Persistent Depressive Disorder: क्या आपकी उदासी स्वभाव है या कोई गहरी बीमारी, ‘डिस्थायमिया’ के छिपे हुए संकेतों को पहचानना क्यों है जरूरी…
Persistent Depressive Disorder: क्या आप भी पिछले कई वर्षों से लगातार शरीर में थकान, काम के प्रति आलस और ऊर्जा की भारी कमी महसूस कर रहे हैं? कई बार हमें लगता है कि किसी काम में मन न लगना या हर समय दुखी रहना हमारी आदत बन चुकी है, लेकिन असल में यह आपके व्यक्तित्व का हिस्सा नहीं बल्कि एक मानसिक स्वास्थ्य स्थिति हो सकती है। जिसे हम स्वभाव मानकर नजरअंदाज कर देते हैं, उसे चिकित्सा विज्ञान की भाषा में (Dysthymia) कहा जाता है। यह एक ऐसी स्थिति है जहाँ इंसान को अपनी जिंदगी बोझ लगने लगती है, पर वह इसे अपनी नियति मानकर स्वीकार कर लेता है।
पर्सिस्टेंट डिप्रेसिव डिसऑर्डर की सूक्ष्म प्रकृति
चिकित्सा क्षेत्र में इसे ‘लो-ग्रेड डिप्रेशन’ या पर्सिस्टेंट डिप्रेसिव डिसऑर्डर (PDD) के नाम से जाना जाता है। हालांकि इसके लक्षण क्लिनिकल डिप्रेशन जितने तीव्र या जानलेवा महसूस नहीं होते, लेकिन इनकी अवधि बहुत लंबी होती है। अक्सर यह स्थिति (Long Term Depression) के रूप में दो साल या उससे अधिक समय तक बनी रहती है। इस विकार से जूझ रहा व्यक्ति समाज में सामान्य रूप से कार्य करता हुआ दिख सकता है, लेकिन भीतर ही भीतर वह मोटिवेशन की कमी और भविष्य के प्रति एक स्थायी निराशा का अनुभव करता रहता है।
डॉक्टर ऋचा तिवारी का इस विकार पर बड़ा खुलासा
मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉक्टर ऋचा तिवारी ने सोशल मीडिया पर इस गंभीर विषय को लेकर एक महत्वपूर्ण वीडियो साझा किया है। उन्होंने बताया कि डिस्थायमिया के साथ सबसे बड़ी समस्या यह है कि पीड़ित व्यक्ति को लगने लगता है कि “उसकी लाइफ ही ऐसी है”। डॉक्टर ऋचा के अनुसार (Mild Chronic Depression) का यह भ्रम इस बीमारी का ही एक हिस्सा है। लोग इसे अपना ओरिजिनल व्यक्तित्व समझने लगते हैं और कभी इलाज की दिशा में कदम नहीं बढ़ाते, जबकि सही पहचान के बाद इसका पूर्ण उपचार संभव है।
शरीर और मन पर डिस्थायमिया का धीरे-धीरे कब्जा
इस विकार के लक्षण इतने धीमे होते हैं कि ये कब आपके जीवन पर हावी हो जाते हैं, पता ही नहीं चलता। शारीरिक रूप से व्यक्ति को बहुत अधिक नींद आना या बिल्कुल नींद न आने की समस्या हो सकती है। इसके अलावा (Eating Habits Change) भी एक बड़ा संकेत है, जिसमें भूख या तो बिल्कुल खत्म हो जाती है या व्यक्ति बहुत अधिक खाने लगता है। मानसिक रूप से एकाग्रता की कमी, निर्णय लेने में असमर्थता और खुद को दूसरों की तुलना में कमतर आंकना इसके मुख्य लक्षण हैं।
जीवनशैली में बदलाव से तोडें उदासी की जंजीरें
डिस्थायमिया से लड़ने के लिए सबसे पहला और प्रभावी कदम अपनी लाइफस्टाइल को संतुलित करना है। नियमित व्यायाम करने से मस्तिष्क में ‘एंडोर्फिन’ नामक फील-गुड हार्मोन रिलीज होते हैं, जो मूड को प्राकृतिक रूप से सुधारते हैं। इसके साथ ही (Healthy Sleep Routine) बनाना और पोषक तत्वों से भरपूर आहार लेना आपके तंत्रिका तंत्र को वह शक्ति प्रदान करता है जो इस लो-ग्रेड डिप्रेशन से लड़ने के लिए जरूरी है। सामाजिक अलगाव के बजाय अपने करीबियों से बात करना इस नकारात्मक चक्र को तोड़ने में बहुत मददगार साबित होता है।
थेरेपी और डॉक्टरी परामर्श की अहम भूमिका
चूंकि यह एक लंबी अवधि का विकार है, इसलिए इसमें अक्सर विशेषज्ञ की सहायता की आवश्यकता पड़ती है। कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी (CBT) के माध्यम से उन नकारात्मक विचारों के पैटर्न को बदला जा सकता है जो वर्षों से आपके मन में घर कर गए हैं। कुछ विशेष मामलों में (Medical Treatment Consultation) के जरिए डॉक्टर ऐसी दवाएं भी दे सकते हैं जो मस्तिष्क में न्यूरोट्रांसमीटर के असंतुलन को ठीक करती हैं। यह समझना जरूरी है कि यह स्थिति लाइलाज नहीं है और आधुनिक चिकित्सा पद्धति में इसके प्रभावी समाधान मौजूद हैं।
कब समझें कि अब थेरेपिस्ट से मिलने का समय आ गया है
यदि आपकी उदासी या कम ऊर्जा आपके करियर, निजी रिश्तों या दैनिक दिनचर्या को सीधे तौर पर प्रभावित करने लगी है, तो आपको सतर्क हो जाना चाहिए। अगर यह स्थिति (Persistent Mood Disorder) के रूप में दो साल से अधिक समय से बनी हुई है और आपके स्वयं के प्रयास विफल हो रहे हैं, तो किसी प्रोफेशनल थेरेपिस्ट से मिलना अनिवार्य है। जब भविष्य को लेकर उम्मीदें खत्म होने लगें, तब एक विशेषज्ञ ही आपको इस मानसिक धुंध से बाहर निकाल कर एक खुशहाल जीवन की ओर ले जा सकता है।
व्यक्तित्व नहीं यह एक स्वास्थ्य चुनौती है
अंततः हमें यह स्वीकार करना होगा कि डिस्थायमिया कोई चरित्र दोष नहीं, बल्कि एक स्वास्थ्य स्थिति है। जिस तरह हम शारीरिक चोट का इलाज करवाते हैं, उसी तरह मानसिक स्वास्थ्य को भी प्राथमिकता देना आवश्यक है। (Emotional Well Being) को पुनः प्राप्त करना आपका अधिकार है। अपनी थकान और आलस को केवल ‘स्वभाव’ का नाम देना बंद करें और जागरूकता की ओर बढ़ें। याद रखें, आप अपनी उदासी से कहीं अधिक बड़े और सक्षम हैं; बस जरूरत है तो सही दिशा में एक छोटे से कदम और सही उपचार की।