Ekkis Movie Release Updates: जब ‘इक्कीस’ के सेट पर श्रीराम राघवन को अगस्त्य नंदा में दिखी युवा अमिताभ की झलक…
Ekkis Movie Release Updates: निर्देशक श्रीराम राघवन की बहुप्रतीक्षित फिल्म ‘इक्कीस’ अब 1 जनवरी को बड़े पर्दे पर दस्तक देने के लिए पूरी तरह तैयार है। अगस्त्य नंदा और जयदीप अहलावत जैसे सितारों से सजी यह फिल्म परमवीर चक्र विजेता अरुण खेत्रपाल के जीवन पर आधारित है। फिल्म की रिलीज (Upcoming Bollywood Biopics) के इंतजार के बीच निर्देशक ने मीडिया से रूबरू होकर कई दिलचस्प खुलासे किए हैं। उन्होंने बताया कि यह फिल्म केवल एक युद्ध गाथा नहीं है, बल्कि एक युवा सैनिक के पुरुषत्व और बलिदान की यात्रा है जिसे बहुत ही संजीदगी के साथ फिल्माया गया है।
धर्मेंद्र को दी गई एक खामोश और गरिमामय श्रद्धांजलि
दिग्गज अभिनेता धर्मेंद्र के प्रति अपने सम्मान को व्यक्त करते हुए श्रीराम राघवन ने भावुक कर देने वाली बात कही। उन्होंने साझा किया कि यह फिल्म अपने आप में ही धरमजी को एक बड़ी श्रद्धांजलि है, क्योंकि उनकी उपस्थिति पूरी कहानी (Legendary Actor Tribute) में रची-बसी है। फिल्म के एक खास हिस्से में उनकी तस्वीर के साथ एक बेहद सरल लेकिन दिल को छू लेने वाली पंक्ति जोड़ी गई है। निर्देशक का मानना है कि महापुरुषों को याद करने के लिए शोर-शराबे की नहीं, बल्कि एक शांत और सम्मानजनक भाव की आवश्यकता होती है।
अगस्त्य नंदा का चुनाव और पहली मुलाकात का किस्सा
फिल्म के मुख्य नायक के रूप में अगस्त्य नंदा को कास्ट करने के पीछे राघवन की एक स्पष्ट सोच थी। उन्हें एक ऐसा अभिनेता चाहिए था जो पर्दे पर वास्तव में अपनी उम्र का लगे और जिसमें अभिनय का पुराना अनुभव हावी न हो। उन्होंने (New Talent Discovery in Cinema) के महत्व पर जोर देते हुए बताया कि वह अगस्त्य से पहली बार दिनेश विजान के दफ्तर में मिले थे। उस वक्त उन्होंने अगस्त्य की कोई तस्वीर या फिल्म भी नहीं देखी थी, लेकिन उनकी सादगी और बातचीत करने के तरीके ने निर्देशक को तुरंत प्रभावित कर लिया और उन्हें अपना ‘अरुण खेत्रपाल’ मिल गया।
70 के दशक के अमिताभ बच्चन की याद दिलाता चेहरा
श्रीराम राघवन ने एक बेहद दिलचस्प तुलना करते हुए कहा कि अगस्त्य के चेहरे में उन्हें 60 और 70 के दशक के युवा अमिताभ बच्चन की झलक नजर आई। जब अगस्त्य हल्की दाढ़ी के साथ उनके सामने आए, तो उन्हें वह (Raw Acting Potential) महसूस हुई जो शुरुआती दिनों में बिग बी के पास थी। राघवन को किसी ट्रेंड कलाकार की तलाश नहीं थी, बल्कि उन्हें एक ऐसा ‘अनगढ़ हीरा’ चाहिए था जो कहानी के साथ-साथ एक परिपक्व आदमी के रूप में विकसित हो सके। यही कच्चापन फिल्म की सबसे बड़ी खूबी बनकर उभरा है।
दो अलग-अलग पीढ़ियों के कलाकारों का अद्भुत संगम
फिल्म की शूटिंग के दौरान सेट पर दो बिल्कुल अलग दुनियाओं का मिलन हो रहा था। एक तरफ अगस्त्य और टैंक क्रू के रूप में 25 साल से कम उम्र के लगभग 10 युवा कलाकार थे, जो अभिनय की दुनिया को समझ रहे थे। दूसरी तरफ जयदीप अहलावत और धर्मेंद्र जैसे सधे हुए कलाकार (Experienced Film Stars) के रूप में मौजूद थे। इन दोनों पीढ़ियों के बीच का संतुलन बनाना निर्देशक के लिए चुनौतीपूर्ण और रचनात्मक रूप से संतोषजनक अनुभव था, जिसने फिल्म की विविधता को और अधिक समृद्ध बना दिया।
टैंक के भीतर अगस्त्य नंदा की कठिन शारीरिक मेहनत
फिल्म की प्रमाणिकता को बनाए रखने के लिए अगस्त्य ने कड़ा परिश्रम किया और कभी भी शॉर्टकट का रास्ता नहीं चुना। श्रीराम राघवन ने बताया कि एक टैंक कमांडर की बारीकियों को समझने के लिए अगस्त्य ने दिन में 40 से 50 बार टैंक के अंदर और बाहर जाने का अभ्यास किया। यह (Physical Training for Actors) काफी असहज और थका देने वाली होती है, लेकिन अगस्त्य ने इसे पूरे उत्साह के साथ किया। एक दृश्य में उन्हें बेहद संकरे रास्ते से बाहर निकलना था, जिसे उन्होंने बिना किसी बॉडी डबल की मदद के खुद ही अंजाम दिया।
सेना के अधिकारियों ने फिल्म की सत्यता पर लगाई मुहर
चूँकि यह एक सच्ची घटना पर आधारित फिल्म है, इसलिए इसकी रिसर्च में कोई कमी नहीं छोड़ी गई। टीम ने पूना हॉर्स में लंबा समय बिताया और अरुण खेत्रपाल के भाई व उनके साथियों से मुलाकात की। पूरी शूटिंग के दौरान (Indian Army Authenticity) सुनिश्चित करने के लिए एक ब्रिगेडियर ने कंसल्टेंट के तौर पर मार्गदर्शन किया। जब सेना के अनुभवी लोगों ने फिल्म देखी और इसे अब तक की सबसे प्रामाणिक फौजी फिल्म बताया, तो पूरी टीम की मेहनत सफल हो गई। यह फिल्म राष्ट्र के उन वीरों के प्रति सम्मान है जिन्होंने देश के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया।