ही जिंदा हूं।”
मां पुष्पावल्ली की सीख आज भी साथ है
इस मौके पर रेखा ने अपनी मां, दक्षिण भारतीय सिनेमा की मशहूर अभिनेत्री पुष्पावल्ली को भी याद किया। उन्होंने बताया कि मां हमेशा कहती थीं, “अपनी कामयाबी के बारे में ज्यादा मत बोलो। अपनी जिंदगी ऐसे जियो कि लोग खुद देखकर सीख जाएं।” रेखा ने कहा कि वो आज भी मां की इसी सीख पर चलती हैं। शायद यही वजह है कि इतनी कामयाबी के बावजूद वो कभी अपने बारे में ज्यादा नहीं बोलतीं और रहस्यमयी बनी रहती हैं।
उमराव जान फिल्म आज भी क्यों है खास
मुजफ्फर अली के निर्देशन में बनी उमराव जान आज भी हिंदी सिनेमा की सबसे खूबसूरत फिल्मों में गिनी जाती है। मिर्जा हादी रुस्वा के मशहूर उर्दू उपन्यास पर आधारित इस फिल्म में रेखा ने आमना उर्फ उमराव जान का किरदार निभाया था। लखनऊ की एक लड़की जो अपहरण के बाद कोठे पर पहुंच जाती है और फिर शायरी और अदब की दुनिया में अपना नाम बनाती है। फिल्म में रेखा का हर अंदाज, हर डायलॉग और हर ठुमका आज भी लोगों के जेहन में जिंदा है।
इस फिल्म ने रेखा को बेस्ट एक्ट्रेस का राष्ट्रीय पुरस्कार दिलाया था और आज भी जब क्लासिक बॉलीवुड फिल्मों की बात होती है तो उमराव जान का नाम सबसे ऊपर आता है। फिल्म का संगीत खय्याम साहब ने दिया था और गाने आशा भोसले की आवाज में आज भी उतने ही ताजा लगते हैं। “इन आंखों की मस्ती”, “जब भी मिलती है”, “ये क्या जगह है दोस्तों” जैसे गाने आज भी रेडियो और प्लेलिस्ट में बजते रहते हैं।
रेड सी फेस्टिवल में भारतीय सिनेमा का मान बढ़ा
रेड सी फिल्म फेस्टिवल में रेखा के आने से भारतीय सिनेमा का मान और बढ़ गया। बॉलीवुड के साथ-साथ दक्षिण भारतीय, बंगाली और मराठी सिनेमा के कई कलाकार वहां मौजूद थे। रेखा की मौजूदगी ने साबित कर दिया कि हिंदी सिनेमा की चमक आज भी दुनिया भर में बरकरार है। उनके इस लुक और अंदाज ने एक बार फिर याद दिलाया कि बॉलीवुड की असली शान उसकी अभिनेत्रियां हैं जो उम्र के हर पड़ाव पर नई मिसाल कायम करती हैं।
रेखा ने जब मंच छोड़ा तो दर्शकों ने खड़े होकर तालियां बजाईं। उनके जाने के बाद भी लोग वहीं बैठे रहे जैसे कोई जादू अभी तक चल रहा हो। सच कहा जाए तो रेखा सिर्फ एक अभिनेत्री नहीं, हिंदी सिनेमा का एक जीता-जागता इतिहास हैं जो हर बार खुद को नए सिरे से लिखती हैं।
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