उत्तर प्रदेश

Bahraich Leopard Attack: घर के सामने से मासूम को उठा ले गया तेंदुआ, गन्ने के खेत में मिली क्षत-विक्षत लाश

Bahraich Leopard Attack: उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में एक बार फिर आदमखोर वन्यजीव के हमले ने मानवता को झकझोर कर रख दिया है। बृहस्पतिवार की शाम सुजौली रेंज के अयोध्यापुरवा गांव में सन्नाटा उस वक्त चीख-पुकार में बदल गया, जब एक सात वर्षीय मासूम को (Man Eater Leopard) उसकी दहलीज से ही काल खींच ले गया। सात साल की मासूम आलमीन अपने घर के सामने बेफिक्र होकर खेल रही थी, उसे अंदाजा भी नहीं था कि पास ही गन्ने के खेतों में मौत घात लगाए बैठी है। जैसे ही तेंदुए ने झपट्टा मारा, गांव में अफरा-तफरी मच गई और लोग लाठी-डंडे लेकर दौड़ पड़े।

Bahraich Leopard Attack
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आंखों के सामने काल बनकर आया जंगली दरिंदा

बेटी की जान बचाने के लिए एक पिता की जद्दोजहद की कहानी सुनकर किसी भी पत्थर दिल इंसान की आंखें नम हो जाएं। पीड़िता के पिता मुनव्वर अली ने बिलखते हुए बताया कि उन्होंने अपनी आंखों के सामने (Leopard Predation Incident) अपनी लाडली को तेंदुए के जबड़े में फंसे देखा। उन्होंने अपनी पूरी ताकत झोंक दी ताकि मासूम आलमीन को उस दरिंदे से छुड़ा सकें, लेकिन गन्ने की ऊंची फसल और तेंदुए (Bahraich Leopard Attack) की फुर्ती के आगे पिता की ममता हार गई। तेंदुआ चंद सेकंडों में मासूम को झाड़ियों और खेतों के गहरे अंधेरे में खींच ले गया।

गन्ने के खेत में मिला मासूम का लहूलुहान शव

घटना की जानकारी मिलते ही ग्रामीणों और वन विभाग की संयुक्त टीमों ने टॉर्च और मशालों के साथ तलाशी अभियान शुरू किया। कई घंटों की कड़ी मशक्कत के बाद, देर रात गांव के पास ही एक गन्ने के खेत में (Child Victim Body) क्षत-विक्षत हालत में बरामद हुई। मासूम का शरीर तेंदुए के हमले से बुरी तरह क्षत-विक्षत हो चुका था, जिसे देखकर वहां मौजूद हर शख्स की रूह कांप गई। वह मासूम जो कुछ घंटे पहले कक्षा दो की छात्रा के रूप में अपने सुनहरे भविष्य के सपने देख रही थी, अब वह केवल एक दर्दनाक याद बनकर रह गई थी।

वन विभाग की कथित लापरवाही पर फूटा ग्रामीणों का गुस्सा

इस दुखद घटना ने वन विभाग की कार्यप्रणाली पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। पीड़ित पिता और ग्रामीणों का आरोप है कि यह तेंदुआ पिछले 5-6 दिनों से लगातार गांव के आसपास देखा जा रहा था। इसकी सूचना (Forest Department Negligence) समय रहते अधिकारियों को दी गई थी, लेकिन विभाग ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। ग्रामीणों का कहना है कि अगर समय रहते पिंजरा लगाया जाता या गश्त बढ़ाई जाती, तो आज एक हंसती-खेलती बच्ची की जान नहीं जाती। इस आक्रोश के बीच गांव में तनाव का माहौल बना हुआ है।

सुरक्षा के नाम पर तैनात की गई वन विभाग की तीन टीमें

इलाके में बढ़ते तनाव और तेंदुए के डर को देखते हुए प्रशासन अब हरकत में आया है। डीएफओ सूरज कुमार ने बताया कि स्थिति की गंभीरता को देखते हुए (Wildlife Patrol Teams) को तत्काल प्रभाव से क्षेत्र में गश्त के लिए लगा दिया गया है। पुलिस ने भी मुस्तैदी दिखाते हुए शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। अधिकारी अब ग्रामीणों को भरोसा दिला रहे हैं कि सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए जाएंगे, ताकि दोबारा कोई परिवार इस तरह की त्रासदी का शिकार न हो।

दहशत के साये में जीने को मजबूर अयोध्यापुरवा गांव

इस हमले के बाद अयोध्यापुरवा गांव के हर घर में मातम के साथ-साथ गहरी दहशत समा गई है। वन क्षेत्राधिकारी रोहित कुमार ने ग्रामीणों से अपील की है कि वे (Public Safety Advisory) का कड़ाई से पालन करें। वन विभाग ने चेतावनी जारी की है कि कोई भी ग्रामीण अकेले खेतों या खलिहानों की ओर न जाए, खासकर अंधेरा होने के बाद। गन्ने के ऊंचे खेत तेंदुए के लिए सबसे सुरक्षित छिपने की जगह बन गए हैं, जिससे बच्चों और बुजुर्गों के लिए खतरा और भी बढ़ गया है।

मासूम छात्रा का अधूरा रह गया पढ़ाई का सफर

आलमीन गांव के ही स्कूल में कक्षा दो की छात्रा थी और पढ़ाई में काफी होनहार मानी जाती थी। उसके निधन से न केवल परिवार बल्कि उसके सहपाठी और शिक्षक भी सदमे में हैं। इस (Human Wildlife Conflict) की भेंट चढ़ी एक और मासूम जान ने उन नीतियों पर सवाल खड़े कर दिए हैं, जो जंगली जानवरों के संरक्षण और इंसानी बस्तियों की सुरक्षा के बीच संतुलन बनाने में नाकाम साबित हो रही हैं। गांव की गलियां अब वीरान हैं और लोग अपने बच्चों को घर के अंदर कैद रखने को मजबूर हैं।

भविष्य की रणनीति और सुरक्षा का आश्वासन

बहराइच का यह इलाका लंबे समय से जंगली जानवरों के हमलों के लिए संवेदनशील रहा है। वन विभाग ने आश्वासन दिया है कि वे जल्द ही तेंदुए को पकड़ने के लिए पिंजरा लगाएंगे और थर्मल ड्रोन की मदद से उसकी लोकेशन ट्रेस करेंगे। (Villagers Protection Measures) के तहत गांव के आसपास की झाड़ियों की सफाई और लाइट की व्यवस्था करने की भी योजना बनाई जा रही है। हालांकि, ग्रामीणों के लिए ये सब आश्वासन तब तक बेमानी हैं जब तक आदमखोर तेंदुआ गिरफ्त में नहीं आ जाता।

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