Human Trafficking Rescue: सीतामढ़ी के नर्क में तब्दील कमरों से मिलीं रोती सिसकती बच्चियां, छापेमारी में खुला खौफनाक राज
Human Trafficking Rescue: बिहार के सीतामढ़ी जिले में मानवता को शर्मसार करने वाले एक बड़े नेटवर्क का भंडाफोड़ हुआ है। प्रशासन ने नाबालिग बच्चियों के शोषण और मानव तस्करी के खिलाफ अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया है। यह विशेष (Child Rights Protection) अभियान राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के कड़े निर्देशों के बाद शुरू किया गया। अंधेरी गलियों में छिपे इस काले कारोबार की जड़ें हिलाने के लिए पुलिस ने एक ऐसी योजना बनाई जिससे अपराधियों को संभलने का मौका तक नहीं मिला।
दिल्ली की टीम और स्थानीय पुलिस का संयुक्त चक्रव्यूह
पुलिस अधीक्षक अमित रंजन के निर्देश पर नगर थाना क्षेत्र के वोहा टोला में यह बड़ी छापेमारी की गई। इस ऑपरेशन को सफल बनाने के लिए दिल्ली से आई रेस्क्यू फाउंडेशन की टीम और स्थानीय पुलिस ने मिलकर (Collaborative Law Enforcement) का बेहतरीन उदाहरण पेश किया। जैसे ही पुलिस की गाड़ियां इलाके में पहुंचीं, वहां हड़कंप मच गया। कई शातिर दलाल और धंधेबाज गलियों का फायदा उठाकर भागने में सफल रहे, लेकिन पुलिस ने पूरे इलाके को चारों तरफ से घेर लिया था।
दो घंटे का सर्च ऑपरेशन और बरामदगी की गवाही
लगभग दो घंटे तक चले इस सघन सर्च ऑपरेशन में पुलिस ने एक-एक कमरे की बारीकी से तलाशी ली। रेस्क्यू फाउंडेशन के जांच पदाधिकारी अक्षय पांडेय ने बताया कि उन्हें पक्की जानकारी मिली थी कि यहां नाबालिग लड़कियों को बंधक बनाकर (Illegal Minor Exploitation) के धंधे में धकेला जा रहा है। तलाशी के दौरान कमरों से भारी मात्रा में आपत्तिजनक सामग्री और कंडोम के पैकेट बरामद हुए, जो इस बात की पुष्टि करते हैं कि यहां एक संगठित और क्रूर नेटवर्क सक्रिय था।
प्रशासनिक अधिकारियों की बड़ी फौज ने संभाला मोर्चा
इस संवेदनशील कार्रवाई की गंभीरता को देखते हुए कई थानों की फोर्स और वरिष्ठ अधिकारी मौके पर मौजूद रहे। इस दल में महिला थानाध्यक्ष श्वेता स्वराज, एएचटीयू प्रभारी निरीक्षक कृष्ण नंद झा और सदर सीडीपीओ कामिनी कुमारी जैसी (Public Safety Officers) शामिल थीं। महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों की मौजूदगी यह सुनिश्चित करने के लिए थी कि बच्चियों को न केवल रेस्क्यू किया जाए, बल्कि उनके अधिकारों और गरिमा की भी रक्षा की जा सके।
खौफ के साये से बाहर निकलीं बेगुनाह बच्चियां
छापेमारी के दौरान रेस्क्यू की गई बच्चियों की आंखों में सालों का खौफ और बेबसी साफ देखी जा सकती थी। पुलिस ने उन्हें तुरंत सुरक्षित स्थानों पर भेज दिया है, जहां उनकी (Psychological Counseling Services) और विस्तृत मेडिकल जांच की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इन बच्चियों को अब एक नई जिंदगी देने की कोशिश की जा रही है ताकि वे उस अंधेरे से बाहर निकल सकें जिसमें उन्हें जबरन धकेल दिया गया था।
गिरफ्त में आईं महिला दलाल और पुलिसिया पूछताछ
पुलिस ने मौके से कुछ महिला दलालों को गिरफ्तार करने में सफलता हासिल की है, जिनसे महिला थाने में कड़ी पूछताछ की जा रही है। इन महिलाओं से इस (Trafficking Syndicate Network) के आकाओं और मुख्य सरगनाओं के बारे में जानकारी जुटाई जा रही है। पुलिस यह भी पता लगाने की कोशिश कर रही है कि इन बच्चियों को किन रास्तों से और कहां-कहां से लाया गया था। गिरफ्तार आरोपियों के बयानों के आधार पर पुलिस की अन्य टीमें अब अलग-अलग ठिकानों पर छापेमारी कर रही हैं।
फरार अपराधियों की तलाश में पुलिसिया दबिश
भले ही कुछ अपराधी भागने में सफल रहे हों, लेकिन जिला प्रशासन ने उनके खिलाफ वारंट जारी करने की प्रक्रिया तेज कर दी है। पुलिस अधीक्षक ने साफ किया है कि इस (Criminal Justice System) के तहत किसी भी आरोपी को बख्शा नहीं जाएगा। फरार दलालों के संभावित ठिकानों पर पुलिस लगातार दबिश दे रही है और उनके संपर्कों को खंगाला जा रहा है। जिला प्रशासन ने स्थानीय लोगों से भी अपील की है कि वे ऐसे संदिग्ध ठिकानों की जानकारी गुप्त रूप से पुलिस के साथ साझा करें।
भविष्य में भी जारी रहेगी ये बड़ी जंग
सीतामढ़ी जिला प्रशासन ने इस कार्रवाई के जरिए यह संदेश दे दिया है कि नाबालिगों के शोषण से जुड़े किसी भी नेटवर्क को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। यह अभियान केवल एक दिन की कार्रवाई नहीं है, बल्कि (Social Welfare Policy) के तहत ऐसी छापेमारी लगातार जारी रखने का संकल्प लिया गया है। प्रशासन की मंशा है कि जिले को मानव तस्करी और बाल शोषण जैसे कलंक से पूरी तरह मुक्त कराया जाए और हर बच्चे के लिए एक सुरक्षित वातावरण तैयार किया जाए।