Conversion Cases in India: जानें पिंकी से आफरीन बनने के पीछे का काला सच, प्यार के जाल में ही छिपा था मजहबी खेल…
Conversion Cases in India: सोनभद्र के दुद्धी ब्लॉक के बघाडू गांव से एक ऐसी कहानी निकलकर सामने आई है, जिसने समाज और सुरक्षा एजेंसियों के कान खड़े कर दिए हैं। जिस बेटी के लिए पिता अशर्फीलाल ने बृहस्पतिवार को मीडिया के सामने अपनी व्यथा सुनाई थी, अब उस बेटी की पूरी पहचान ही बदल चुकी है। जो लड़की कभी ‘पिंकी’ हुआ करती थी, वह अब अनपरा क्षेत्र में ‘आफरीन’ बनकर रह रही है। इस मामले में (Interfaith Marriage Controversies) के गंभीर आरोप लगे हैं, जिसमें दावा किया गया है कि एक शादीशुदा युवक ने उसे बहला-फुसलाकर अपनी पहचान बदलने पर मजबूर किया।
आजम का मायाजाल और दो बीवियों का सच
आरोप है कि आजम नामक व्यक्ति ने पिंकी को अपने झांसे में फंसाया और उसका धर्म परिवर्तन कराकर निकाह कर लिया। चौंकाने वाली बात यह है कि आजम पहले से ही दो शादियों का बोझ उठा रहा था। सूत्रों के अनुसार, (Polygamy Legal Issues) के बावजूद उसने पिंकी को अपनी तीसरी पत्नी बनाया। आजम की पहली दो पत्नियां झारखंड और महुली क्षेत्र की रहने वाली बताई जा रही हैं। यह मामला केवल प्रेम प्रसंग का नहीं, बल्कि एक सोची-समझी साजिश का हिस्सा नजर आ रहा है, जिसकी अब बारीकी से जांच की जा रही है।
2022 से चल रहा इंसाफ का लंबा संघर्ष
पीड़ित पिता अशर्फीलाल के अनुसार, यह पूरा विवाद वर्ष 2022 में शुरू हुआ था। उन्होंने अपनी बेटी पिंकी की शादी मई 2022 में दुद्धी के कटौंधी में बड़े अरमानों के साथ की थी। लेकिन शादी के महज दो महीने बाद ही (Missing Person Investigation) का सिलसिला शुरू हो गया, जब आजम कथित तौर पर उसे जबरन उठाकर ले गया। पिता ने कोतवाली में आजम, उसके भाई और चाचा के खिलाफ नामजद एफआईआर दर्ज कराई थी, लेकिन पुलिस ने युवती को बालिग करार देते हुए महज 42 दिनों में केस की फाइल बंद कर दी थी।
जमीन और रजिया के नाम का संदिग्ध कनेक्शन
इस मामले में केवल धर्म परिवर्तन ही नहीं, बल्कि करोड़ों की जमीन के हेरफेर का मामला भी जुड़ गया है। कनहर परियोजना के विस्थापन लाभों को हासिल करने के लिए ‘रजिया’ नाम के एक पात्र का इस्तेमाल किया गया। तहसीलदार न्यायालय के पुराने दस्तावेजों से पता चलता है कि (Land Record Forgery) के जरिए सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने की कोशिश की गई। रजिया के नाम वाली जमीनों का विक्रय कनहर नहर परियोजना को किया गया, जिसमें कई विसंगतियां पाई गई हैं जो अब राजस्व विभाग के रडार पर हैं।
दुलरिया से रजिया बनी महिला का अजीबोगरीब बयान
जब जमीनों के बैनामे पर सवाल उठे, तो रजिया ने तहसील प्रशासन के सामने पेश होकर अपनी सफाई दी। उसने बताया कि शादी से पहले उसका नाम दुलरिया था और वह जाति से हिंदू (पनिका) थी। उसने 46 साल पहले झारखंड के गढ़वा में बहादुर अली से कोर्ट मैरिज की थी। रजिया का दावा है कि उसने (Property Transfer Disputes) के तहत जमीन बेची नहीं, बल्कि अपने सगे भांजों को दान में दी है। हालांकि, उसके इस बयान और सरकारी दस्तावेजों के बीच के विरोधाभास ने जांच को और उलझा दिया है।
दिल्ली के खरीदार और अकृषिक भूमि का खेल
जांच में एक और सनसनीखेज पहलू सामने आया है कि रजिया के जरिए अनुसूचित जनजाति की जमीनों को धारा 80 के तहत अकृषिक घोषित कराया गया। इसके बाद महज चार महीने के भीतर इन कीमती जमीनों को दिल्ली के जामिया नगर निवासी मुजफ्फर आलम को बेच दिया गया। इस (Real Estate Scam Investigation) में नायब तहसीलदार की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि उन्होंने लेखपाल के अनुकूल बयान के आधार पर तत्काल नामांतरण के आदेश पारित कर दिए थे। सितंबर 2025 में भी इसी तरह का एक और बैनामा गुलाम जीलानी के नाम किया गया।
भाजपा और स्थानीय प्रशासन की सक्रियता
सोनभद्र में बढ़ते इन मामलों को देखते हुए भाजपा जिलाध्यक्ष नंदलाल गुप्ता ने इसे एक गंभीर मुद्दा बताया है। उन्होंने कार्यकर्ताओं को निर्देश दिए हैं कि वे गलत तरीके से हो रहे धर्म परिवर्तन और जमीन कब्जाने की गतिविधियों पर (Political Vigilance in UP) बनाए रखें। भाजपा का इरादा इन मामलों की एक विस्तृत सूची तैयार कर मुख्यमंत्री को सौंपने और उच्चस्तरीय जांच की मांग करने का है। स्थानीय प्रशासन ने भी माना है कि दस्तावेजों के साथ छेड़छाड़ हुई है और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
न्याय की उम्मीद और कानून का शिकंजा
दुद्धी के एसडीएम निखिल यादव ने स्पष्ट किया है कि जमीनों से जुड़े फर्जीवाड़े की जांच शुरू कर दी गई है और जो भी अधिकारी या व्यक्ति इसमें शामिल पाया जाएगा, उसे बख्शा नहीं जाएगा। वहीं, सीओ राजेश कुमार राय ने बताया कि (Police Legal Action) के तहत पुराने मामले की जांच जारी है। यदि पीड़ित पक्ष नए तथ्यों के साथ शिकायत करता है, तो पुलिस त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित करेगी। पिंकी से आफरीन बनने के इस सफर में छिपे कानूनी और सामाजिक पहलुओं ने पूरे उत्तर प्रदेश के प्रशासनिक हलकों में हलचल पैदा कर दी है।