Bihar Police Custody Case: पटना पुलिस पर फिर खड़े हुए सवाल, अचानक बिगड़ी तस्कर की हालत, जीभ भी हुई…
Bihar Police Custody Case: बिहार के सहरसा जिले के काशनगर थाना क्षेत्र में शराब तस्करी के आरोप में गिरफ्तार एक व्यक्ति की पुलिस हिरासत (police custody) में तबीयत अचानक गंभीर हो गई। स्थानीय निवासी सोमन महतो को 11 दिसंबर को गिरफ्तार किया गया था। उनके पास से 30 लीटर देसी चुलाई शराब बरामद हुई थी।

गिरफ्तारी के बाद अचानक बेहोशी
जैसे ही पुलिस ने दोपहर करीब डेढ़ बजे सोमन महतो को न्यायिक हिरासत में भेजने के लिए वाहन में बैठाया, वह अचानक बेहोश होकर गिर पड़े। घटना के तुरंत बाद पुलिस और परिजन दोनों ही घबरा गए। यह घटना इलाके में चर्चा का विषय बन गई और हिरासत (custody incident) की सुरक्षा और नियमों पर सवाल उठने लगे।
अस्पताल दर अस्पताल रेफर
आरोपी की स्थिति गंभीर होने के कारण उसे पहले सिमरी बख्तियारपुर अनुमंडलीय अस्पताल ले जाया गया। बाद में सहरसा सदर अस्पताल और फिर शहर के सूर्या क्लीनिक में भर्ती कराया गया। क्लीनिक की जांच रिपोर्ट में उसके दिमाग में चोट की पुष्टि हुई। हालत में सुधार न होने पर चिकित्सकों ने उसे पटना रेफर कर दिया।
पत्नी का पुलिस पर गंभीर आरोप
सोमन महतो की पत्नी सुलेखा देवी ने पुलिस पर आरोप लगाया कि उनके पति की हिरासत के दौरान बेरहमी से पिटाई की गई। उन्होंने कहा, “पुलिस ने मेरे पति को थाने में पीटा और उनकी जीभ भी कटी।” परिजन वरिष्ठ अधिकारियों से मामले की निष्पक्ष (police brutality) जांच की मांग कर रहे हैं।
पुलिस का बयान और सफाई
सिमरी बख्तियारपुर के एसडीपीओ मुकेश कुमार ठाकुर ने आरोपों को खारिज किया। उनका कहना है कि हिरासत में आरोपी की तबीयत अचानक खराब हुई, और पुलिस ने तुरंत इलाज की व्यवस्था की। मारपीट का आरोप निराधार बताया गया। फिलहाल सोमन महतो का इलाज पटना में जारी है, और मेडिकल रिपोर्ट आने के बाद ही घटना की वास्तविकता सामने आएगी।
पूर्व मामलों का संदर्भ
सहरसा जिले में यह मामला इसलिए भी चर्चा में है क्योंकि हाल ही में सौर बाजार में पुलिस हिरासत में मनोज साह की पिटाई और इलाज के दौरान मौत का मामला सामने आया था। इस मामले में एसआईटी जांच चल रही है और डीआईजी ने थानाध्यक्ष को लाइन हाजिर कर दिया था। इस संदर्भ ने (police accountability) पर जिले में चर्चा को और तेज कर दिया।
परिजनों और स्थानीय लोगों की नाराजगी
सोमन महतो की हालत गंभीर होने के बाद परिजन और स्थानीय लोग पुलिस के रवैये से आहत हैं। उनका कहना है कि हिरासत में आरोपी की सुरक्षा और स्वास्थ्य का ध्यान रखना पुलिस की जिम्मेदारी है। यह घटना (public outrage) इलाके में बड़ी नाराजगी और सवाल खड़े करने वाली साबित हुई है।
मामले की जांच और भविष्य की कार्रवाई
अधिकारियों ने कहा है कि मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर पूरी घटना की निष्पक्ष जांच की जाएगी। दोषी पाए जाने पर पुलिस कर्मियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। साथ ही, भविष्य में हिरासत में किसी भी प्रकार की लापरवाही या मारपीट को रोकने के लिए (law enforcement reforms) जरूरी कदम उठाए जाएंगे।
सार्वजनिक सुरक्षा और हिरासत का महत्व
इस घटना ने पुलिस हिरासत में व्यक्ति की सुरक्षा और स्वास्थ्य की महत्ता पर ध्यान आकर्षित किया है। अधिकारी यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि किसी भी आरोपी के साथ अनुचित व्यवहार न हो और हिरासत (custody safety) पूरी तरह सुरक्षित हो।



