Nusrat Parveen Hijab Controversy Bihar: हिजाब विवाद से चर्चा में आईं डॉ. नुसरत ने नहीं की ज्वॉइनिंग, बिहार सरकार ने बढ़ाई समय सीमा
Nusrat Parveen Hijab Controversy Bihar: बिहार की राजनीति में इन दिनों एक महिला चिकित्सक और मुख्यमंत्री के बीच हुई एक घटना की गूँज शांत होने का नाम नहीं ले रही है। 15 दिसंबर को पटना में नवनियुक्त आयुष चिकित्सकों के सम्मान में आयोजित एक सरकारी कार्यक्रम में जो हुआ, उसने पूरे देश का ध्यान अपनी ओर खींचा। उस दिन (Nitish Kumar Hijab Row) की शुरुआत तब हुई जब डॉ. नुसरत परवीन अपना नियुक्ति पत्र लेने मंच पर पहुँचीं और मुख्यमंत्री ने उनके चेहरे से नकाब हटाने की कोशिश की। इस घटना के बाद से डॉ. नुसरत सुर्खियों में हैं, लेकिन अब खबर आ रही है कि उन्होंने निर्धारित समय सीमा बीत जाने के बाद भी अपनी ड्यूटी जॉइन नहीं की है।
स्वास्थ्य विभाग ने चिकित्सकों को दिया एक और मौका
डॉ. नुसरत परवीन सहित कई अन्य नवनियुक्त चिकित्सकों द्वारा पदभार ग्रहण न करने की स्थिति को देखते हुए बिहार राज्य स्वास्थ्य विभाग ने बड़ा फैसला लिया है। विभाग ने (AYUSH Doctors Joining Extension) की घोषणा करते हुए योगदान की अंतिम तिथि को आगे बढ़ा दिया है। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, कई अभ्यर्थी किन्हीं कारणों से समय पर अस्पताल नहीं पहुँच सके थे, जिसे ध्यान में रखते हुए प्रशासन ने मानवीय आधार पर यह ढील दी है ताकि नियुक्तियों की प्रक्रिया बाधित न हो।
31 दिसंबर तक जॉइन न करने पर रद्द होगी नियुक्ति
राज्य स्वास्थ्य समिति द्वारा जारी एक आधिकारिक पत्र के माध्यम से सभी संबंधित चिकित्सकों को कड़ा अल्टीमेटम दिया गया है। पहले ज्वॉइनिंग की आखिरी तारीख 20 दिसंबर तय की गई थी, जिसे अब बढ़ाकर (New Deadline for Recruitment) के तौर पर 31 दिसंबर कर दिया गया है। विभाग ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि यदि इस तारीख तक डॉ. नुसरत या कोई भी अन्य आयुष चिकित्सक अपना योगदान नहीं देते हैं, तो उनका नियुक्ति का दावा स्वतः समाप्त मान लिया जाएगा और उनकी जगह प्रतीक्षा सूची वाले उम्मीदवारों को मौका दिया जाएगा।
उस दिन आखिर मंच पर क्या हुआ था?
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और डॉ. नुसरत के बीच घटी उस घटना का वीडियो आज भी सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बना हुआ है। कार्यक्रम के दौरान जैसे ही डॉ. नुसरत मंच पर आईं, नीतीश कुमार ने (CM Hand Gesture Controversy) करते हुए उनके हिजाब को खींचकर हटाने का प्रयास किया और उनसे पूछा, “यह क्या है?” मुख्यमंत्री की इस अचानक और अप्रत्याशित हरकत ने न केवल महिला डॉक्टर को असहज कर दिया, बल्कि मंच पर मौजूद अन्य अधिकारियों और राजनेताओं के चेहरे पर भी हैरानी के भाव ला दिए।
उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने संभाली थी स्थिति
मंच पर जब स्थिति बिगड़ने लगी और मुख्यमंत्री का हाथ महिला डॉक्टर के हिजाब तक पहुँचा, तब पास खड़े उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने त्वरित संज्ञान लिया। (Samrat Choudhary Intervention) के चलते मुख्यमंत्री को रोकने का प्रयास किया गया और अधिकारियों ने तुरंत डॉ. नुसरत को मंच के एक किनारे की ओर भेज दिया। हालांकि, तब तक यह घटना कैमरों में कैद हो चुकी थी और कुछ ही घंटों में यह पूरे बिहार में चर्चा का मुख्य केंद्र बन गई, जिससे सरकार की काफी किरकिरी भी हुई।
डॉ. नुसरत की चुप्पी और बढ़ता सस्पेंस
इस पूरे मामले में सबसे दिलचस्प बात डॉ. नुसरत परवीन की चुप्पी है। नियुक्ति पत्र मिलने के बाद जहाँ उन्हें अपने पद पर योगदान देना चाहिए था, वहीं उनकी (Mystery Over Doctor Absence) बनी हुई है। क्या वह उस घटना के बाद मानसिक रूप से असहज महसूस कर रही हैं या उनके पदभार ग्रहण न करने के पीछे कोई और तकनीकी कारण है, यह अब तक स्पष्ट नहीं हो सका है। उनके परिवार की ओर से भी इस विषय पर कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है।
सोशल मीडिया पर ‘मर्यादा’ को लेकर छिड़ी बहस
इस घटना के वायरल होने के बाद समाज दो गुटों में बंट गया है। कुछ लोग इसे मुख्यमंत्री की ‘साधारण जिज्ञासा’ बता रहे हैं, तो वहीं विपक्षी दल इसे (Women Dignity and Hijab Issue) से जोड़कर मुख्यमंत्री पर हमलावर हैं। लोगों का कहना है कि एक सार्वजनिक मंच पर किसी महिला की धार्मिक पहचान या पहनावे के साथ इस तरह का व्यवहार अशोभनीय है। इस विवाद ने बिहार की राजनीति में महिला सम्मान और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के मुद्दे को फिर से गर्म कर दिया है।
क्या 31 दिसंबर तक सुलझ जाएगा मामला?
अब सबकी नजरें इस बात पर टिकी हैं कि क्या डॉ. नुसरत परवीन 31 दिसंबर की नई समय सीमा के भीतर अपनी सरकारी सेवा शुरू करेंगी। (Future of Government Job) को लेकर विभाग का रुख सख्त है, क्योंकि स्वास्थ्य सेवाओं में पहले से ही कर्मियों की कमी है। यदि वह ज्वॉइन नहीं करती हैं, तो यह विवाद एक नया मोड़ ले सकता है। फिलहाल, बिहार स्वास्थ्य विभाग उनके जवाब का इंतजार कर रहा है ताकि इस बहुचर्चित नियुक्ति प्रक्रिया को तार्किक अंत तक पहुँचाया जा सके।