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Bihar Fertilizer Stock Update: अन्नदाता की खुशहाली के लिए बिहार सरकार ने लिया बड़ा संकल्प, अब खेत में नहीं होगी खाद की किल्लत…

Bihar Fertilizer Stock Update: बिहार की कृषि व्यवस्था को मजबूती देने और रबी फसलों के उत्पादन को बढ़ाने के लिए राज्य सरकार अब पूरी तरह से ‘एक्शन मोड’ में आ गई है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में कृषि विभाग ने यह सुनिश्चित करने का बीड़ा उठाया है कि प्रदेश के किसी भी कोने में किसानों को उर्वरक के लिए परेशान न होना पड़े। रबी फसलों की बुवाई और (Rabi Crop Production Growth) रखरखाव के इस महत्वपूर्ण समय में सरकार ने खाद की पर्याप्त उपलब्धता का दावा किया है। इस कदम से उन लाखों किसानों के चेहरों पर चमक लौट आई है, जो अब तक खाद की कमी और लंबी लाइनों की आशंका से डरे हुए थे।

Bihar Fertilizer Stock Update
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उर्वरक के विशाल स्टॉक से लबालब हुए गोदाम

कृषि विभाग के ताजा आंकड़ों ने खाद की कमी के दावों को पूरी तरह से खारिज कर दिया है। विभाग के प्रधान सचिव पंकज कुमार ने राज्य के उर्वरक भंडार की विस्तृत रिपोर्ट पेश की है, जिसके मुताबिक बिहार में फिलहाल 2 लाख 37 हजार मीट्रिक टन यूरिया का (Fertilizer Inventory Management) विशाल स्टॉक मौजूद है। इसके अलावा, खेतों की जरूरत को देखते हुए 1 लाख 23 हजार मीट्रिक टन डीएपी और 2 लाख 10 हजार मीट्रिक टन एनपीके भी उपलब्ध कराया गया है। साथ ही, एमओपी और एसएसपी का भी पर्याप्त कोटा रखा गया है ताकि किसी भी फसल को पोषक तत्वों की कमी न हो।

कालाबाजारी और तस्करों के खिलाफ विभाग का हंटर

सिर्फ खाद की उपलब्धता सुनिश्चित करना ही काफी नहीं था, बल्कि उसे उचित दाम पर किसानों तक पहुँचाना भी एक बड़ी चुनौती रही है। सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि उर्वरकों की कालाबाजारी, तस्करी या अधिक मूल्य पर बिक्री को किसी भी (Black Marketing Prevention) कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। प्रधान सचिव ने उन बिचौलियों और मुनाफाखोरों को सख्त चेतावनी दी है जो खाद की कृत्रिम कमी दिखाकर भोले-भाले किसानों का शोषण करते हैं। विभाग अब सूक्ष्म स्तर पर निगरानी कर रहा है ताकि हर बोरी का हिसाब पारदर्शी तरीके से रखा जा सके।

31 प्रतिष्ठानों पर एफआईआर और लाइसेंस रद्द करने की बड़ी कार्रवाई

बिहार सरकार ने अपनी चेतावनी को धरातल पर उतारना शुरू कर दिया है, जिससे खाद माफियाओं में हड़कंप मच गया है। 24 दिसंबर तक की गई कार्रवाई में अब तक 31 उर्वरक प्रतिष्ठानों के खिलाफ (Legal Action Against Dealers) प्राथमिकी दर्ज की जा चुकी है। इतना ही नहीं, नियमों की अवहेलना करने वाले और स्टॉक छिपाने वाले 83 प्रतिष्ठानों के लाइसेंस यानी उर्वरक प्राधिकार पत्र तुरंत प्रभाव से रद्द कर दिए गए हैं। यह कड़ी कार्रवाई इस बात का प्रमाण है कि सरकार किसानों के हितों के साथ खिलवाड़ करने वालों को किसी भी हाल में बख्शने के मूड में नहीं है।

मुख्यालय स्तर पर गठित उड़नदस्ता दल की पैनी नजर

शिकायतों पर तुरंत रिस्पॉन्स देने और संदिग्ध दुकानों पर छापेमारी के लिए विभाग ने मुख्यालय स्तर पर एक विशेष ‘उड़नदस्ता दल’ का गठन किया है। यह टीम बिना किसी पूर्व सूचना के (Flying Squad Raid Operations) उर्वरक केंद्रों पर पहुँच रही है और वहां के रजिस्टरों की जांच कर रही है। भौतिक रूप से उपलब्ध स्टॉक और कागजों पर दिखाए गए आंकड़ों का मिलान किया जा रहा है ताकि किसी भी तरह की विसंगति को तुरंत पकड़ा जा सके। इस विशेष सत्यापन अभियान ने भ्रष्ट विक्रेताओं के पसीने छुड़ा दिए हैं।

जिला स्तर पर ‘जीरो ऑफिस डे’ और किसानों से सीधा संवाद

प्रशासनिक चुस्ती को बढ़ाने के लिए जिला कृषि पदाधिकारियों को विशेष निर्देश जारी किए गए हैं। अब ‘जीरो ऑफिस डे’ के तहत अधिकारी केवल दफ्तरों में नहीं बैठेंगे, बल्कि सीधे उर्वरक प्रतिष्ठानों और खेतों का (Direct Farmers Communication) दौरा करेंगे। वे स्वयं किसानों से मिलकर उनकी समस्याओं और खाद की उपलब्धता पर फीडबैक ले रहे हैं। इससे सरकार और किसानों के बीच के फासले कम हो रहे हैं और समस्याओं का समाधान मौके पर ही किया जा रहा है। जिला स्तर पर बनाई गई निगरानी समितियों को भी अब और अधिक सक्रिय कर दिया गया है।

प्रखंड स्तर पर आवंटन और जीरो टॉलरेंस की नीति

कृषि विभाग ने सभी जिलों को निर्देश दिया है कि प्रखंड स्तर पर उर्वरक का आवंटन पूरी तरह से वास्तविक जरूरत और वहां की भौगोलिक स्थितियों के आधार पर किया जाए। आवंटन प्रक्रिया में किसी भी तरह की पक्षपात या गड़बड़ी पाए जाने पर (Government Zero Tolerance Policy) के तहत सख्त सजा दी जाएगी। प्रखंड निगरानी समितियों की नियमित बैठकों को अनिवार्य बना दिया गया है। सरकार का स्पष्ट मानना है कि अगर वितरण प्रणाली पारदर्शी होगी, तो खाद की कोई कमी नहीं होगी और अंतिम पंक्ति के किसान तक भी सरकारी लाभ पहुँच सकेगा।

युवाओं के सपनों और कृषि विकास का सामंजस्य

बिहार के युवाओं का एक बड़ा वर्ग जहाँ रोजगार और पुलिस भर्ती जैसी परीक्षाओं की तैयारी में जुटा है, वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में खेती ही उनकी रीढ़ है। रबी सीजन के लिए उर्वरकों की यह (Agricultural Development Schemes) व्यापक व्यवस्था ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करेगी। कृषि प्रधान राज्य होने के नाते, उर्वरकों की सही समय पर आपूर्ति न केवल फसल की पैदावार बढ़ाएगी बल्कि किसानों की आय में भी इजाफा करेगी। विभाग का यह सक्रिय अवतार बिहार के कृषि इतिहास में एक नई मिसाल पेश कर रहा है, जहाँ तकनीक और सतर्कता से माफिया राज का अंत किया जा रहा है।

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