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Lionel Messi Kolkata Visit Controversy: मेसी के अपमान और युवभारती कांड के बाद खेल मंत्री का इस्तीफा, क्या वाकई है’ ये राजधर्म’…

Lionel Messi Kolkata Visit Controversy: कोलकाता के सॉल्ट लेक स्टेडियम में 13 दिसंबर की शाम जो हुआ, उसने न केवल फुटबॉल प्रेमियों का दिल तोड़ा बल्कि बंगाल की साख पर भी गहरा दाग लगा दिया। लियोनेल मेसी की एक झलक पाने के लिए प्रशंसकों ने अपनी जेबें खाली कर दी थीं, लेकिन (stadium management failure) की वजह से वह ऐतिहासिक पल एक कड़वे अनुभव में तब्दील हो गया। अव्यवस्था इतनी चरम पर थी कि सुरक्षा घेरा ताश के पत्तों की तरह ढह गया और महान फुटबॉलर को मजबूरी में मैदान छोड़कर जाना पड़ा।

Lionel Messi Kolkata Visit Controversy
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सियासी गलियारों में इस्तीफे की गूंज और अनसुलझे सवाल

इस पूरे घटनाक्रम के बाद पश्चिम बंगाल के खेल व युवा कल्याण मंत्री अरूप विश्वास ने अपने पद से हटने की पेशकश कर सनसनी फैला दी है। उन्होंने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को लिखे पत्र में स्पष्ट किया है कि वह (Lionel Messi Kolkata Visit Controversy) सुनिश्चित करने के लिए खुद को जिम्मेदारी से मुक्त करना चाहते हैं। हालांकि, इस इस्तीफे के समय और तरीके को लेकर विपक्षी खेमे में कई तरह की चर्चाएं तेज हो गई हैं, क्योंकि पत्र पर मंत्री के हस्ताक्षर न होने की बात भी सामने आ रही है।

कुणाल घोष का सोशल मीडिया पोस्ट और बदलती सुर्खियां

तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता कुणाल घोष ने मंगलवार को इस इस्तीफे की कॉपी सार्वजनिक की, जिसने विवाद की आग में घी डालने का काम किया। पत्र पर 15 दिसंबर 2025 की तारीख दर्ज है, लेकिन (political communication strategy) के तहत पहले यह दावा किया गया कि इस्तीफा मंजूर हो गया है और बाद में उस बयान को संशोधित कर दिया गया। इस फेरबदल ने जनता के बीच इस बात को लेकर असमंजस पैदा कर दिया है कि क्या यह वाकई एक नैतिक इस्तीफा है या सिर्फ डैमेज कंट्रोल की कोशिश।

नवान्न में वरिष्ठ अधिकारियों की आपातकालीन पेशी

जैसे ही इस्तीफे की बात हवा में फैली, खेल विभाग के आला अधिकारियों को आनन-फानन में राज्य सचिवालय ‘नवान्न’ तलब किया गया। शनिवार के हंगामे के बाद से ही (public outrage against ministers) का सामना कर रहे अरूप विश्वास ने चुप्पी साध रखी थी। लेकिन जब विवाद थमता नजर नहीं आया, तो प्रशासन ने कड़े कदम उठाने के संकेत देते हुए जांच की सुगबुगाहट तेज कर दी, ताकि जनता के गुस्से को शांत किया जा सके।

चुनाव आयोग की सूची और टाइमिंग का खेल

दिलचस्प बात यह है कि मंगलवार को मतदाता सूची के प्रकाशन के साथ यह माना जा रहा था कि मेसी विवाद का मुद्दा दब जाएगा। मगर (political timing analysis) के लिहाज से देखें तो अरूप विश्वास ने सूची जारी होने से ठीक पहले अपने पद त्याग की मंशा जाहिर कर दी। इससे साफ जाहिर होता है कि सरकार इस मामले को लटकाने के मूड में नहीं है और वह चाहती है कि जांच का चेहरा पूरी तरह निष्पक्ष दिखाई दे।

कुणाल घोष का बचाव और ‘राजधर्म’ की दलील

कुणाल घोष ने इस पूरे मामले पर सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कड़ी कार्रवाई कर ‘राजधर्म’ का पालन किया है। उन्होंने (administrative accountability standards) की तुलना पिछले वामपंथी शासन से करते हुए कहा कि मौजूदा सरकार पुराने दौर की तरह आंखें मूंद कर नहीं बैठी है। उन्होंने आरोप लगाया कि अतीत में हुए ईडन गार्डन्स के हादसों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई थी, जबकि आज दोषी अधिकारियों पर गाज गिर रही है।

डीसीपी और खेल सचिव पर गिरी गाज

लापरवाही की कीमत अब अधिकारियों को चुकानी पड़ रही है, जहाँ विधाननगर के डीसीपी अनीश सरकार को सस्पेंड कर दिया गया है। उनके खिलाफ (departmental inquiry procedure) शुरू हो चुकी है, साथ ही खेल सचिव राजेश कुमार सिन्हा को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। स्टेडियम के सीईओ डीके नंदन की सेवाओं को भी तत्काल प्रभाव से वापस ले लिया गया है, जो यह दर्शाता है कि ऊपर से नीचे तक जवाबदेही तय की जा रही है।

चार सदस्यीय एसआईटी करेगी बड़ी चूक की पड़ताल

मुख्य सचिव ने घोषणा की है कि इस शर्मनाक घटना की तह तक जाने के लिए चार वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों की एक विशेष जांच टीम गठित की गई है। यह टीम (SIT investigation probe) के जरिए उन कारणों का पता लगाएगी कि आखिर कैसे एक अंतरराष्ट्रीय स्टार की सुरक्षा में इतनी बड़ी सेंध लगी। क्या यह केवल प्रशासनिक चूक थी या इसके पीछे आयोजकों की कोई बड़ी लापरवाही छिपी हुई थी, इसकी बारीकी से जांच होगी।

13 दिसंबर की वो काली शाम और टूटते सपने

मेसी के आगमन वाले दिन सॉल्ट लेक स्टेडियम में जो मंजर था, उसने फुटबॉल के प्रति बंगाल के प्रेम को शर्मसार कर दिया। भारी टिकट दर चुकाने के बाद भी जब (crowd control issues) की वजह से लोग मेसी को नहीं देख पाए, तो उनका सब्र टूट गया। स्टेडियम में वीआईपी और राजनीतिक चेहरों की अनियंत्रित भीड़ ने सुरक्षाकर्मियों के हाथ-पांव फुला दिए थे, जिसके कारण अंततः मेसी को सुरक्षा कारणों से वहां से हटाना पड़ा।

वीआईपी कल्चर और प्रशंसकों के हकों की बलि

जैसे ही मेसी मैदान पर दिखे, लगभग 100 से ज्यादा रसूखदार लोग और नेता सुरक्षा घेरा तोड़कर उनकी तरफ दौड़ पड़े। इस (security protocol breach) ने असल फुटबॉल फैंस को हाशिए पर धकेल दिया, जो केवल स्टैंड्स से अपने नायक को निहारने आए थे। नेताओं और सुरक्षा कर्मियों की इस अफरा-तफरी ने एक शानदार आयोजन को अराजकता के गर्त में धकेल दिया, जिसका खामियाजा अब पूरी सरकार और खेल विभाग को भुगतना पड़ रहा है।

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