Cultural Heritage and Empowermen: गांधी मैदान में दिखा हस्तशिल्प और लोककला का अद्भुत संगम, मुख्यमंत्री ने की जीविका दीदियों के हुनर की सराहना
Cultural Heritage and Empowermen: पटना का ऐतिहासिक गांधी मैदान इन दिनों देश की विविध संस्कृतियों और लोककलाओं के रंगों से सराबोर है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने (Bihar Saras Mela 2025) का विस्तृत भ्रमण कर वहाँ की व्यवस्थाओं का जायजा लिया। 12 से 28 दिसंबर तक चलने वाला यह मेला न केवल हस्तशिल्प का प्रदर्शन है, बल्कि यह ग्रामीण उद्यमियों के सपनों को पंख देने का एक बड़ा मंच भी है। मुख्यमंत्री ने मेले के प्रत्येक स्टॉल को करीब से देखा और कारीगरों से उनके उत्पादों के बारे में चर्चा की। मेले का माहौल उत्सव जैसा है, जहाँ हर तरफ बिहार की मिट्टी की महक और कलाकारों की मेहनत नजर आती है।
ग्रामीण उद्यमिता और स्वरोजगार को नई दिशा
भ्रमण के दौरान मुख्यमंत्री ने राज्य सरकार की उन योजनाओं पर जोर दिया जो ग्रामीण इलाकों में आर्थिक क्रांति ला रही हैं। उन्होंने कहा कि (Rural Entrepreneurship) को बढ़ावा देना उनकी सरकार की प्राथमिकता है। मेले में बिहार के अलावा अन्य राज्यों के कारीगर भी अपने हुनर का प्रदर्शन कर रहे हैं, जिससे अंतर-राज्यीय सांस्कृतिक (Cultural Heritage and Empowermen) आदान-प्रदान को बढ़ावा मिल रहा है। मुख्यमंत्री ने इस बात पर प्रसन्नता जताई कि पारंपरिक उत्पादों को अब आधुनिक बाजार की मांग के अनुसार ढाला जा रहा है, जिससे उनकी बिक्री और लोकप्रियता में भारी इजाफा हुआ है।
‘जीविका दीदियां’ बनीं मेले का मुख्य आकर्षण
मेले का सबसे प्रेरणादायक हिस्सा जीविका दीदियों द्वारा लगाए गए स्टॉल हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विशेष रूप से इन स्टॉलों का निरीक्षण किया और (Women Empowerment) के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। ‘सतत जीविकोपार्जन योजना’ के माध्यम से ये महिलाएं न केवल स्वावलंबी बन रही हैं, बल्कि वे अन्य लोगों को भी रोजगार दे रही हैं। मेले में उनके द्वारा निर्मित सजावटी सामान, अचार, पापड़ और हस्तकरघा वस्त्रों की भारी मांग है। मुख्यमंत्री ने कहा कि जीविका दीदियों की सफलता बिहार के बदलते सामाजिक और आर्थिक ढांचे का जीवंत प्रमाण है।
देशी व्यंजनों और पारंपरिक हस्तशिल्प की भारी मांग
सरस मेले में आए आगंतुकों के लिए खान-पान के स्टॉल किसी स्वर्ग से कम नहीं हैं। (Traditional Cuisine) के अनुभाग में बिहार के प्रसिद्ध लिट्टी-चोखा के साथ-साथ देश के विभिन्न कोनों के व्यंजनों का लुत्फ उठाया जा सकता है। हस्तशिल्प के क्षेत्र में मधुबनी पेंटिंग, सिक्की आर्ट और टेराकोटा के उत्पादों ने पर्यटकों का मन मोह लिया है। विक्रेताओं ने मुख्यमंत्री को बताया कि इस साल मेले में फुटफॉल काफी अच्छा है और लोग स्वदेशी सामानों को खरीदने में अधिक रुचि दिखा रहे हैं, जिससे उनकी आय में वृद्धि हो रही है।
प्रशासनिक मुस्तैदी और अधिकारियों की उपस्थिति
मेले के सफल आयोजन को सुनिश्चित करने के लिए मुख्यमंत्री के साथ कई वरीय अधिकारी भी मौजूद थे। प्रधान सचिव दीपक कुमार और सचिव कुमार रवि ने मुख्यमंत्री को (Public Facilities) और सुरक्षा इंतजामों की जानकारी दी। जीविका के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी हिमांशु शर्मा ने बताया कि मेले में आने वाले लोगों की सुविधा के लिए डिजिटल भुगतान और पर्याप्त सफाई व्यवस्था की गई है। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि मेले में आने वाले प्रत्येक आगंतुक और प्रतिभागी को किसी भी तरह की असुविधा न हो और सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम रहें।
सरस मेले की वैश्विक पहचान और भविष्य
नीतीश कुमार ने अंत में कहा कि बिहार सरस मेला अब केवल एक स्थानीय बाजार नहीं रहा, बल्कि इसने अपनी एक (Global Identity) बना ली है। यह मेला बिहार की समृद्ध विरासत और आधुनिक प्रगति का सेतु है। उन्होंने आम जनता से अपील की कि वे अधिक से अधिक संख्या में मेले में आएँ और स्थानीय कारीगरों का समर्थन करें। ग्रामीण उत्पादों को मिलने वाला यह समर्थन न केवल उनकी अर्थव्यवस्था को मजबूत करेगा, बल्कि हमारी विलुप्त कलाओं को भी नया जीवन प्रदान करेगा।