Assam Demographic Change Census 2027: बारूद के ढेर पर बैठा है असम, सीएम हिमंता बिस्वा सरमा ने दिया सबसे बड़ा बयान
Assam Demographic Change Census 2027: असम की राजनीति और सामाजिक ताने-बाने में इन दिनों एक नई हलचल देखी जा रही है। मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने राज्य की बदलती आबादी को लेकर जो दावे किए हैं, उन्होंने न केवल स्थानीय बल्कि राष्ट्रीय राजनीति में भी एक नई बहस छेड़ दी है। गुवाहाटी में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ने स्पष्ट रूप से (Assam Population Crisis) की ओर इशारा करते हुए कहा कि राज्य की जनसांख्यिकी अब उस मुहाने पर खड़ी है, जहां से वापसी का रास्ता बहुत कठिन हो सकता है। उनके अनुसार, असम की पहचान को बचाने के लिए यह सबसे महत्वपूर्ण समय है।
2027 की जनगणना और 40 फीसदी का खौफनाक आंकड़ा
मुख्यमंत्री ने आंकड़ों के जरिए अपनी बात रखते हुए कहा कि साल 2027 में होने वाली अगली जनगणना राज्य की पूरी तस्वीर साफ कर देगी। उनका दावा है कि इस जनगणना के बाद यह आधिकारिक रूप से सिद्ध हो जाएगा कि (Bangladeshi Muslim Population) अब राज्य की कुल आबादी का लगभग 40 प्रतिशत हिस्सा बन चुकी है। सरमा ने चेतावनी दी कि अगर वर्तमान रुझान जारी रहा, तो राज्य के मूल निवासियों का अस्तित्व अपने ही घर में अल्पसंख्यक के रूप में तब्दील हो सकता है, जो एक गंभीर चिंता का विषय है।
2011 से 2027 तक के सफर का सांख्यिकीय विश्लेषण
सीएम सरमा ने पिछली जनगणनाओं का हवाला देते हुए बताया कि 2011 में मुस्लिम आबादी करीब 34 प्रतिशत थी। उनके विश्लेषण के अनुसार, यदि इसमें से 3 प्रतिशत असमी मुसलमानों को अलग कर दिया जाए, तो (Illegal Migrants in Assam) की संख्या उस वक्त भी काफी अधिक थी। उन्होंने तर्क दिया कि 2021 में जनगणना न होने के कारण सटीक स्थिति सामने नहीं आ पाई, लेकिन 2027 तक यह आंकड़ा 40 प्रतिशत की सीमा को पार कर जाएगा। यह वृद्धि राज्य के संसाधनों और संस्कृति पर भारी दबाव डाल रही है।
बारूद के ढेर पर बैठा असम और सुरक्षा की चुनौतियां
हाल ही में एक मीडिया कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ने राज्य की तुलना ‘बारूद के ढेर’ से कर डाली। उन्होंने कहा कि चिंता केवल बढ़ती आबादी की नहीं है, बल्कि इस बात की है कि (National Security Concerns) अब बढ़ते जा रहे हैं क्योंकि कई अवैध प्रवासियों को व्यवस्था के भीतर किसी न किसी तरह वैधता मिल चुकी है। मुख्यमंत्री का मानना है कि यह स्थिति केवल असम के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे देश की अखंडता और आंतरिक सुरक्षा के लिए एक बहुत बड़ा खतरा साबित हो सकती है।
राज्य की मूल पहचान और संस्कृति पर मंडराता खतरा
हिमंता बिस्वा सरमा ने अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि जिस तरह से जनसांख्यिकी बदल रही है, उससे असम की मूल पहचान पूरी तरह खतरे में है। उनका तर्क है कि (Assamese Cultural Identity) को बचाए रखने के लिए कड़े कानूनी और प्रशासनिक कदमों की जरूरत है। अगर स्थानीय लोगों की जमीन, रोजगार और संसाधनों पर बाहरी लोगों का कब्जा इसी तरह बढ़ता रहा, तो आने वाली पीढ़ियों के लिए असम वह नहीं रहेगा जैसा वह ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से रहा है।
अवैध घुसपैठियों के खिलाफ सरमा सरकार का ‘जीरो टॉलरेंस’
मुख्यमंत्री का यह बयान उनकी सरकार की उस सख्त नीति का हिस्सा है, जिसके तहत अवैध अप्रवासियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा रही है। उन्होंने राज्य के सभी डिप्टी कमिश्नर्स को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि वे (Deportation of Illegal Migrants) की प्रक्रिया में तेजी लाएं। जो लोग ट्रिब्यूनल द्वारा विदेशी घोषित किए जा चुके हैं, उन्हें चिन्हित कर निष्कासित करने की योजना पर काम शुरू हो चुका है। सरकार ने साफ कर दिया है कि राज्य में अवैध निवास के साथ कोई समझौता नहीं किया जाएगा।
1950 का निष्कासन अधिनियम और कानूनी शिकंजा
असम सरकार अब अवैध प्रवासियों को हटाने के लिए ‘अप्रवासी (असम से निष्कासन) अधिनियम, 1950’ का कड़ाई से पालन करने जा रही है। यह कानून राज्य सरकार को उन लोगों को बाहर निकालने की शक्ति प्रदान करता है जिनका रहना (Public Interest in Assam) के खिलाफ और आम जनता के हितों के लिए हानिकारक माना जाता है। पुलिस, सीमा सुरक्षा बल (BSF) और अन्य प्रवर्तन एजेंसियां मिलकर बांग्लादेश प्रत्यर्पण के लिए एक ठोस ढांचा तैयार कर रही हैं ताकि प्रशासनिक आदेशों के जरिए घुसपैठ पर लगाम लगाई जा सके।
देश के हितों की रक्षा का बड़ा संकल्प
अंत में मुख्यमंत्री ने दोहराया कि उनकी सरकार का लक्ष्य केवल राजनीति करना नहीं, बल्कि राज्य के मूल निवासियों के अधिकारों की रक्षा करना है। उन्होंने कहा कि (Border Security Management) और आंतरिक निगरानी को और मजबूत किया जाएगा ताकि भविष्य में घुसपैठ की संभावनाओं को शून्य किया जा सके। 2027 की जनगणना को लेकर दिया गया उनका बयान इस बात का संकेत है कि आने वाले वर्षों में असम की राजनीति का केंद्र बिंदु जनसंख्या नियंत्रण और अवैध घुसपैठ ही रहने वाला है।