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Prakash Purab Guru Gobind Singh Ji: गुरु गोबिंद सिंह जी के प्रकाश पर्व पर श्रद्धा में झुका देश, पीएम भी हुए भावुक…

Prakash Purab Guru Gobind Singh Ji: आज समूचा भारत और विश्व भर में फैले उनके अनुयायी सिख धर्म के दसवें गुरु, श्री गुरु गोबिंद सिंह जी का पावन प्रकाशोत्सव मना रहे हैं। इस गौरवशाली अवसर पर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गुरु महाराज के साहस और बलिदान को याद करते हुए भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। प्रधानमंत्री ने स्पष्ट किया कि (Guru Gobind Singh Teachings) न केवल सिख पंथ के लिए बल्कि पूरी मानवता के लिए सत्य और न्याय की मशाल हैं। गुरु जी का जीवन हमें सिखाता है कि जब अधर्म बढ़ जाए, तो धर्म की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर करने से पीछे नहीं हटना चाहिए।

Prakash Purab Guru Gobind Singh Ji
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प्रधानमंत्री मोदी ने याद किया अटूट साहस और करुणा

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अपने संदेश में प्रधानमंत्री ने गुरु साहब की निस्वार्थ सेवा और कर्तव्यपरायणता को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि गुरु गोबिंद सिंह जी एक ऐसे योद्धा संत थे जिन्होंने (Human Dignity and Justice) की रक्षा के लिए अपना पूरा परिवार बलिदान कर दिया। प्रधानमंत्री ने देशवासियों को याद दिलाया कि कैसे गुरु जी ने एक कमजोर और डरी हुई जनता के भीतर अदम्य साहस भरकर उन्हें सिंह बना दिया। उनके जीवन का हर पल हमें धर्म के मार्ग पर अडिग रहने और पीड़ितों की सेवा करने की निरंतर प्रेरणा देता है।

पटना साहिब की यादें और श्रद्धा के पल

इस विशेष अवसर पर प्रधानमंत्री ने अपनी पटना साहिब यात्रा की पुरानी स्मृतियों को भी ताजा किया। उन्होंने तख्त श्री हरिमंदिर जी पटना साहिब की तस्वीरें साझा कीं, जहाँ उन्होंने गुरु गोबिंद सिंह जी और माता साहिब कौर जी के पवित्र ‘जोड़े साहिब’ के दर्शन किए थे। चूंकि पटना साहिब (Birthplace of Guru Gobind Singh) है, इसलिए इसकी महत्ता प्रकाश पर्व के दौरान और भी बढ़ जाती है। इन तस्वीरों के माध्यम से पीएम ने अपनी गहरी आध्यात्मिक आस्था को देश के साथ साझा किया और गुरु चरणों में अपना शीश नवाया।

राष्ट्रपति मुर्मू का एकता और सद्भाव का संदेश

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी देशवासियों को प्रकाश पर्व की बधाई देते हुए गुरु जी की शिक्षाओं को आज के समय में प्रासंगिक बताया। उन्होंने कहा कि गुरु गोबिंद सिंह जी ने समाज में व्याप्त असमानता को खत्म कर (Unity and Social Harmony) का सूत्रपात किया था। उनके अनुसार, गुरु साहब ने कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी अपने आदर्शों से समझौता नहीं किया। राष्ट्रपति ने आशा व्यक्त की कि उनकी दूरदर्शिता और सत्य के प्रति समर्पण की भावना हमें एक बेहतर समाज के निर्माण की ओर ले जाएगी, जहाँ हर व्यक्ति का सम्मान सुरक्षित हो।

जुल्म के खिलाफ एक ऐसी शक्ति का निर्माण

राष्ट्रपति ने अपने संदेश में गुरु जी द्वारा खालसा पंथ की स्थापना और उनके अजेय साहस का विशेष उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि कैसे गुरु गोबिंद सिंह जी ने अपने अनुयायियों को एक ऐसी शक्ति के रूप में संगठित किया, जो (Spirit of Self Respect) के साथ किसी भी बड़े विरोधी का डटकर मुकाबला कर सके। उन्होंने लोगों को सही रास्ते पर चलने और अन्याय के विरुद्ध आवाज उठाने के लिए प्रेरित किया। आज उनका प्रकाश पर्व हमें याद दिलाता है कि बुराई कितनी भी ताकतवर क्यों न हो, सच्चाई की जीत हमेशा सुनिश्चित होती है।

रोशनी से नहाए गुरुद्वारे और भक्ति का सैलाब

देशभर के गुरुद्वारों में आज प्रकाशोत्सव की रौनक देखते ही बनती है। दीपमालाओं और रंग-बिरंगी रोशनी से सजे धार्मिक स्थलों में ‘वाहेगुरु’ का नाम गूंज रहा है। इस दौरान (Traditional Gurpurab Celebrations) के तहत आनंद पाठ, कीर्तन और अरदास का आयोजन किया जा रहा है। उत्सव की शुरुआत कई दिन पहले ही प्रभात फेरियों के साथ हो गई थी, जिसमें श्रद्धालु भजन गाते हुए गलियों में निकलते हैं। यह पर्व केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि श्रद्धा, सेवा और सामुदायिक भाईचारे का एक महान उत्सव बन चुका है।

साहिबजादों का अमर बलिदान और वीर बाल दिवस

गुरु गोबिंद सिंह जी के प्रकाश पर्व की चर्चा उनके साहिबजादों के जिक्र के बिना अधूरी है। हाल ही में 26 दिसंबर को पूरे देश ने ‘वीर बाल दिवस’ मनाकर छोटे साहिबजादों—जोरावर सिंह और फतेह सिंह—की शहादत को याद किया। केवल नौ और छह वर्ष की कोमल आयु में उन्होंने (Supreme Sacrifice for Faith) का जो उदाहरण पेश किया, वह विश्व इतिहास में विरल है। प्रधानमंत्री मोदी ने 2022 में इस दिन को वीर बाल दिवस घोषित किया था ताकि आने वाली पीढ़ियां जान सकें कि धर्म की रक्षा के लिए इन नन्हें नायकों ने दीवार में चिन जाना स्वीकार किया, पर झुकना नहीं।

युगों-युगों तक प्रेरणा देता रहेगा गुरु जी का जीवन

अंततः श्री गुरु गोबिंद सिंह जी का प्रकाश पर्व हमें आत्म-चिंतन करने का अवसर देता है। उनका ‘संत-सिपाही’ वाला व्यक्तित्व (Inspiration for Generations) बनकर हमें बुराई से लड़ने और समाज की सेवा करने की शक्ति प्रदान करता है। आज जब दुनिया कई तरह के संघर्षों और वैचारिक मतभेदों से जूझ रही है, तब गुरु जी का ‘मानस की जात सबै एकै पहिचानबो’ का संदेश सबसे अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है। उनके दिखाए मार्ग पर चलकर ही हम एक न्यायपूर्ण और शांतिपूर्ण विश्व की कल्पना कर सकते हैं।

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