झारखण्ड

Dhanbad Railway Station Fire: रेलवे स्टेशन के बाहर ‘कोयला स्टेचू’ में भीषण आग से मची भगदड़, राख होने से बचा ऐतिहासिक शोपीस

Dhanbad Railway Station Fire: झारखंड की कोयला राजधानी कहे जाने वाले धनबाद के मुख्य रेलवे स्टेशन पर मंगलवार को उस वक्त दहशत का माहौल बन गया, जब स्टेशन परिसर के ठीक बाहर लगे एक प्रसिद्ध रेलवे शोपीस में अचानक आग लग गई। घटना के समय स्टेशन के मुख्य द्वार और पार्किंग क्षेत्र में यात्रियों की भारी भीड़ मौजूद थी, जो अचानक उठी लपटों को देख अपनी जान बचाने के लिए इधर-उधर भागने लगी। इस (Public Safety Emergency) ने प्रशासन की मुस्तैदी पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। देखते ही देखते आग ने विकराल रूप धारण कर लिया और काले धुएं का गुबार आसमान की ओर उठने लगा, जिससे पूरे स्टेशन क्षेत्र में विजिबिलिटी कम हो गई और लोग सहम गए।

Dhanbad Railway Station Fire
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कोयला आकृति का स्टेचू बना आग का गोला और सुरक्षा पर सवाल

धनबाद रेलवे स्टेशन की पहचान के तौर पर मुख्य द्वार के सामने पार्किंग क्षेत्र में कोयले की एक विशाल आकृति का स्टेचू स्थापित किया गया था। इस शोपीस को सुरक्षित रखने के लिए चारों ओर लोहे की ग्रिल से घेराबंदी की गई थी, लेकिन यही घेराबंदी आग लगने के बाद बचाव कार्य में बाधा भी बनी। अचानक इस (Railway Infrastructure Protection) के प्रतीक माने जाने वाले स्टेचू के भीतर से आग की लपटें निकलने लगीं। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, आग इतनी तेजी से फैली कि किसी को संभलने का मौका तक नहीं मिला। स्टेशन के सौंदर्यीकरण के लिए बनाया गया यह ढांचा चंद मिनटों में ही आग के गोले में तब्दील हो गया।

बाल्टियों में भरे बालू से बुझाने की कोशिश और संसाधनों की कमी

आग की खबर मिलते ही रेलवे कर्मचारी और रेल पुलिस (आरपीएफ) के जवान मौके पर दौड़े। पार्किंग क्षेत्र में मौजूद आम लोगों और टैक्सी चालकों ने भी साहस दिखाते हुए मदद का हाथ बढ़ाया। हालांकि, उस वक्त मौके पर (Emergency Response Team) के पास पानी का पर्याप्त इंतजाम नहीं था, जिससे आग पर तुरंत काबू पाना मुश्किल हो गया। स्टेशन के गेट के पास रखे गए आपातकालीन बालू के डब्बों का इस्तेमाल कर जवानों ने आग की तीव्रता को कम करने का प्रयास किया। बाल्टियों से बालू फेंककर लपटों को दबाने की कोशिश की गई, जिससे आग आसपास के वाहनों तक फैलने से बच गई।

दमकल विभाग की सक्रियता और आग पर अंतिम काबू

जब स्थानीय स्तर पर आग बुझाना मुश्किल होने लगा, तब अग्निशमन विभाग को सूचित किया गया। कुछ ही देर में दमकल की गाड़ियां सायरन बजाती हुई घटना स्थल पर पहुंचीं। दमकल कर्मियों ने अत्याधुनिक (Fire Suppression Equipment) का उपयोग करते हुए चारों तरफ से पानी की बौछार की और लगभग आधे घंटे की मशक्कत के बाद आग पर पूरी तरह नियंत्रण पाया गया। गनीमत यह रही कि यह आग पार्किंग में खड़ी गाड़ियों या स्टेशन की मुख्य बिल्डिंग तक नहीं पहुंची, वरना एक बड़ा जान-माल का नुकसान हो सकता था। आग बुझने के बाद प्रशासन ने राहत की सांस ली।

थर्मोकोल और ज्वलनशील सामग्री ने बढ़ाई तबाही की रफ्तार

अग्निशमन विभाग के अधिकारियों ने घटना स्थल का मुआयना करने के बाद बताया कि स्टेचू के निर्माण में कुछ ऐसी सामग्रियों का प्रयोग किया गया था जो आग के प्रति बेहद संवेदनशील थीं। जांच में पाया गया कि कोयले की आकृति को वास्तविक स्वरूप देने के लिए भीतर (Flammable Material Usage) जैसे थर्मोकोल और रासायनिक रंगों का इस्तेमाल किया गया था। यही वजह थी कि एक छोटी सी चिंगारी ने भी कुछ ही सेकंड में पूरे ढांचे को अपनी चपेट में ले लिया। विशेषज्ञों का कहना है कि सार्वजनिक स्थानों पर ऐसे शोपीस बनाते समय अग्नि-रोधी कोटिंग का इस्तेमाल अनिवार्य होना चाहिए।

सिगरेट की चिंगारी या सोची-समझी साजिश: जांच में जुटी पुलिस

आग लगने के कारणों को लेकर फिलहाल कयासों का दौर जारी है। अग्निशमन अधिकारियों की प्रारंभिक आशंका है कि किसी राहगीर द्वारा फेंकी गई सुलगती सिगरेट या बीड़ी की वजह से स्टेचू के पास मौजूद सूखे कचरे या थर्मोकोल ने आग पकड़ी होगी। हालांकि, पुलिस (Investigation and Surveillance) के जरिए सीसीटीवी फुटेज खंगाल रही है ताकि यह पता लगाया जा सके कि कहीं यह किसी की शरारत या सोची-समझी साजिश तो नहीं थी। स्टेशन जैसे संवेदनशील स्थान पर इस तरह की लापरवाही सुरक्षा व्यवस्था में एक बड़ी चूक मानी जा रही है।

रेलवे प्रशासन की सतर्कता और भविष्य के लिए सबक

इस घटना ने धनबाद रेल मंडल को भविष्य के लिए सचेत कर दिया है। स्टेशन परिसर में मौजूद अन्य कलाकृतियों और शोपीस की सुरक्षा जांच के आदेश दिए जा सकते हैं। रेलवे सूत्रों के अनुसार, (Public Property Safety) को सुनिश्चित करने के लिए अब ऐसे संवेदनशील ढांचों के आसपास ‘नो स्मोकिंग जोन’ को और सख्ती से लागू किया जाएगा। साथ ही, आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए पार्किंग और सार्वजनिक क्षेत्रों में फायर हाइड्रेंट सिस्टम को और मजबूत करने पर विचार किया जा रहा है, ताकि संसाधनों की कमी के कारण किसी बड़ी त्रासदी का सामना न करना पड़े।

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