Ghar Wapsi in Purnia Bihar: सीमांचल में 100 परिवारों ने ईसाई धर्म त्याग कर रचा इतिहास
Ghar Wapsi in Purnia Bihar: बिहार के सीमांचल क्षेत्र में इन दिनों एक बड़ी आध्यात्मिक और सामाजिक लहर देखी जा रही है। पूर्णिया जिले के बनमनखी में क्रिसमस के मौके पर एक ऐसा दृश्य सामने आया, जिसने धर्मांतरण के खेल पर सवाल खड़े कर दिए हैं। यहां 100 से अधिक परिवारों ने स्वेच्छा से ईसाई धर्म का त्याग कर सनातन धर्म में अपनी (Ghar Wapsi Ceremony) को संपन्न किया। यह सामूहिक आयोजन केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं था, बल्कि उन परिवारों की घर वापसी थी जो किसी न किसी कारणवश अपनी मूल जड़ों से कट गए थे। विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के नेतृत्व में आयोजित इस कार्यक्रम ने पूरे प्रदेश में चर्चा बटोरी है।
प्रलोभन और धोखे की साजिश का पर्दाफाश
इस घर वापसी कार्यक्रम में शामिल हुए परिवारों ने ईसाई मिशनरियों और पादरियों पर गंभीर आरोप लगाए हैं। बायसी प्रखंड के विभिन्न गांवों से आए इन लोगों का कहना है कि उन्हें गरीबी और लाचारी के समय तरह-तरह के प्रलोभन (Prohibition of Religious Conversion) देकर धर्म बदलने पर मजबूर किया गया था। सुरेंद्र राय और मीना देवी जैसे ग्रामीणों ने बताया कि शुरुआत में मदद का झांसा दिया गया, लेकिन धर्म परिवर्तन के बाद उन पर अपनी प्राचीन संस्कृति और देवी-देवताओं की पूजा छोड़ने का कड़ा दबाव बनाया जाने लगा।
विधि-विधान और मंत्रोच्चार के बीच शुद्धि
बनमनखी में आयोजित इस शुद्धि यज्ञ के दौरान वातावरण वेदमंत्रों की ध्वनि से गूंज उठा। बायसी थाना क्षेत्र के हरिनतोड गांव सहित कई अन्य इलाकों के परिवारों ने यज्ञ-हवन में आहुति देकर पुनः (Sanatan Dharma Traditions) को अंगीकार किया। सामूहिक मंत्रोच्चार के बीच सभी को दीक्षा दी गई और तिलक लगाकर उनका स्वागत किया गया। इन परिवारों का कहना है कि वे अपनी सभ्यता और परंपराओं पर हो रहे प्रहारों से आहत थे, जिसके कारण उन्होंने पहले स्थानीय थाने में शिकायत भी दर्ज कराई थी और अब अपनी मूल पहचान वापस पाकर वे गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं।
सीमांचल में धर्मांतरण के बढ़ते मामले और विवाद
विश्व हिंदू परिषद के बिहार-झारखंड धर्म प्रसार प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा ने इस अवसर पर कहा कि सीमांचल के जिलों में धर्मांतरण एक सोची-समझी रणनीति के तहत किया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि (Vishwa Hindu Parishad Mission) के तहत वे उन क्षेत्रों पर नजर रख रहे हैं जहाँ भोले-भाले आदिवासियों और पिछड़ों को लोभ या भय दिखाकर धर्म परिवर्तन कराया जाता है। कुशवाहा के अनुसार, यह घर वापसी इन परिवारों के आत्मबोध का परिणाम है, क्योंकि उन्हें एहसास हुआ कि वे अपनी गौरवशाली संस्कृति से दूर होकर एक गलत रास्ते पर चले गए थे।
संवैधानिक मर्यादा और स्वेच्छा का अधिकार
भारतीय संविधान में प्रत्येक नागरिक को अपनी पसंद के धर्म को मानने की आजादी है, लेकिन लालच या दबाव में कराया गया परिवर्तन कानूनी रूप से अपराध है। बनमनखी के इस कार्यक्रम ने यह संदेश दिया है कि (Freedom of Religion in India) का सही अर्थ अपनी आस्था को बिना किसी दबाव के चुनना है। घर वापसी करने वाले सुरेंद्र राय और कालू हरिजन ने अन्य ग्रामीणों से भावुक अपील की है कि वे किसी के बहकावे में न आएं। उन्होंने कहा कि अपनी आस्था का सौदा किसी प्रलोभन के लिए करना अंततः मानसिक और सांस्कृतिक गुलामी की ओर ले जाता है।