Bihar Mushroom Farming Electricity Subsidy: अब मशरूम की खेती पर पानी के भाव मिलेगी बिजली, सरकार ने किया बड़ा ऐलान
Bihar Mushroom Farming Electricity Subsidy: बिहार की नीतीश सरकार ने प्रदेश के अन्नदाताओं को एक ऐतिहासिक तोहफा देने का मन बना लिया है। राज्य के उन हजारों किसानों के लिए राहत की बड़ी खबर है जो मशरूम की खेती के जरिए अपनी आजीविका चला रहे हैं। अब तक मशरूम उत्पादन को एक व्यवसायिक गतिविधि माना जाता था, जिसके कारण किसानों को काफी महंगी दरों पर बिजली बिल का भुगतान करना पड़ता था। लेकिन अब सरकार ने इस (Agricultural Power Tariff) व्यवस्था में आमूलचूल बदलाव करने का निर्णय लिया है, जिससे छोटे और सीमांत किसानों की लागत में भारी कमी आएगी।
व्यवसायिक दर के बोझ से मिलेगी हमेशा के लिए मुक्ति
वर्तमान व्यवस्था के तहत मशरूम की खेती करने वाले किसानों को गैर-घरेलू यानी कमर्शियल श्रेणी में रखा गया है। इसके चलते ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के हिसाब से उनसे मोटी रकम वसूली जाती है। ग्रामीण इलाकों में 100 यूनिट से अधिक की खपत पर (Commercial Electricity Rates) के तहत 4.21 रुपये प्रति यूनिट तक का भुगतान करना पड़ता है। वहीं शहरी क्षेत्रों में यह दर और भी अधिक है, जो पांच किलोवाट से अधिक के कनेक्शन पर 6.44 रुपये प्रति यूनिट तक पहुंच जाती है।
महज 55 पैसे में मिलेगी अब एक यूनिट बिजली
बिजली कंपनी ने बिहार विद्युत विनियामक आयोग को एक क्रांतिकारी प्रस्ताव भेजा है, जो किसानों की तकदीर बदल सकता है। इस नए प्रस्ताव के मुताबिक, मशरूम की खेती (Bihar Mushroom Farming Electricity Subsidy) को अब सामान्य खेती के समकक्ष माना जाएगा। इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि किसानों को अब कई रुपयों के बजाय मात्र (Flat Electricity Rate) के तौर पर 55 पैसे प्रति यूनिट की दर से बिजली मिलेगी। यदि आयोग इस प्रस्ताव पर अपनी अंतिम मुहर लगा देता है, तो आगामी एक अप्रैल से राज्य भर के मशरूम उत्पादकों को यह लाभ मिलना शुरू हो जाएगा।
स्वरोजगार और आय बढ़ाने की दिशा में मास्टरस्ट्रोक
मशरूम की खेती में तापमान को नियंत्रित करने के लिए बिजली का उपयोग अनिवार्य होता है, और बिल की भारी रकम मुनाफे को कम कर देती थी। सरकार के इस कदम से न केवल मशरूम उत्पादन की लागत घटेगी, बल्कि (Farmers Income Growth) का सपना भी तेजी से साकार होगा। सस्ती बिजली मिलने से अब ग्रामीण क्षेत्रों के युवा और महिलाएं इस क्षेत्र में निवेश करने के लिए अधिक आकर्षित होंगे, जिससे गांवों में स्वरोजगार के नए अवसर पैदा होंगे और पलायन पर रोक लगेगी।
मशरूम उत्पादन में बिहार ने गाड़ा कामयाबी का झंडा
बिहार आज केवल कृषि प्रधान राज्य ही नहीं, बल्कि देश का ‘मशरूम हब’ बनकर उभरा है। राष्ट्रीय स्तर पर हो रहे कुल मशरूम उत्पादन में बिहार की हिस्सेदारी अब 11 फीसदी तक पहुंच गई है। राज्य ने ओडिशा जैसे राज्यों को पीछे छोड़ते हुए (Top Mushroom Producing State) का गौरव हासिल किया है। गया और भोजपुर जैसे जिले आज इस क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं। राज्य सरकार पहले ही मशरूम की खेती के अन्य संसाधनों पर 90 फीसदी तक की सब्सिडी प्रदान कर रही है, जो किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है।
रिकॉर्ड उत्पादन और रोजगार के नए कीर्तिमान
आंकड़ों पर नजर डालें तो बिहार में मशरूम उत्पादन की रफ्तार बेहद प्रभावशाली रही है। साल 2021-22 में जहां उत्पादन 28,000 टन था, वहीं 2023-24 में यह बढ़कर 41,310 टन के पार पहुंच गया है। इस सेक्टर ने राज्य के (Rural Employment Statistics) को भी मजबूती दी है, जिसमें लगभग 60 से 70 हजार लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिला हुआ है। बिहार में तैयार होने वाले बटन, ऑयस्टर और दूधिया मशरूम की मांग अब दिल्ली और कोलकाता जैसे महानगरों के बाजारों में तेजी से बढ़ रही है।
बिजली आयोग के फैसले पर टिकी हैं सबकी निगाहें
मशरूम उत्पादकों की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए बिजली कंपनी का यह प्रस्ताव अब विनियामक आयोग के पास विचाराधीन है। विशेषज्ञों का मानना है कि (Regulatory Commission Approval) मिलते ही बिहार के कृषि परिदृश्य में एक बड़ा सकारात्मक बदलाव आएगा। किसानों को उम्मीद है कि नए वित्तीय वर्ष की शुरुआत उनके लिए नई उमंग लेकर आएगी। यह पहल न केवल बिहार को कृषि रोडमैप में आगे ले जाएगी, बल्कि मध्यम और गरीब वर्ग के किसानों के लिए आय का सबसे स्थिर स्रोत बनकर उभरेगी।
एक अप्रैल से शुरू होगा विकास का नया अध्याय
सब्सिडी और सस्ती बिजली का यह तालमेल मशरूम की खेती को एक नई ऊंचाई पर ले जाने के लिए तैयार है। सरकार का लक्ष्य है कि बिहार का हर किसान आत्मनिर्भर बने और तकनीकी खेती के माध्यम से अपनी किस्मत बदले। इस (Sustainable Agriculture Policy) के लागू होने के बाद उम्मीद है कि बिहार आने वाले वर्षों में मशरूम उत्पादन के मामले में विश्व स्तर पर अपनी पहचान बनाएगा। अब बस इंतजार है तो उस तारीख का, जब किसानों के बिजली बिलों में यह भारी कटौती हकीकत बनकर उनके घरों में समृद्धि लाएगी।