India-Japan Trade Relations 2025: पीयूष गोयल और जापानी प्रतिनिधिमंडल की मुलाकात से कितनी बदलेगी भारतीय अर्थव्यवस्था की तस्वीर…
India-Japan Trade Relations 2025: नई दिल्ली के गलियारों में व्यापारिक कूटनीति की एक नई इबारत लिखी गई है, जब केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने जापान-भारत व्यापार सहयोग समिति के अध्यक्ष तातसुओ यासुनागा से मुलाकात की। यह बैठक केवल एक औपचारिक शिष्टाचार नहीं थी, बल्कि दो उभरती और स्थापित अर्थव्यवस्थाओं के बीच (Global Supply Chain) को और अधिक सुदृढ़ बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम था। इस मुलाकात का मुख्य केंद्र दोनों देशों के बीच व्यापारिक बाधाओं को दूर करना और आर्थिक संबंधों को एक नई ऊंचाई पर ले जाना रहा। बैठक के दौरान इस बात पर सहमति बनी कि भविष्य की समृद्धि के लिए दोनों देशों को एक-दूसरे के संसाधनों और तकनीकी विशेषज्ञता का अधिकतम लाभ उठाना होगा।

नवाचार और आपसी सहयोग से विकास की नई परिभाषा
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ के जरिए पीयूष गोयल ने इस सार्थक चर्चा की बारीकियों को दुनिया के सामने साझा किया। उन्होंने बताया कि तातसुओ यासुनागा और उनके उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल के साथ हुई बातचीत में नवाचार यानी इनोवेशन को सबसे अधिक प्राथमिकता दी गई। भारत और जापान अब (Technology Transfer Agreements) के माध्यम से प्रमुख क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने और व्यापारिक संबंधों को नई गति देने के अवसरों पर विचार-विमर्श कर रहे हैं। गोयल ने अपनी पोस्ट में इस बात की आशा जताई कि यह गतिशील साझेदारी न केवल दोनों देशों के पारस्परिक विकास को सुनिश्चित करेगी, बल्कि पूरे एशिया-प्रशांत क्षेत्र में शांति और आर्थिक स्थिरता का आधार बनेगी।
द्विपक्षीय व्यापार के प्रभावशाली आंकड़े और आर्थिक मजबूती
भारत और जापान के बीच संबंधों की गहराई को वित्तीय आंकड़ों से आसानी से समझा जा सकता है। वित्त वर्ष 2025 के दौरान दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार 25.17 अरब डॉलर के प्रभावशाली स्तर पर पहुंच गया है। इस व्यापारिक विनिमय में (Bilateral Trade Volume) यह दर्शाता है कि जापानी निवेश और उत्पादों की भारतीय बाजार में कितनी पैठ है। हालांकि, व्यापार संतुलन वर्तमान में जापान के पक्ष में है, जहां जापान से भारत को होने वाला निर्यात 18.92 अरब डॉलर रहा, वहीं भारत ने जापान को 6.25 अरब डॉलर का माल भेजा। यह आंकड़े बताते हैं कि भारतीय निर्यातकों के लिए अभी जापानी बाजार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने की अपार संभावनाएं मौजूद हैं।
भारतीय निर्यात की विविधता और वैश्विक बाजार में धाक
सरकारी आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि भारतीय उत्पाद जापानी बाजार में अपनी विशिष्ट पहचान बना रहे हैं। वित्त वर्ष 2025 के दौरान भारत ने जापान को लगभग 3,900 विभिन्न वस्तुओं का निर्यात किया, जो (Market Diversification Strategy) की सफलता का प्रमाण है। भारत से निर्यात की जाने वाली प्रमुख वस्तुओं में इंजीनियरिंग सामान सबसे ऊपर रहा, जिसका मूल्य 2.44 अरब डॉलर दर्ज किया गया। इसके अतिरिक्त, कार्बनिक और अकार्बनिक रसायनों ने 1.06 अरब डॉलर का योगदान दिया। समुद्री उत्पादों, रत्न-आभूषण और फार्मास्यूटिकल्स के क्षेत्र में भी भारतीय कंपनियों ने जापान में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई है, जो भारत की बढ़ती विनिर्माण क्षमता को प्रदर्शित करता है।
परमाणु रिएक्टर से लेकर विद्युत मशीनरी तक का आयात
दूसरी ओर, जापान से होने वाले आयात ने भारत के औद्योगिक विकास और बुनियादी ढांचे को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाई है। भारत ने वित्त वर्ष 2025 में जापान से लगभग 4,000 विभिन्न श्रेणियों की वस्तुओं का आयात किया, जिनमें (High-Tech Industrial Equipment) का प्रमुख स्थान रहा। आंकड़ों के अनुसार, भारत ने 3.31 अरब डॉलर मूल्य के परमाणु रिएक्टर और संबंधित उपकरण मंगवाए, जो भारत की ऊर्जा सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण हैं। इसके अलावा, 2.01 अरब डॉलर की विद्युत मशीनरी और उपकरणों का आयात किया गया, जिससे भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स और विनिर्माण क्षेत्र को नई तकनीकी ऊर्जा प्राप्त हुई है।
भविष्य की संभावनाएं और रणनीतिक साझेदारी का विस्तार
पीयूष गोयल और तातसुओ यासुनागा की इस बैठक ने भविष्य के लिए एक महत्वाकांक्षी मार्ग प्रशस्त किया है। दोनों पक्ष अब व्यापार सहयोग को बढ़ाने के साथ-साथ प्रमुख क्षेत्रों में (Strategic Investment Opportunities) की तलाश कर रहे हैं। भारत की ‘मेक इन इंडिया’ पहल और जापान की तकनीकी विशेषज्ञता का संगम आने वाले समय में नए रोजगार पैदा करने और निर्यात को बढ़ावा देने में सहायक सिद्ध होगा। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि भारत अपनी निर्यात क्षमता में सुधार करता है, तो वित्त वर्ष 2025 में जापान के कुल आयात में भारत की जो हिस्सेदारी अभी 0.75 प्रतिशत है, उसमें भारी उछाल देखने को मिल सकता है।
आर्थिक समृद्धि और साझा विकास की ओर बढ़ते कदम
भारत और जापान के बीच यह गहराता रिश्ता केवल व्यापार तक सीमित नहीं है, बल्कि यह दो संस्कृतियों और साझा लोकतांत्रिक मूल्यों का मिलन भी है। जिस तरह से पीयूष गोयल ने व्यापार सहयोग बढ़ाने और (Economic Cooperation Framework) को और अधिक गतिशील बनाने पर जोर दिया है, उससे साफ है कि आने वाले दशक में भारत-जापान की जोड़ी वैश्विक अर्थव्यवस्था का नेतृत्व करेगी। यह साझेदारी न केवल द्विपक्षीय व्यापार घाटे को कम करने में मदद करेगी, बल्कि अत्याधुनिक तकनीक के माध्यम से भारतीय उद्योगों को विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी भी बनाएगी। दोनों देशों की यह अटूट प्रतिबद्धता एक समृद्ध और विकसित एशिया की नींव रख रही है।



