Paparazzi Culture: पापाराजी पर जया बच्चन की नाराज़गी के बीच हुमा कुरैशी ने खोली बॉलीवुड की परतें, बताया कैसे स्टार्स खुद बनाते हैं सुर्खियों का रास्ता…
Paparazzi Culture: पापाराजी कल्चर को लेकर बॉलीवुड में चल रही बहस ने एक बार फिर जोर पकड़ लिया है, जब सीनियर एक्ट्रेस जया बच्चन की तीखी नाराज़गी के बाद अब हुमा कुरैशी ने इस मुद्दे पर संतुलित और बेबाक राय रखी है। फिल्मी गलियारों में चर्चा है कि क्या पापाराजी पूरी तरह दोषी हैं या फिर इस रिश्ते की जिम्मेदारी (Responsibility) दोनों पक्षों की है। हुमा का ताज़ा बयान इसी सवाल का जवाब देता नजर आता है और इंडस्ट्री की एक अनकही सच्चाई को सामने लाता है।

जया बच्चन के बयान से शुरू हुई बहस
कुछ समय पहले जया बच्चन ने सार्वजनिक मंच से पापाराजी कल्चर पर सवाल उठाते हुए नाराज़गी जताई थी। उन्होंने फोटोग्राफर्स के तरीकों की निंदा करते हुए यहां तक कहा कि उन्हें इस रिश्ते को खत्म कर देना चाहिए। जया के इस बयान ने बॉलीवुड में विवाद (Controversy) को जन्म दिया और सोशल मीडिया से लेकर न्यूज रूम तक चर्चाओं का दौर शुरू हो गया। कई लोगों ने इसे सेलेब्स की निजता की लड़ाई बताया, तो कुछ ने इसे शोहरत की कीमत करार दिया।
हुमा कुरैशी की एंट्री और बदला हुआ नजरिया
इसी बहस के बीच हुमा कुरैशी का बयान सामने आया, जिसने चर्चा को एक नया मोड़ दे दिया। इंडिया टुडे को दिए इंटरव्यू में हुमा ने माना कि पापाराजी और एक्टर्स के बीच रिश्ता एकतरफा नहीं है। उन्होंने कहा कि फोटोग्राफर्स का भी अपना महत्व है और उन्हें पूरी तरह नकारना सही नहीं होगा। हुमा की यह बात इंडस्ट्री में संतुलन (Balance) की सोच को दर्शाती है, जहां हर पक्ष की भूमिका अहम मानी गई।
“हम उनका इस्तेमाल तब करते हैं जब…”
हुमा कुरैशी ने साफ शब्दों में स्वीकार किया कि एक्टर्स कई बार पापाराजी का इस्तेमाल अपने फायदे के लिए करते हैं। उन्होंने कहा, “मैं झूठ नहीं बोलूंगी, हम उनका इस्तेमाल तब करते हैं जब हमें अपनी फिल्मों का प्रमोशन करना होता है या अपनी जिंदगी के किसी खास पहलू को सामने लाना होता है।” यह बयान बॉलीवुड के उस सच (Truth) को उजागर करता है, जिस पर आमतौर पर खुलकर बात नहीं होती। प्रीमियर और इवेंट्स में फोटोग्राफर्स को बुलाना इसी रणनीति का हिस्सा है।
पूरा दोष पापाराजी पर डालना गलत?
हुमा ने जया बच्चन की बात से पूरी तरह सहमति जताने से बचते हुए कहा कि सारा दोष पापाराजी पर डालना भी सही नहीं है। उनके मुताबिक, सेलेब्रिटीज खुद भी कई बार सुर्खियों में आने के लिए उन्हें बुलाते हैं। “जब हम कहीं दिखना चाहते हैं, तो हम उन्हें बुलाते हैं,” हुमा ने कहा। यह बयान इंडस्ट्री की ईमानदारी (Honesty) को दर्शाता है, जहां खुद की भूमिका स्वीकार करना भी उतना ही जरूरी है।
फीमेल एक्ट्रेस की परेशानी और निजी सीमाएं
हालांकि हुमा ने यह भी माना कि खासतौर पर फीमेल एक्ट्रेस को पापाराजी की वजह से कई बार असहज हालात का सामना करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि कुछ फोटोग्राफर्स कम्फर्ट जोन से बाहर जाकर शूट करते हैं या निजी सवाल पूछते हैं। यहां निजता का मुद्दा सबसे अहम हो जाता है। यह स्थिति महिला कलाकारों पर गहरा असर (Impact) डालती है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
“एक हद होती है जिसे पार नहीं करना चाहिए”
हुमा कुरैशी ने जोर देकर कहा कि पापाराजी के लिए भी एक सीमा होनी चाहिए। “अगर आप मेरी निजता में दखल देना चाहते हैं, तो ऐसे सवाल पूछेंगे जो मुझे ठीक नहीं लगेंगे। एक हद होती है, लेकिन हम उसे पार कर जाते हैं,” उन्होंने कहा। यह बयान केवल एक्ट्रेस की भावना नहीं, बल्कि हर पब्लिक फिगर की सम्मान (Respect) की मांग को दर्शाता है।
बॉलीवुड का दोतरफा रिश्ता
हुमा के बयान से साफ है कि पापाराजी और सेलेब्रिटीज का रिश्ता दोतरफा है। जहां एक ओर स्टार्स को प्रमोशन और पब्लिसिटी मिलती है, वहीं दूसरी ओर फोटोग्राफर्स को कंटेंट। इस रिश्ते में पारदर्शिता और समझदारी की जरूरत है। तभी यह सहयोग सफलता (Success) की कहानी बन सकता है, न कि टकराव की वजह।
आगे क्या बदलेगा?
जया बच्चन की नाराज़गी और हुमा कुरैशी की संतुलित राय के बाद सवाल उठता है कि क्या इंडस्ट्री में पापाराजी कल्चर को लेकर कोई नई सोच विकसित होगी। अगर दोनों पक्ष अपनी सीमाएं समझें, तो यह रिश्ता ज्यादा स्वस्थ हो सकता है। फिलहाल, हुमा का बयान इस बहस में एक नई दिशा (Direction) जरूर जोड़ता है।



