Silver Price All Time High: रुला रही है चांदी की चमक, कीमतों ने उड़ाई निवेशकों की नींद, पार हुआ 2 लाख का आंकड़ा…
Silver Price All Time High: बुधवार का दिन भारतीय कमोडिटी बाजार के इतिहास में सुनहरे अक्षरों में दर्ज हो गया क्योंकि चांदी ने अपनी कीमतों की तमाम सीमाओं को लांघ दिया है। वायदा कारोबार में सफेद धातु की मांग में इस कदर इजाफा हुआ कि कीमतें 2,05,934 रुपये प्रति किलोग्राम के नए सर्वकालिक उच्च स्तर पर जा पहुंचीं। इस (Global Precious Metals Rally) के पीछे मुख्य कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में आपूर्ति की भारी कमी और निवेशकों का कीमती धातुओं के प्रति बढ़ता आकर्षण माना जा रहा है। बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि जिस रफ़्तार से चांदी बढ़ रही है, उसने सोने की चमक को भी पीछे छोड़ दिया है।
चांदी के भाव में चार प्रतिशत से ज्यादा का जबरदस्त उछाल
मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) पर कारोबार शुरू होते ही चांदी ने लंबी छलांग लगाई और मार्च अनुबंध की कीमतों में 8,179 रुपये की भारी वृद्धि देखी गई। यह लगभग 4.14 प्रतिशत की एक ऐसी (Intraday Price Surge) है जिसने बड़े-बड़े कारोबारियों को भी अचंभित कर दिया है। पिछले कारोबारी सत्र में चांदी 1,97,755 रुपये पर बंद हुई थी, लेकिन बुधवार को इसने 2 लाख के मनोवैज्ञानिक स्तर को न केवल पार किया बल्कि मजबूती के साथ उसके ऊपर बनी रही। मई 2026 के अनुबंधों में भी इसी तरह का रिकॉर्ड तोड़ प्रदर्शन देखने को मिला है।
सोने की कीमतों में भी दिखा मामूली सुधार
चांदी की इस तूफानी तेजी के बीच पीली धातु यानी सोने ने भी अपनी बढ़त बरकरार रखी है, हालांकि इसकी गति चांदी के मुकाबले थोड़ी धीमी रही। फरवरी डिलीवरी वाले (Gold Futures Trading) में 0.13 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, जिससे यह 1,34,578 रुपये प्रति 10 ग्राम के स्तर पर पहुंच गया। बाजार में अप्रैल 2026 के अनुबंधों के लिए भी खरीदारों की दिलचस्पी बनी हुई है, जिससे इसकी कीमतें 1,37,683 रुपये के आसपास टिकी हुई हैं। सुरक्षित निवेश के रूप में सोने की मांग अभी भी स्थिर बनी हुई है।
अंतरराष्ट्रीय बाजारों में चांदी ने रचा नया कीर्तिमान
भारतीय बाजार ही नहीं, बल्कि वैश्विक मंच पर भी चांदी ने पहली बार 66 डॉलर प्रति औंस के जादुई आंकड़े को पार कर लिया है। कॉमेक्स बाजार में चांदी की कीमतों में करीब 4.65 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, जो (Commodity Market Benchmarks) के लिहाज से एक बहुत बड़ा बदलाव है। पहली बार वैश्विक व्यापार में सफेद धातु ने सोने को पछाड़ते हुए अधिक लाभ दिया है। अंतरराष्ट्रीय विश्लेषकों का मानना है कि औद्योगिक मांग और निवेश पोर्टफोलियो में विविधता लाने की कोशिशों ने चांदी को इस ऊंचाई पर पहुंचाया है।
अमेरिकी रोजगार रिपोर्ट और सुरक्षित निवेश का आकर्षण
मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के विशेषज्ञों के अनुसार, अमेरिका की हालिया रोजगार रिपोर्ट ने कीमती धातुओं की आग में घी डालने का काम किया है। नवंबर में बेरोजगारी दर में वृद्धि की खबरों के बाद (Federal Reserve Policy Outlook) में बदलाव की संभावनाएं प्रबल हो गई हैं। निवेशकों को अब उम्मीद है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व अगले साल ब्याज दरों में कटौती कर सकता है। इस उम्मीद ने डॉलर और ट्रेजरी यील्ड पर दबाव डाला है, जिससे निवेशकों का रुख एक बार फिर सुरक्षित माने जाने वाले सोने और चांदी की ओर तेजी से मुड़ गया है।
बाजार में चांदी की आपूर्ति का गहराता संकट
बाजार में चांदी की कीमतों के बेकाबू होने के पीछे केवल मांग ही नहीं, बल्कि ‘बैकवर्डेशन’ का बढ़ना भी एक बड़ी वजह है। तकनीकी तौर पर यह स्थिति तब पैदा होती है जब (Silver Supply Deficit) के कारण हाजिर कीमतें वायदा कीमतों से अधिक आकर्षक हो जाती हैं। यह स्पष्ट संकेत है कि बाजार में भौतिक चांदी की कमी है और मांग के मुकाबले आपूर्ति का संतुलन बिगड़ चुका है। यही कारण है कि सुबह के शुरुआती सत्र से ही चांदी अपनी रिकॉर्ड तोड़ रफ़्तार बनाए रखने में सफल रही।
अमेरिकी आर्थिक आंकड़ों पर टिकी दुनिया भर की निगाहें
कीमती धातुओं के भविष्य की दिशा तय करने में इस सप्ताह जारी होने वाले अमेरिकी मुद्रास्फीति के आंकड़े बेहद महत्वपूर्ण साबित होंगे। निवेशक अब उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) और व्यक्तिगत उपभोग व्यय (PCE) जैसे (US Inflation Data Analysis) का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। इन आंकड़ों से यह स्पष्ट होगा कि फेडरल रिजर्व का मौद्रिक नीति के प्रति भविष्य में क्या नजरिया रहेगा। यदि मुद्रास्फीति के आंकड़े उम्मीद के मुताबिक रहते हैं, तो सोने और चांदी की कीमतों में एक और बड़ी रैली देखने को मिल सकती है।
राजनीतिक नियुक्तियों और आर्थिक नीतियों का प्रभाव
अमेरिकी प्रशासन के भीतर हो रहे बदलाव भी वैश्विक बाजार की धारणा को प्रभावित कर रहे हैं। अमेरिकी वित्त सचिव स्कॉट बेसेंट की ओर से फेडरल रिजर्व के संभावित नेतृत्व को लेकर दिए गए बयानों ने (Financial Market Sentiment) को और अधिक संवेदनशील बना दिया है। निवेशकों का मानना है कि ट्रंप प्रशासन के दौरान लिए जाने वाले आर्थिक निर्णय डॉलर की मजबूती को प्रभावित करेंगे, जिसका सीधा असर भविष्य में भारत सहित वैश्विक बाजारों में कीमती धातुओं की कीमतों पर पड़ेगा।