बिहार

Bihar Police Murder Case Mystery: पिता की अर्थी और नौकरी का लालच, बाहर आया रिटायरमेंट से पहले हवलदार पशुपति नाथ की मौत का सच

Bihar Police Murder Case Mystery: बिहार के भोजपुर जिले से एक ऐसी खबर सामने आई है जिसने मानवीय संवेदनाओं को झकझोर कर रख दिया है। चांदी थाना क्षेत्र के भगवतपुर गांव में छह दिन पहले हुई झारखंड पुलिस के हवलदार पशुपति नाथ तिवारी की हत्या ने (Sensational Crime News) इलाके में सनसनी फैला दी थी। पुलिस की तफ्तीश में जो सच निकलकर सामने आया, उसने न केवल कानून के हाथ मजबूत किए बल्कि समाज के चेहरे पर भी कालिख पोत दी। जिस पिता ने बेटे को उंगली पकड़कर चलना सिखाया, उसी बेटे ने अपने पिता के जीवन की डोर काट दी।

Bihar Police Murder Case Mystery
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इकलौता वारिस ही निकला जान का दुश्मन

सदर एसडीपीओ-2 रंजीत कुमार सिंह ने एक प्रेस वार्ता के दौरान इस जघन्य हत्याकांड का चौंकाने वाला खुलासा किया। जांच में पाया गया कि पशुपति नाथ तिवारी की हत्या की साजिश (Criminal Conspiracy Investigation) किसी बाहरी दुश्मन ने नहीं, बल्कि उनके अपने इकलौते बेटे विशाल तिवारी ने रची थी। विशाल ही इस पूरे हत्याकांड का मास्टरमाइंड निकला, जिसने लालच के वशीभूत होकर अपने पिता के खून से हाथ रंगे। इस खुलासे के बाद गांव के लोग स्तब्ध हैं, क्योंकि किसी ने सोचा भी नहीं था कि विशाल ऐसा कदम उठा सकता है।

हत्यारा बेटा और हजारीबाग का मददगार दोस्त गिरफ्तार

पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए हत्यारे बेटे विशाल तिवारी को गिरफ्तार कर लिया है। लेकिन वह इस वारदात में अकेला नहीं था; पुलिस ने उसके एक करीबी दोस्त मो. जिशान अहमद जिलानी को भी धर दबोचा है। जिशान (Accused Arrest Operations) झारखंड के हजारीबाग जिले के लोसिंगना थाना क्षेत्र का रहने वाला है। पुलिस के मुताबिक, जिशान ने विशाल की योजना को अंजाम देने में सक्रिय भूमिका निभाई थी। इन दोनों की गिरफ्तारी ने हत्याकांड की उन कड़ियों को जोड़ दिया है जो अब तक अनसुलझी पहेली बनी हुई थीं।

अनुकंपा की नौकरी और मौत का गणित

इस कत्ल के पीछे की वजह जानकर किसी का भी कलेजा कांप उठेगा। पुलिस जांच में यह बात साफ हुई है कि विशाल अपने पिता की जगह अनुकंपा पर सरकारी नौकरी (Compassionate Appointment Greed) पाना चाहता था। उसे डर था कि यदि पिता स्वस्थ रहते हुए अगले महीने जनवरी में रिटायर हो गए, तो उसकी नौकरी का यह मौका हमेशा के लिए हाथ से निकल जाएगा। नौकरी के इसी अंधे लालच ने उसे एक जल्लाद बना दिया और उसने अपने पिता के सेवानिवृत्त होने से महज कुछ दिन पहले ही उन्हें मौत के घाट उतारने का फैसला कर लिया।

जमीन की रजिस्ट्री और पैसों का खूनी विवाद

सिर्फ नौकरी ही नहीं, बल्कि संपत्ति का मोह भी इस हत्या की एक बड़ी वजह बना। पशुपति नाथ तिवारी और उनके बेटे के बीच जमीन की रजिस्ट्री और घर के खर्चों के पैसों को लेकर (Family Property Dispute) लंबे समय से तनातनी चल रही थी। विशाल चाहता था कि पिता जमीन उसके नाम कर दें और उसे मोटी रकम दें। पिता के इनकार ने बेटे के भीतर नफरत की आग भर दी। पारिवारिक कलह जब चरम पर पहुंची, तो विशाल ने अपने दोस्त के साथ मिलकर उस इंसान को ही रास्ते से हटा दिया जिसने उसे जन्म दिया था।

जनवरी में रिटायरमेंट और बढ़ती बेचैनी

मृतक पशुपति नाथ तिवारी झारखंड पुलिस में हवलदार के पद पर तैनात थे और जनवरी 2026 में सम्मान के साथ सेवानिवृत्त होने वाले थे। वे अपनी छुट्टी बिताने अपने पैतृक गांव भगवतपुर आए थे। उन्हें (Police Personnel Security) इस बात का अंदाजा भी नहीं था कि उनके घर का आंगन ही उनके लिए वधशाला बन जाएगा। जैसे-जैसे जनवरी का महीना करीब आ रहा था, विशाल की बेचैनी बढ़ती जा रही थी। उसे लगा कि पिता के रिटायर होते ही उसकी सारी योजनाएं धरी की धरी रह जाएंगी, जिसके बाद उसने खौफनाक वारदात को अंजाम दिया।

जुर्म का कबूलनामा और साक्ष्यों की बरामदगी

एसडीपीओ रंजीत कुमार सिंह के नेतृत्व में हुई कड़ी पूछताछ के सामने विशाल और उसके दोस्त जिशान ज्यादा देर तक टिक नहीं पाए। दोनों आरोपितों ने अपना गुनाह (Confession of Crime) कुबूल कर लिया है। उनकी निशानदेही पर पुलिस ने हत्या में इस्तेमाल किए गए साक्ष्य भी बरामद कर लिए हैं। पुलिस का कहना है कि आरोपितों ने बहुत ही शातिर तरीके से सबूत मिटाने की कोशिश की थी, लेकिन वैज्ञानिक साक्ष्यों और तकनीकी जांच के आगे उनकी चालाकी धरी रह गई। अब दोनों को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।

समाज के लिए एक बड़ा और कड़वा सबक

भोजपुर की इस घटना ने एक बार फिर यह बहस छेड़ दी है कि क्या आज की युवा पीढ़ी संस्कारों से इतनी दूर हो गई है कि वे चंद रुपयों और नौकरी के लिए अपने ही माता-पिता का लहू बहाने से नहीं हिचकिचाते? यह (Ethical Social Values) पतन की पराकाष्ठा है। पुलिस अब इस मामले में स्पीडी ट्रायल चलाने की तैयारी कर रही है ताकि दोषियों को जल्द से जल्द सजा मिल सके। भगवतपुर गांव में पशुपति नाथ तिवारी का घर आज वीरान है, और गांव की गलियों में सिर्फ उस बेटे की चर्चा है जिसने ‘पूत कपूत’ वाली कहावत को सच कर दिखाया।

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