Maharashtra Local Body Election Results: महाराष्ट्र में महायुति का प्रचंड प्रहार, सहयोगियों के लिए खतरे की घंटी है भाजपा की यह बड़ी जीत…
Maharashtra Local Body Election Results: महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार फिर महायुति का परचम लहराया है। हाल ही में संपन्न हुए नगर पंचायत और नगर परिषद के चुनावों में भारतीय जनता पार्टी, शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (अजित पवार) के गठबंधन ने विपक्ष का पूरी तरह सूपड़ा साफ कर दिया है। राज्य की कुल 288 स्थानीय निकायों में से महायुति ने 215 सीटों पर जीत दर्ज कर (Election Victory Margin) एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है। आंकड़ों के लिहाज से देखें तो गठबंधन ने लगभग 75 प्रतिशत निकायों पर कब्जा जमा लिया है, जो राज्य की जमीनी राजनीति में उनकी गहरी पैठ को दर्शाता है।
Maharashtra Local Body Election Results
भाजपा का ‘शत प्रतिशत’ लक्ष्य और बढ़ता कद
विधानसभा चुनाव (Maharashtra Local Body Election Results) की शानदार सफलता के बाद भारतीय जनता पार्टी ने स्थानीय चुनावों में भी अपनी बादशाहत कायम रखी है। इस चुनाव में भाजपा सबसे बड़े दल के रूप में उभरकर सामने आई है, जिसने अकेले 129 अध्यक्ष पदों पर जीत हासिल की है। पार्टी के रणनीतिकारों का मानना है कि यह (Political Leadership Dominance) केवल एक चुनावी जीत नहीं है, बल्कि भाजपा के उस ‘शत प्रतिशत’ लक्ष्य की ओर बढ़ता हुआ एक मजबूत कदम है, जहां पार्टी भविष्य में अपने दम पर सत्ता संभालने का ख्वाब देख रही है।
दो चरणों में संपन्न हुआ लोकतंत्र का उत्सव
महाराष्ट्र के इस चुनावी दंगल के लिए दो अलग-अलग चरणों में मतदान प्रक्रिया पूरी की गई थी। 2 दिसंबर और 20 दिसंबर को हुए मतदान में कुल 286 निकायों के लिए जनता ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। इनमें 246 नगर परिषद और 40 से अधिक नगर पंचायतें शामिल थीं। (Voter Turnout Analysis) के अनुसार, पहले चरण में भारी उत्साह के साथ 67 प्रतिशत मतदान हुआ, जबकि दूसरे चरण में यह आंकड़ा 47 प्रतिशत के करीब रहा। रविवार की सुबह जैसे ही मतगणना शुरू हुई, रुझानों ने स्पष्ट कर दिया कि राज्य की जनता विकास के एजेंडे के साथ खड़ी है।
सहयोगियों के बीच ‘फ्रेंडली फाइट’ और सीटों का गणित
इस चुनाव की सबसे दिलचस्प बात यह रही कि महायुति के घटक दलों के बीच कई सीटों पर दोस्ताना मुकाबला भी देखने को मिला। जहां भाजपा ने 129 सीटें जीतीं, वहीं मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की शिवसेना ने 51 और अजित पवार की एनसीपी ने 35 सीटों पर कब्जा जमाया। हालांकि, कुछ जगहों पर (Internal Coalition Dynamics) के चलते गठबंधन के साथियों ने एक-दूसरे को कड़ी टक्कर दी। उदाहरण के तौर पर, कणकवली और पालघर जैसी जगहों पर शिवसेना ने भाजपा को मात दी, तो वहीं लोहा में अजित पवार के प्रत्याशी, जिनका नाम इत्तेफाक से ‘शरद पवार’ है, उन्होंने भाजपा प्रत्याशी को धूल चटा दी।
सहयोगियों के मन में पैदा हुई भविष्य की चिंता
भाजपा की इस एकतरफा जीत ने उसके गठबंधन सहयोगियों के माथे पर चिंता की लकीरें खींच दी हैं। जिस तरह से भाजपा ने आक्रामक प्रचार किया, उससे यह संकेत मिलता है कि पार्टी अब किसी बैसाखी के बिना आगे बढ़ने की तैयारी में है। विशेषज्ञों का मानना है कि (Alliance Partner Relations) पर इन नतीजों का गहरा असर पड़ेगा, क्योंकि भाजपा के बढ़ते प्रभाव के बीच शिवसेना और एनसीपी (अजित पवार) के लिए अपना अस्तित्व बचाए रखना एक बड़ी चुनौती साबित हो सकता है। यह जीत भाजपा कार्यकर्ताओं के आत्मविश्वास को सातवें आसमान पर ले गई है।
विपक्ष के लिए अस्तित्व का गंभीर संकट
विपक्षी खेमे के लिए ये नतीजे किसी बड़े झटके से कम नहीं हैं। विधानसभा चुनाव की हार के बाद स्थानीय चुनावों में भी महाविकास अघाड़ी का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा है। शिवसेना (यूबीटी) और एनसीपी (शरद पवार) जैसे दल सीटों के मामले में दहाई के आंकड़े तक पहुंचने के लिए भी संघर्ष करते नजर आए। (Opposition Unity Challenges) अब और बढ़ने वाली हैं, क्योंकि आने वाले कुछ ही हफ्तों में बीएमसी के चुनाव होने हैं। अगर विपक्ष ने अपनी रणनीति नहीं बदली, तो मुंबई जैसे गढ़ को बचाना उनके लिए नामुमकिन हो जाएगा।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का सकारात्मक संदेश
जीत के बाद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने बेहद सधा हुआ बयान जारी किया। उन्होंने इस सफलता का श्रेय संगठन और सरकार के सामूहिक प्रयासों को दिया। फडणवीस ने कहा कि उन्होंने (Development Agenda Focus) के आधार पर ही जनता से वोट मांगे थे और कभी भी विपक्षी नेताओं पर व्यक्तिगत टिप्पणी नहीं की। उनका मानना है कि जनता ने उनके सकारात्मक दृष्टिकोण और भविष्य की योजनाओं पर मुहर लगाई है। उन्होंने इसे राज्य के विकास की जीत करार दिया।
आगामी नगर निगम चुनावों के लिए तैयार होती जमीन
15 जनवरी को होने वाले नगर निगम चुनाव अब राजनीतिक दलों के लिए अगला बड़ा पड़ाव हैं। स्थानीय निकाय चुनाव के इन नतीजों ने महायुति के कार्यकर्ताओं में नया जोश भर दिया है। खासकर मुंबई महानगरपालिका (BMC Election Strategy) को लेकर अब भाजपा और उसके सहयोगियों का मनोबल काफी ऊंचा है। ये नतीजे इस बात का प्रमाण हैं कि महाराष्ट्र की ग्रामीण और शहरी दोनों ही जनता फिलहाल महायुति के नेतृत्व पर भरोसा जता रही है, जो विपक्ष के लिए खतरे की घंटी है।