Human-Wildlife Conflict and Safety: हाथियों के कहर से कांपा इलाका, जानें कितनों ने गंवाई जान…
Human-Wildlife Conflict and Safety: झारखंड की राजधानी रांची के करीब रामगढ़ जिले में जंगली हाथियों के उत्पात ने भीषण तबाही मचाई है। वेस्ट बोकारो ओपी क्षेत्र में पिछले 24 घंटों के दौरान (Elephant Attacks) की अलग-अलग घटनाओं में दो महिलाओं सहित चार लोगों की दर्दनाक मौत हो गई। हाथियों के झुंड के बेकाबू होने से पूरे इलाके में दहशत फैल गई है। ग्रामीण डर के मारे अपने घरों में दुबकने को मजबूर हैं। जंगली हाथियों का यह आक्रामक व्यवहार वन विभाग और स्थानीय प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है, जो मानव-वन्यजीव संघर्ष की गंभीर तस्वीर पेश करता है।
सेल्फी का जुनून बना मौत का कारण
हाथियों के हमले की पहली घटना मंगलवार को हुई, जो मोबाइल और सोशल मीडिया के दौर की एक कड़वी हकीकत को बयां करती है। सारुबेडा सीसीएल में सुरक्षा गार्ड के पद पर तैनात अमित रजवार (35) अपने साथियों के साथ जंगल में हाथियों के झुंड के पास पहुँच गया। वह हाथियों के साथ (Wildlife Photography) या सेल्फी लेने की कोशिश कर रहा था, तभी एक हाथी भड़क गया और उसने पीछा करना शुरू कर दिया। अन्य लोग तो भाग निकले, लेकिन अमित हाथी की चपेट में आ गया और हाथी ने उसे बेरहमी से कुचलकर मार डाला।
रात के अंधेरे में बाइक सवार पर हमला
दूसरी दुखद घटना रात करीब साढ़े दस बजे की है, जब गिद्दी निवासी अमूल महतो अपनी बाइक से रामगढ़ से घाटों की ओर लौट रहे थे। सुनसान सड़क पर अचानक हाथियों का झुंड उनके सामने आ गया। (Unpredictable Wildlife Behavior) के कारण हाथियों ने अमूल को बाइक समेत घेर लिया और उन पर हमला कर दिया। मौके पर ही उनकी मौत हो गई। इसके अलावा, दो अन्य महिलाएं सावित्री देवी और पार्वती देवी भी इन हाथियों का शिकार बनीं, जो अपने घर के आसपास या खेतों में काम कर रही थीं।
वन विभाग के खिलाफ ग्रामीणों का उग्र प्रदर्शन
लगातार हो रही मौतों से गुस्साए ग्रामीणों ने बुधवार सुबह सड़क जाम कर दी। नया मोड़-घाटों सड़क को अवरुद्ध कर ग्रामीणों ने (Protest Against Forest Department) शुरू कर दिया। प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि हाथियों के झुंड के क्षेत्र में होने की जानकारी पहले से थी, लेकिन वन विभाग ने ग्रामीणों को सचेत करने या हाथियों को खदेड़ने के लिए कोई कदम नहीं उठाया। ग्रामीणों की मांग है कि मृतकों के परिजनों को उचित मुआवजा दिया जाए और हाथियों को रिहायशी इलाकों से दूर ले जाने के लिए ठोस रणनीति बनाई जाए।
मानव-हाथी संघर्ष रोकने में प्रशासन की विफलता
झारखंड में हाथियों द्वारा जान-माल का नुकसान कोई नई बात नहीं है, लेकिन एक साथ चार मौतों ने सुरक्षा इंतजामों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। वन विभाग के रेंजर बटेश्वर पासवान ने (Casualty Confirmation) करते हुए कहा कि विभाग स्थिति को नियंत्रित करने का प्रयास कर रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि जंगलों का कटाव और हाथियों के गलियारों (Corridors) में मानवीय हस्तक्षेप के कारण हाथी अब भोजन की तलाश में गांवों की ओर रुख कर रहे हैं, जिससे इस तरह की हिंसक घटनाएं बढ़ रही हैं।
सुरक्षा के उपाय और जागरूकता की आवश्यकता
इस घटना ने स्पष्ट कर दिया है कि जंगली जानवरों के पास जाकर फोटो या वीडियो बनाना कितना घातक हो सकता है। प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे हाथियों के पास न जाएं और जंगल वाले रास्तों पर रात में (Night Travel Risks) से बचें। वन विभाग को हाथियों की रियल-टाइम ट्रैकिंग के लिए नई तकनीक और अलार्म सिस्टम का उपयोग करना चाहिए। जब तक मानव और वन्यजीवों के बीच के सीमांकन का सम्मान नहीं किया जाएगा, तब तक ऐसी दुखद घटनाओं को रोकना मुश्किल होगा।