Lok Sabha election 2024: क्या नीतीश के सहारे बिहार में बन पाएगी BJP की बात…
हाल के सालों में देखें तो बीजेपी (भाजपा) बिहार में एक जरूरी सियासी ताकत के रूप में उभरी है. बिहार की राजनीति में पार्टी के उदय का श्रेय कारगर संगठनात्मक रणनीतियों, गठबंधन निर्माण और सफल चुनावी अभियानों सहित विभिन्न कारकों को दिया जा सकता है. पिछले कुछ दशकों में, बीजेपी ने अपने समर्थन आधार को मजबूत करने और बिहार के विभिन्न क्षेत्रों में अपना असर बढ़ाने के लिए जनता दल (यूनाइटेड) (जेडी (यू)) और लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) जैसे क्षेत्रीय दलों के साथ रणनीतिक रूप से गठबंधन किया है.

बिहार में बीजेपी के लिए जरूरी मोड़ों में से एक राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) गठबंधन का गठन था, जो भाजपा, जद (यू) और एलजेपी को एक साथ लाया. यह गठबंधन राज्य के चुनावी क्षेत्र में जबरदस्त साबित हुआ, जिससे बीजेपी के नेतृत्व वाले गठबंधन को विधानसभा और लोकसभा दोनों चुनावों में जरूरी जीत हासिल करने में सहायता मिली. 2010 में, एनडीए ने बिहार विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की, जिसमें बीजेपी ने 243 सदस्यीय विधानसभा में 93 सीटें जीतीं. जद (यू) से नीतीश कुमार को सीएम बनाया गया.
2015 में, नीतीश कुमार ने राजग के विरुद्ध एक महागठबंधन बनाने के लिए अपने विरासत प्रतिद्वंद्वियों, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और कांग्रेस पार्टी से हाथ मिला लिया. इस चुनाव में, महागठबंधन ने 178 सीटें जीतीं और नीतीश कुमार एक बार फिर सीएम बने, लेकिन एनडीए के विरोधी पक्ष से. 2020 में, बीजेपी एक बार फिर विजयी हुई, नीतीश कुमार ने महागठबंधन को छोड़कर एनडीए में शामिल हो गए और सातवीं बार सीएम बने.
बीजेपी और 2024 लोकसभा चुनाव
बीजेपी ने बिहार में लोकसभा चुनाव में जरूरी किरदार निभाई है, खासकर एनडीए गठबंधन के हिस्से के रूप में. 2019 के लोकसभा चुनाव में उसने राज्य की 40 लोकसभा सीटों में से कुल 17 सीटें जीतीं. इस वर्ष उसने 17 उम्मीदवार उतारे हैं. जरूरी लोगों में पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद और राजीव प्रताप रूडी, केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आर के सिंह, केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री गिरिराज सिंह और बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राधा मोहन सिंह शामिल हैं.
 
				
