Winter Overeating Health Risks: क्या आपको मौत के करीब धकेल रही है सर्दियों में बार-बार खाने की लत…
Winter Overeating Health Risks: उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में कड़ाके की ठंड ने दस्तक दे दी है, और इसके साथ ही लोगों की खाने की आदतों में एक गहरा बदलाव महसूस किया जा रहा है। क्या आपने कभी सोचा है कि गर्म कपड़ों की परतों के बावजूद हमें बार-बार भूख क्यों लगती है? विज्ञान कहता है कि जब पारा गिरता है, तो हमारा शरीर अपने भीतरी तापमान को स्थिर रखने के लिए (Body Thermoregulation Process) की गति को बढ़ा देता है। इस प्रक्रिया में शरीर को सामान्य से कहीं अधिक ईंधन यानी कैलोरी की खपत करनी पड़ती है, जिसके कारण मेटाबॉलिज्म तेज हो जाता है और हमें रजाई में बैठे-बैठे भी कुछ न कुछ चबाने की तीव्र इच्छा होने लगती है।
विंटर ब्लूज और हार्मोन्स का मायाजाल
सर्दियों की छोटी दोपहरें और लंबी काली रातें केवल मौसम का बदलाव नहीं हैं, बल्कि ये हमारे मस्तिष्क के रसायनों को भी प्रभावित करती हैं। सूर्य की रोशनी कम मिलने की वजह से शरीर में सेरोटोनिन और मेलाटोनिन जैसे (Hormonal Imbalance Causes) सक्रिय हो जाते हैं, जिसे चिकित्सा की दुनिया में ‘विंटर ब्लूज’ या सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर कहा जाता है। इस सुस्ती और उदासी से निपटने के लिए हमारा दिमाग ‘कम्फर्ट फूड’ की मांग करता है। यही कारण है कि हम अक्सर भावनात्मक शांति के लिए अधिक चीनी और हाई-कैलोरी वाले खाद्य पदार्थों की ओर खिंचे चले जाते हैं, जो बाद में गंभीर पछतावे का कारण बनते हैं।
मेटाबॉलिक सिंड्रोम और पेट की जिद्दी चर्बी का खतरा
ठंड के मौसम में स्वाद की अधिकता और शारीरिक श्रम की कमी एक खतरनाक संयोजन तैयार करती है। सर्दियों में रजाई का मोह हमें व्यायाम से दूर कर देता है, जिससे (Metabolic Syndrome Risk) का स्तर काफी बढ़ जाता है। जब हम कैलोरी का सेवन तो बढ़ा देते हैं लेकिन उसे जलाने का कोई जरिया नहीं रखते, तो वह अतिरिक्त ऊर्जा शरीर के मध्य भाग, यानी पेट के आसपास वसा के रूप में जमा होने लगती है। यह बढ़ी हुई चर्बी न केवल आपके शारीरिक सौष्ठव को बिगाड़ती है, बल्कि फैटी लिवर और घुटनों के दर्द जैसी पुरानी बीमारियों की नींव भी रखती है।
धमनियों पर प्रहार और बढ़ता हुआ कोलेस्ट्रॉल
सर्दियों में तले-भुने पकवानों और मलाईदार व्यंजनों का मोह हमारे रक्त में बैड कोलेस्ट्रॉल (LDL) की मात्रा को बढ़ा देता है। ठंड के कारण हमारी रक्त कोशिकाएं पहले से ही थोड़ी संकुचित होती हैं, ऐसे में (Cardiovascular Health Management) एक बड़ी चुनौती बन जाता है। धमनियों में कोलेस्ट्रॉल का जमाव रक्त के प्रवाह में बाधा डालता है, जिससे दिल पर दबाव बढ़ता है। यही वह प्रमुख कारण है कि सर्दियों के दौरान हार्ट अटैक और स्ट्रोक जैसी घटनाओं में अचानक वृद्धि देखी जाती है। हृदय रोगियों के लिए इस मौसम में खान-पान की जरा सी भी कोताही जानलेवा साबित हो सकती है।
टाइप-2 डायबिटीज और इंसुलिन का बिगड़ता गणित
सर्दियों की शाम अक्सर गरमा-गरम चाय, कॉफी और मीठे बिस्कुटों के बिना अधूरी मानी जाती है, लेकिन यह आदत अग्न्याशय (पैनक्रियाज) के लिए किसी दुश्मन से कम नहीं है। लगातार कार्बोहाइड्रेट और मीठी चीजों के सेवन से शरीर में (Insulin Resistance Development) की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। जब रक्त में शुगर का स्तर बार-बार उछाल मारता है, तो इंसुलिन उसे नियंत्रित करने में अक्षम होने लगता है। परिणामस्वरूप, जो लोग पहले स्वस्थ थे, वे भी इस मौसम की गलत आदतों के कारण स्थायी रूप से टाइप-2 डायबिटीज की गिरफ्त में आ जाते हैं।
डिहाइड्रेशन और प्यास का भूख में बदलना
सर्दियों में प्यास का एहसास बहुत कम होता है, इसलिए हम पानी पीना कम कर देते हैं, जो एक बड़ी भूल है। हमारा मस्तिष्क अक्सर प्यास के संकेतों और भूख के संकेतों के बीच भ्रमित हो जाता है, जिसे (Dehydration and Hunger) का भ्रम कहा जाता है। जब शरीर को पानी की जरूरत होती है, तो हमें लगता है कि हमें भूख लगी है और हम पानी पीने के बजाय कुछ खा लेते हैं। दिन भर में पर्याप्त गुनगुना पानी पीना न केवल आपकी चयापचय क्रिया को दुरुस्त रखता है, बल्कि यह बेवजह की क्रेविंग को रोकने का सबसे प्रभावी और सस्ता उपाय भी है।
सर्दियों में स्वस्थ रहने के कारगर सुरक्षा उपाय
सर्दियों के मजे को किरकिरा किए बिना भी सेहतमंद रहा जा सकता है, बस जरूरत है थोड़े से अनुशासन की। अपनी डाइट में ऐसे तत्वों को शामिल करें जो फाइबर से भरपूर हों और जिन्हें पचाने में शरीर को समय लगे। (Nutritious Winter Diet) के तौर पर बाजरा, मक्का, रागी, बथुआ और मेथी जैसी मौसमी चीजों को अपनी थाली में जगह दें। सूप और सलाद का अधिक सेवन करें ताकि पेट भरा हुआ महसूस हो। भोजन को हमेशा धीरे-धीरे चबाकर खाएं, ताकि आपके दिमाग को तृप्ति का संदेश सही समय पर मिल सके और आप ओवरईटिंग से बच सकें।
दीर्घायु के लिए संतुलन का महत्व
ठंड का यह मौसम प्रकृति द्वारा दिए गए बेहतरीन फलों और सब्जियों का खजाना है। अपने (Healthy Lifestyle Choices) के प्रति सजग रहकर आप न केवल बीमारियों से बच सकते हैं, बल्कि अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ा सकते हैं। रजाई से बाहर निकलकर सुबह की ताजी धूप लें, ताकि सेरोटोनिन का स्तर प्राकृतिक रूप से बढ़े और आपको मीठा खाने की जरूरत महसूस न हो। याद रखें, आज की आपकी सतर्कता ही आपके कल के स्वस्थ जीवन की गारंटी है। जीभ के स्वाद के लिए अपनी अनमोल सेहत को दांव पर न लगाएं।