RBI ने जारी की नई अधिसूचना, लोन EMI भरने में देरे होने पर पैनल्टी इंट्रेस्ट नहीं वसूल सकेंगे बैंक
मुंबई : यदि आपने हिंदुस्तान के किसी भी बैंक से लोन लिया है और किसी वजह से उसकी ईएमआई (मासिक किस्त) का समय पर भुगतान नहीं कर पाए, तो ऐसा करने पर बैंक आप पर पैनल्टी लगाने के बाद उस पर ब्याज पर ब्याज जोड़ते चले जाते थे। अब बैंक ईएमआई भरने में देर होने के बाद आप पर पैनल्टी चार्ज तो लगाएंगे, लेकिन वे ब्याज पर ब्याज नहीं वसूल पाएंगे। आरबीआई (आरबीआई) ने शुक्रवार को इसके लिए एक नयी अधिसूचना जारी की है, जिसमें बैंकों को खास निर्देश दिए गए हैं। आरबीआई ने बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों से बोला है कि ब्याज दरें नए सिरे से तय करते समय वे ऋण ले चुके ग्राहकों को ब्याज की निश्चित (फिक्स्ड) रेट चुनने का विकल्प मौजूद कराएं।
बैंक चुपके से बढ़ा देते हैं लोन की ईएमआई
आरबीआई ने शुक्रवार को जारी अधिसूचना में बोला कि ऐसा देखने में आया है कि ब्याज रेट बढ़ने पर ऋण की अवधि या मासिक किस्त (ईएमआई) बढ़ा दी जाती है और ग्राहकों को इसके बारे में ठीक ढंग से सूचित नहीं किया जाता है और न ही उनकी सहमति ली जाती है। इस चिंता को दूर करने के लिए रिजर्व बैंक ने अपने नियमन के दायरे में आने वाली इकाइयों को एक मुनासिब नीतिगत ढांचा बनाने को बोला है।
ईएमआई या लोन पीरियड बढ़ने की ग्राहकों को समय पर दें जानकारी
आरबीआई ने बोला कि ऋण की स्वीकृति के समय बैंकों को अपने ग्राहकों को साफ तौर पर बताना चाहिए कि मानक ब्याज रेट में परिवर्तन की स्थिति में ईएमआई या ऋण की अवधि पर क्या असर पड़ सकता है। ईएमआई या ऋण की अवधि बढ़ने की सूचना मुनासिब माध्यम से तुरन्त ग्राहक को दी जानी चाहिए। इसके अलावा, नीति के अनुसार ग्राहकों को यह भी कहा जाए कि उन्हें ऋण की अवधि के दौरान इस विकल्प को चुनने का अवसर कितनी बार मिलेगा। साथ ही, ऋण लेने वाले ग्राहकों को ईएमआई या लोन की अवधि बढ़ाने या दोनों विकल्प दिए जाएं।
ग्राहकों को आंशिक रूप से ऋण के भुगतान की मिले अनुमति
आरबीआई की अधिसूचना में बोला गया है कि ग्राहकों को समय से पहले पूरे या आंशिक रूप से ऋण के भुगतान की अनुमति दी जाए। यह सुविधा उन्हें ऋण की अवधि के दौरान किसी भी समय मिलनी चाहिए। आरबीआई ने पिछले हफ्ते पेश मौद्रिक नीति समीक्षा में ऋण लेने वाले लोगों को परिवर्तनशील (फ्लोटिंग) ब्याज रेट से निश्चित ब्याज रेट का विकल्प चुनने की अनुमति देने की बात कही थी। रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बोला था कि इसके लिए एक नया ढांचा तैयार किया जा रहा है। इसके अनुसार बैंकों को ऋण लेने वाले ग्राहकों को लोन की अवधि तथा मासिक किस्त (ईएमआई) के बारे में साफ जानकारी देनी होगी।
ईएमआई भरने में देर होने पर पैनल्टी इंट्रेस्ट नहीं ले सकते
आरबीआई ने बोला है कि बैंक या वित्तीय संस्थान ऋण वाले खाते में ईएमआई भरने में देर होने पर दंडात्मक ब्याज (पैनल्टी इंट्रेस्ट) नहीं ले सकते। RBI ने अपने सर्कुलर में बोला है कि ऐसे जुर्मानों पर कोई ब्याज नहीं लिया जाएगा। रिजर्व बैंक ने हिदायत दी है कि बैंक पीनल इंटरेस्ट को ब्याज से कमाई का जरिया न बनाएं। रिजर्व बैंक ने अपनी अधिसूचना में बैंकों के लिए लोन वाले खाते में नॉन कंप्लायंस और पेनल्टी को लेकर नियम तय किए हैं।
क्या कहता है आरबीआई
- अगर किसी लोन एकाउंट पर पेनल्टी चार्ज की गई है, तो ये पीनल चार्ज के रूप में होनी चाहिए। इसे पीनल इंटरेस्ट के रूप में नहीं होना चाहिए, जो लोन के ब्याज में जाकर जुड़ जाता है।
- बैंक और कर्जदाता संस्थाओं को ब्याज पर लगाए गए किसी भी अतिरिक्त कॉम्पोनेंट पेश करने की अनुमति नहीं है।
- रेगुलर एंटिटीज को पीनल चार्ज या लोन पर समान शुल्क (चाहे उसे किसी भी नाम से जाना जाए) इस पर एक बोर्ड की मंजूर नीति तैयार करनी होगी।
- पीनल चार्ज कितना लगाया जा रहा है, वह वाजिब होना चाहिए और लोन एकाउंट के नॉन-कंप्लायंस के अनुरूप होना चाहिए। बैंक किसी विशेष लोन/प्रोडक्ट कैटेगरी में भेदभाव नहीं कर सकते।
- आरबीआई ने बोला है कि पर्सनल लोन के कर्जदारों पर लगाई गई पेनल्टी, नॉन-इंडिविजुअल कर्जदारों पर लगाई गई पेनल्टी से अधिक नहीं हो सकती।
- पीनल चार्ज की मात्रा और उसको लगाने की वजह लोन एग्रीमेंट में बैंकों को ये स्पष्ट रूप से ग्राहकों को बताना होगा। इसके अलावा, ब्याज दरों और सर्विस के अनुसार बैंकों की वेबसाइट पर भी दिखाया जाएगा।
- नॉन-कंप्लायंस के संबंध में ग्राहकों को भेजे गए किसी भी रिमाइंडर में ‘पेनल्टी’ का उल्लेख करना महत्वपूर्ण होगा।
- ये निर्देश 1 जनवरी 2024 से लागू होंगे। बैंक अपने नीति ढांचे में महत्वपूर्ण परिवर्तन कर सकते हैं और कारगर तिथि से लिए गए/रीन्यू किए गए सभी नए लोन के संबंध में निर्देशों को लागू कर सकते हैं।