Gujarat: कच्छ में फिर हिली धरती: रात 2:28 बजे आए 3.7 तीव्रता के भूकंप ने लोगों को जगाया
Gujarat: का कच्छ क्षेत्र एक बार फिर भूकंप के हल्के झटकों से सहम गया। बुधवार देर रात करीब 2 बजकर 28 मिनट पर अचानक धरती डोलने लगी। लोगों की नींद टूट गई और कई घरों में सोए लोग घबराकर बाहर निकल आए। नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के अनुसार इस भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 3.7 मापी गई, जिसका केंद्र धोलावीरा से लगभग 32 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम दिशा में था। अच्छी बात यह रही कि तीव्रता कम होने की वजह से अभी तक किसी तरह के नुकसान या जनहानि की कोई सूचना नहीं मिली है।

भूकंप आने का सटीक समय और स्थान
रात के सन्नाटे में ठीक 2:28:28 बजे भारतीय समयानुसार यह झटका दर्ज किया गया। भूकंपीय केंद्र धोलावीरा के आसपास गहराई में था, जिसकी वजह से कच्छ के कई गांवों और कस्बों में लोग इसे स्पष्ट रूप से महसूस कर सके। भुज, गांधीधाम, अंजार, रापर और आसपास के इलाकों में भी हल्की कंपन महसूस हुई। सोशल मीडिया पर कुछ लोगों ने बताया कि उनके बिस्तर हिलने लगे और पानी की बोतलें टेबल से गिर गईं।
अभी तक कोई बड़ा नुकसान नहीं
चूंकि भूकंप की तीव्रता 4 से कम थी, इसलिए विशेषज्ञों का कहना है कि इससे बड़े नुकसान की संभावना बेहद कम रहती है। प्रशासन और आपदा प्रबंधन विभाग ने तुरंत टीमें सक्रिय कर दी हैं। गांव-गांव में पटवारी और तहसीलदार स्तर के अधिकारी सुबह से ही स्थिति का जायजा ले रहे हैं। अब तक किसी भी तरह की दीवार गिरने, मकान में दरार आने या पशु हानि की कोई खबर सामने नहीं आई है।
कच्छ क्यों रहता है भूकंप की जद में?
कच्छ का पूरा क्षेत्र भूकंपीय जोन-5 में आता है, यानी यहां भूकंप का खतरा सबसे ज्यादा रहता है। साल 2001 के विनाशकारी भूकंप के बाद से यहां छोटे-बड़े सैकड़ों झटके आ चुके हैं। भू-वैज्ञानिकों के अनुसार कच्छ में कई सक्रिय भ्रंश रेखाएं (fault lines) हैं, जिनकी हलचल की वजह से बार-बार कंपन महसूस होते हैं। पिछले कुछ सालों में ही दर्जनों बार 3 से 4.5 तीव्रता तक के झटके दर्ज हो चुके हैं।
अक्टूबर में भी डोली थी धरती
इससे पहले इसी साल अक्टूबर महीने में भी गुजरात में भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। 24 अक्टूबर की दोपहर करीब 12:37 बजे राजकोट और सौराष्ट्र क्षेत्र में 3.4 तीव्रता का भूकंप आया था। उसका केंद्र गोंडल से 24 किमी पश्चिम-दक्षिण में था। उस वक्त भी लोगों में कुछ देर के लिए अफरा-तफरी मच गई थी, लेकिन कोई नुकसान नहीं हुआ था।
बार-बार आने वाले भूकंप से क्या सीखें?
विशेषज्ञ बार-बार यही सलाह देते हैं कि कच्छ और सौराष्ट्र जैसे भूकंप संवेदनशील क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को हमेशा तैयार रहना चाहिए। घरों में भारी सामान ऊंचाई पर न रखें, बिस्तर के पास टॉर्च और आपात किट रखें, और भूकंप आने पर टेबल या मजबूत फर्नीचर के नीचे छिप जाएं। सरकारी भवनों और स्कूलों में भी भूकंप रोधी निर्माण को और सख्ती से लागू करने की जरूरत है।
प्रशासन की तैयारियां और निगरानी
जिला प्रशासन ने तुरंत हेल्पलाइन नंबर सक्रिय कर दिए हैं। कच्छ कलेक्टर खुद सुबह से मीटिंग कर रहे हैं। एनडीआरएफ की टीम को भी अलर्ट पर रखा गया है। मौसम विभाग और भूकंप केंद्र लगातार निगरानी कर रहे हैं कि कहीं आफ्टरशॉक्स तो नहीं आने वाले। फिलहाल स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में है और लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की जा रही है।
कच्छ की धरती भले ही बार-बार हिलती हो, लेकिन यहां के लोग भी अब इन झटकों के आदि हो चुके हैं। फिर भी सावधानी कभी छोड़नी नहीं चाहिए, क्योंकि प्रकृति कभी भी अपना रौद्र रूप दिखा सकती है। उम्मीद है यह झटका सिर्फ एक चेतावनी बनकर रह जाए और आगे कोई बड़ा हादसा न हो।



