बिहार

Muzaffarpur Bridge Construction Update: विकास की सुनहरी चमक या सैकड़ों जिंदगियों का अंधेरा, चंदवारा घाट पुल निर्माण के बीच बेघर होते परिवारों की सिसकियां

Muzaffarpur Bridge Construction Update: उत्तर बिहार के व्यापारिक केंद्र मुजफ्फरपुर के लिए चंदवारा घाट पुल एक संजीवनी की तरह देखा जा रहा है। शहर के ट्रैफिक जाम से निजात दिलाने के लिए चंदवारा घाट पुल के एप्रोच पथ फेज-1 और फेज-2 का निर्माण कार्य इन दिनों युद्ध स्तर पर जारी है। इस महत्वपूर्ण (Infrastructure Development Project) के पूरा होने से शहर के मुख्य मार्ग पर वाहनों का दबाव काफी कम हो जाएगा, जिससे स्थानीय नागरिकों का सफर आसान होगा। प्रशासन ने इस पूरी परियोजना को मई और जून 2026 तक पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया है।

Muzaffarpur Bridge Construction Update
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निर्माण की आहट और उजड़ते आशियानों का दर्द

एक तरफ जहाँ विकास की मशीनें गरज रही हैं, वहीं दूसरी तरफ चंदवारा घाट बांध के किनारे बसे सैकड़ों परिवारों के दिलों में दहशत समा गई है। निर्माण कार्य के विस्तार के लिए प्रशासन ने बांध किनारे रह रहे लोगों को जगह खाली करने का नोटिस थमा दिया है। इन (Displaced Families) का दर्द यह है कि वे पिछले चार दशकों से इस जमीन पर अपना आशियाना बनाए हुए थे। आज अचानक बेदखली के नोटिस ने उनके सामने जीवन का सबसे बड़ा संकट खड़ा कर दिया है, जिससे पूरे इलाके में आक्रोश और गम का माहौल है।

40 साल की यादें और बेघर होने का खौफ

स्थानीय निवासियों का कहना है कि वे विकास के विरोधी नहीं हैं और पुल बनने (Muzaffarpur Bridge Construction Update) की उन्हें भी खुशी है, लेकिन उन्हें बिना किसी वैकल्पिक व्यवस्था के उजाड़ा जाना समझ से परे है। इन परिवारों ने (Social Justice) की मांग करते हुए प्रशासन से गुहार लगाई है कि पहले उनके रहने का उचित प्रबंध किया जाए। 40 वर्षों से एक ही जगह रहने के कारण उनकी जड़ें इस मिट्टी में गहरी धंस चुकी हैं। अब अचानक उन्हें बेघर करना उनके मौलिक अधिकारों का हनन महसूस हो रहा है, जिसकी आवाज अब सड़कों पर सुनाई दे रही है।

बेटियों की शादी और बच्चों की पढ़ाई पर संकट

प्रशासन के नोटिस ने कई परिवारों की रातों की नींद उड़ा दी है। स्थानीय लोगों ने भावुक होते हुए बताया कि कई घरों में बेटियों की शादी तय हो चुकी है, तो कहीं परिवार के बुजुर्ग गंभीर बीमारियों से जूझ रहे हैं। इस (Humanitarian Crisis) के बीच बच्चों की वार्षिक परीक्षाएं भी नजदीक हैं और घर टूटने का मतलब है उनकी शिक्षा का पूरी तरह बाधित होना। लोगों का कहना है कि वे सरकार के काम में बाधा नहीं डालना चाहते, लेकिन उन्हें सड़क पर फेंक देना भी न्यायसंगत नहीं है।

बुजुर्गों की आंखों में भविष्य को लेकर अनिश्चितता

बांध पर रहने वाली बुजुर्ग महिला शैल देवी की कहानी इस त्रासदी का जीता-जागता उदाहरण है। शैल देवी ने रुंधे गले से बताया कि उनके पूर्वज भी इसी स्थान पर रहकर अपना जीवन बसर करते थे। आज जब उनके पति बीमार हैं और (Essential Life Support) की जरूरत है, तब प्रशासन उन्हें हटने के लिए मजबूर कर रहा है। उन्होंने सवाल किया कि बुढ़ापे के इस पड़ाव पर वे अपने बच्चों और बीमार पति को लेकर आखिर कहाँ शरण लेंगी? प्रशासन की संवेदनहीनता उन्हें भीतर तक तोड़ रही है।

पुनर्वास की मांग और प्रशासन की डेडलाइन

स्थानीय नागरिक संजय कुमार का मानना है कि शहर के विकास के लिए पुल और एप्रोच रोड का निर्माण अपरिहार्य है। उनका तर्क है कि (Community Resettlement) की योजना बनाए बिना नोटिस जारी करना गलत है। सरकार को चाहिए कि निर्माण शुरू करने से पहले प्रभावित लोगों के लिए एक कॉलोनी या पुनर्वास केंद्र विकसित करे। संजय कहते हैं कि जब तक सिर छिपाने की जगह नहीं मिलेगी, तब तक वे अपने बरसों पुराने घरों को छोड़ने के लिए तैयार नहीं होंगे, भले ही इसके लिए उन्हें संघर्ष करना पड़े।

नोटिस की जल्दबाजी और न्याय की पुकार

एक अन्य निवासी शांति देवी ने बताया कि प्रशासन ने आनन-फानन में नोटिस भेजकर घर खाली करने के लिए बहुत कम समय दिया है। इतनी जल्दी नया ठिकाना ढूंढना और सामान समेटना किसी भी (Vulnerable Population) के लिए संभव नहीं है। उनका कहना है कि वे सिर्फ न्याय की गुहार लगा रहे हैं और चाहते हैं कि जिला प्रशासन उनके प्रति थोड़ी सहानुभूति दिखाए। शांति देवी का यह सवाल कि “बेघर होकर आखिर हम जाएं तो कहां जाएं?” आज मुजफ्फरपुर के प्रशासनिक गलियारों में गूंज रहा है।

विकास और मानवीय मूल्यों के बीच का संतुलन

चंदवारा घाट पुल की परियोजना मुजफ्फरपुर के भविष्य के लिए जितनी जरूरी है, उतनी ही जरूरी उन गरीबों की सुरक्षा भी है जो इसके निर्माण से प्रभावित हो रहे हैं। सरकार को (Urban Planning Policy) के तहत यह सुनिश्चित करना होगा कि विकास की इस दौड़ में कोई पीछे न छूट जाए। यदि प्रशासन समय रहते इन परिवारों के पुनर्वास का ठोस आश्वासन और स्थान उपलब्ध करा देता है, तो निर्माण कार्य भी निर्बाध रूप से चलेगा और सैकड़ों परिवारों की दुआएं भी विकास के साथ जुड़ी रहेंगी।

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