Indian Judiciary System Updates: जब पूरा देश मनाएगा क्रिसमस का जश्न, तब CJI सूर्यकांत सुनेंगे ‘इमरजेंसी’ केस…
Indian Judiciary System Updates: भारत के मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत ने न्यायपालिका की संवेदनशीलता को दोहराते हुए एक ऐतिहासिक और सराहनीय पहल की है। उन्होंने शुक्रवार को यह स्पष्ट कर दिया कि भले ही सर्वोच्च न्यायालय में शीतकालीन अवकाश शुरू हो रहा हो, लेकिन देश के नागरिकों के लिए न्याय की चौखट कभी पूरी तरह बंद नहीं होगी। मुख्य न्यायाधीश ने घोषणा की कि वे स्वयं 22 दिसंबर को, जो क्रिसमस और नए साल की छुट्टियों का पहला आधिकारिक दिन है, अत्यंत आवश्यक और गंभीर मामलों की सुनवाई के लिए उपलब्ध रहेंगे। (Constitutional Justice Delivery) की इस प्रतिबद्धता ने कानूनी गलियारों में एक नई चर्चा छेड़ दी है।
रजिस्ट्री और केस वेरिफिकेशन का सख्त पहरा
सीजेआई सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ, जिसमें न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची और न्यायमूर्ति विपुल एम पंचोली भी शामिल हैं, ने स्पष्ट किया कि हर मामले को छुट्टियों में नहीं सुना जाएगा। कोर्ट केवल उन्हीं फाइलों को स्वीकार करेगा जिनकी तात्कालिकता का रजिस्ट्री द्वारा गंभीरता से सत्यापन किया जाएगा। इस (Legal Case Urgency) को परखने के बाद ही मामलों को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाएगा। पीठ का मानना है कि छुट्टियों का समय केवल तभी इस्तेमाल होना चाहिए जब मामला वास्तव में किसी के मौलिक अधिकारों या जीवन से जुड़ा हो।
साथी न्यायाधीशों के कार्यभार का रखा खास ख्याल
चीफ जस्टिस सूर्यकांत ने एक बेहद भावनात्मक और पेशेवर रुख अपनाते हुए कहा कि वे अन्य न्यायाधीशों पर अतिरिक्त दबाव नहीं डालना चाहते। उन्होंने स्पष्ट किया कि वे नहीं चाहते कि उनके साथी न्यायाधीशों को छुट्टियों के दौरान देर रात तक नई फाइलों का अध्ययन करने की तकलीफ उठानी पड़े। (Judicial Management Efficiency) को ध्यान में रखते हुए उन्होंने स्वयं इस जिम्मेदारी को संभालने का निर्णय लिया है। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि वे किसी अन्य बेंच को परेशान किए बिना खुद सोमवार को बैठकर आवश्यक सुनवाई पूरी करेंगे।
बेंच गठन और सुनवाई की प्रक्रिया पर फैसला
सुनवाई के दौरान यह सवाल भी उठा कि उस दिन कितनी बेंच बैठेंगी। इस पर सीजेआई ने स्पष्ट किया कि बेंचों की संख्या पूरी तरह से उन मामलों पर निर्भर करेगी जिन्हें रजिस्ट्री द्वारा “अत्यावश्यक” श्रेणी में रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि मामलों की संख्या के आधार पर वे (Special Bench Formation) के लिए उचित आदेश पारित करेंगे। यदि केस कम हुए तो एक बेंच और यदि संख्या अधिक रही तो दो बेंचों का गठन किया जा सकता है, ताकि न्याय की गति धीमी न पड़े।
युवा वकीलों को मिला अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका
सुप्रीम कोर्ट की इस विशेष सुनवाई में एक और दिलचस्प बात सामने आई। मुख्य न्यायाधीश ने कनिष्ठ वकीलों को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि वे 22 दिसंबर को अपने मुवक्किलों का पक्ष स्वयं रखें। उन्होंने एक जूनियर वकील से मुस्कुराते हुए कहा कि मामले की सुनवाई तभी होगी जब वे खुद बहस करेंगे। (Advocate Professional Growth) की दिशा में इसे एक बड़ी पहल माना जा रहा है, क्योंकि अक्सर बड़े मामलों में कनिष्ठ वकीलों को बोलने का मौका नहीं मिल पाता। इससे नए वकीलों का आत्मविश्वास बढ़ेगा और वे शीर्ष अदालत की बारीकियों को समझ पाएंगे।
अवैध फोन टैपिंग और बेटिंग ऐप्स पर रहेगी नजर
छुट्टियों से ठीक पहले शुक्रवार का दिन भी सुप्रीम कोर्ट में काफी गहमागहमी भरा रहने वाला है। अदालत तेलंगाना के बहुचर्चित अवैध फोन टैपिंग मामले के मुख्य आरोपी टी प्रभाकर राव की याचिका पर अपना रुख स्पष्ट करेगी। इसके साथ ही, (Cyber Law Enforcement) के दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण ‘ऑनलाइन बेटिंग ऐप्स’ के मामले की भी सुनवाई होनी है। ये दोनों ही मामले राष्ट्रीय सुरक्षा और सार्वजनिक हितों से गहराई से जुड़े हुए हैं, इसलिए इन पर सबकी नजरें टिकी हुई हैं।
शीतकालीन अवकाश की समयसीमा और न्यायिक सक्रियता
सुप्रीम कोर्ट के कैलेंडर के अनुसार, क्रिसमस और नए साल के उपलक्ष्य में अदालत 22 दिसंबर से 2 जनवरी, 2026 तक बंद रहने वाली है। हालांकि, सीजेआई की यह विशेष पहल दर्शाती है कि (Judicial Accountability Standards) अब नए आयाम छू रहे हैं। छुट्टियों के पहले दिन सुनवाई के लिए बैठने का निर्णय यह संदेश देता है कि न्याय की प्रक्रिया किसी भी त्योहार या छुट्टी की मोहताज नहीं है। यह उन वादियों के लिए बड़ी राहत है जिनके मामले अंतिम चरण में हैं या जिन्हें तत्काल राहत की आवश्यकता है।
न्यायपालिका की बदली हुई कार्यशैली और डिजिटल दौर
मुख्य न्यायाधीश के इस फैसले को बदलते हुए भारत की न्यायिक संस्कृति के तौर पर भी देखा जा रहा है। जहां एक ओर मामलों के बोझ को कम करने की चुनौती है, वहीं दूसरी ओर सीजेआई का यह समर्पण जनता के बीच कोर्ट की विश्वसनीयता को और मजबूत करता है। (Supreme Court Vacation Bench) के कामकाज को अक्सर लोग केवल कागजी कार्रवाई समझते थे, लेकिन स्वयं मुख्य न्यायाधीश का मैदान में उतरना एक प्रेरणादायक कदम है। इससे न केवल मुकदमों का निपटारा होगा, बल्कि यह भविष्य के लिए एक मिसाल भी कायम करेगा।