India Real Estate Market Analysis: सपनों के आशियाने पर पड़ी महंगाई की मार, 2025 में आम आदमी की पहुंच से दूर हो गया अपना घर…
India Real Estate Market Analysis: साल 2025 भारतीय रियल एस्टेट बाजार के लिए उतार-चढ़ाव से भरा रहा है, जहां एक तरफ घरों की कीमतों ने आसमान छुआ है, वहीं दूसरी तरफ खरीदारों की संख्या में भारी कमी आई है। देश के प्रमुख शहरों में (Residential Property Trends) इस साल घरों की बिक्री में करीब 14 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है, जिसने बिल्डर्स और निवेशकों के बीच एक नई चिंता को जन्म दे दिया है। भारत के छह सबसे बड़े महानगरों में कुल बिक्री घटकर 3.96 लाख यूनिट्स तक सिमट गई है, जो पिछले सालों के मुकाबले एक बड़ा झटका माना जा रहा है।
बिक्री घटने के पीछे के मुख्य कारण
इस साल आवास क्षेत्र में आई इस मंदी के पीछे कोई एक वजह नहीं है, बल्कि कई आर्थिक कारकों ने मिलकर मांग पर दबाव बनाया है। एनारॉक की रिपोर्ट के अनुसार, (Housing Market Demand) में आई इस कमी का सबसे बड़ा कारण प्रॉपर्टी की कीमतों का लगातार बढ़ना और आईटी सेक्टर में बड़े पैमाने पर हुई छंटनियां हैं। जब युवाओं की नौकरी पर संकट आया, तो उन्होंने बड़े निवेश से दूरी बना ली, जिसका सीधा असर घर खरीदने के फैसलों पर पड़ा और बाजार में एक सुस्ती छा गई।
कीमतों में उछाल और छह लाख करोड़ का रिकॉर्ड
हैरानी की बात यह है कि बिक्री की संख्या यानी यूनिट्स में कमी आने के बावजूद, भारतीय रियल एस्टेट का कुल कारोबार मूल्य के मामले में बढ़ा है। रिपोर्ट बताती है कि (Real Estate Investment Growth) ने इस साल 6 प्रतिशत की बढ़त हासिल की है, जिससे कुल बिक्री मूल्य 6 लाख करोड़ रुपये के जादुई आंकड़े तक पहुंच गया है। यह दर्शाता है कि भले ही आम आदमी बाजार से थोड़ा दूर हुआ हो, लेकिन लग्जरी सेगमेंट और महंगे घरों की मांग ने रेवेन्यू को स्थिर बनाए रखने में बड़ी भूमिका निभाई है।
आईटी हब्स और महानगरों का निराशाजनक प्रदर्शन
भारत के प्रमुख सात शहरों के आंकड़ों पर नजर डालें तो स्थिति काफी चुनौतीपूर्ण दिखाई देती है, विशेषकर उन शहरों में जो तकनीकी नौकरियों के लिए जाने जाते हैं। पुणे और हैदराबाद जैसे (Urban Housing Crisis) का सामना कर रहे शहरों में बिक्री में क्रमश: 20 और 23 प्रतिशत की भारी गिरावट देखी गई है। मुंबई मेट्रोपॉलिटन रीजन (MMR) में भी 18 प्रतिशत की कमी आई है, जिससे यह साफ होता है कि बढ़ती कीमतों ने मध्यम वर्गीय परिवारों के लिए अपने घर का सपना देखना और भी मुश्किल बना दिया है।
चेन्नई: गिरावट के बीच उम्मीद की एक किरण
जहाँ देश के लगभग सभी बड़े शहर मंदी की मार झेल रहे हैं, वहीं दक्षिण भारत का प्रमुख शहर चेन्नई एक अपवाद बनकर उभरा है। चेन्नई में (Real Estate Sales Volume) में 15 प्रतिशत की शानदार वृद्धि देखी गई है, जो पिछले साल के 19,220 यूनिट्स से बढ़कर इस साल 22,180 यूनिट्स तक जा पहुंची है। यह वृद्धि दर्शाती है कि चेन्नई के बाजार में अभी भी स्थिरता बनी हुई है और वहां की कीमतों में अन्य शहरों जैसा अनियंत्रित उछाल नहीं आया है।
आईटी सेक्टर की छंटनी और वैश्विक दबाव
एनारॉक के चेयरमैन अनुज पुरी का मानना है कि 2025 का साल वैश्विक उथल-पुथल से प्रभावित रहा है, जिसका असर सीधे तौर पर भारत के रियल एस्टेट पर पड़ा। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर (Global Economic Impact) और टैरिफ तनाव जैसी समस्याओं ने निवेशकों के आत्मविश्वास को हिला कर रख दिया है। इसके साथ ही भू-राजनीतिक संकट ने निर्माण लागत को भी प्रभावित किया है, जिससे अंततः मकानों की कीमतें बढ़ीं और खरीदार पीछे हटने को मजबूर हो गए।
कीमतों की रफ्तार में आई थोड़ी गिरावट
पिछले कुछ वर्षों में हमने देखा था कि घरों की कीमतें प्रति वर्ष डबल डिजिट यानी 10 प्रतिशत से अधिक की दर से बढ़ रही थीं। हालांकि, 2025 में (Property Price Inflation) की यह रफ्तार थोड़ी धीमी हुई है और अब यह सिंगल डिजिट यानी 8 प्रतिशत की औसत वृद्धि पर आकर टिकी है। फिलहाल औसत आवास मूल्य 9,260 रुपये प्रति वर्ग फीट तक पहुंच चुका है, जो पिछले साल 8,590 रुपये प्रति वर्ग फीट के करीब था।
2026 के लिए क्या है भविष्य की रणनीति?
अब सभी की निगाहें आने वाले साल यानी 2026 पर टिकी हैं, जहां कई महत्वपूर्ण बदलावों की उम्मीद की जा रही है। बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि (Home Loan Interest Rates) में भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा संभावित कटौती और डेवलपर्स द्वारा अपनाई जाने वाली मूल्य नियंत्रण नीतियां ही बाजार को दोबारा पटरी पर ला सकती हैं। यदि ब्याज दरें कम होती हैं और कीमतें स्थिर रहती हैं, तभी मध्यम वर्ग एक बार फिर से घर खरीदने का साहस जुटा पाएगा।
निष्कर्ष: एक संतुलित बाजार की आवश्यकता
रियल एस्टेट सेक्टर भारत की जीडीपी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, और इसकी वर्तमान स्थिति एक बड़े बदलाव की ओर इशारा कर रही है। (Future Real Estate Forecast) यह बताता है कि आने वाले समय में डेवलपर्स को ग्राहकों की जेब का ध्यान रखते हुए किफायती आवास योजनाओं पर ध्यान देना होगा। केवल ऊंची कीमतों से रेवेन्यू बढ़ाना लंबे समय के लिए सही नहीं होगा, बल्कि अधिक से अधिक लोगों को घर उपलब्ध कराना ही इस इंडस्ट्री के लिए असली सफलता होगी।