Vitamin D deficiency: जानें शरीर में छिपी कमी के बारे में, जो आपको धकेल सकती है डिप्रेशन की ओर
Vitamin D deficiency: आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में उदासी, चिड़चिड़ापन और मूड स्विंग्स को लोग अक्सर तनाव या थकान का नाम देकर टाल देते हैं। लेकिन जब ये लक्षण लगातार बने रहें और बिना किसी ठोस वजह के आपको मानसिक रूप से कमजोर महसूस कराने लगें, तो यह शरीर में किसी जरूरी पोषक तत्व की कमी का संकेत हो सकता है। विशेषज्ञों के मुताबिक ऐसे संकेत लंबे समय तक बने रहें तो वे (mental-health) से जुड़ी गंभीर समस्याओं की नींव भी रख सकते हैं, जिन पर समय रहते ध्यान देना बेहद जरूरी है।

विटामिन डी की कमी और मानसिक स्वास्थ्य का गहरा रिश्ता
अगर आपको अक्सर बिना कारण उदासी महसूस होती है या छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा आने लगता है, तो इसके पीछे विटामिन डी की कमी एक अहम वजह हो सकती है। रिसर्च बताती है कि यह विटामिन दिमाग में मौजूद सेरोटोनिन हार्मोन को संतुलित रखने में मदद करता है, जो मूड को नियंत्रित करता है। जब शरीर में इसकी मात्रा कम हो जाती है, तो व्यक्ति (vitamin-d-level) असंतुलन के कारण एंग्जायटी और डिप्रेशन जैसे लक्षण महसूस करने लगता है।
मूड स्विंग्स और बेचैनी: अंदरूनी कमी का असर
विटामिन डी की कमी सिर्फ उदासी तक सीमित नहीं रहती, बल्कि इसका असर आपके पूरे व्यवहार पर पड़ता है। कभी अत्यधिक खुश और कभी अचानक चिड़चिड़ा हो जाना, बिना वजह बेचैनी महसूस करना या लोगों से दूरी बनाने का मन करना इसके संकेत हो सकते हैं। कई मामलों में यह स्थिति धीरे-धीरे गंभीर रूप ले लेती है और व्यक्ति (mood-swings) को अपनी पर्सनैलिटी का हिस्सा मानने लगता है, जो आगे चलकर नुकसानदायक साबित हो सकता है।
थकान और कमजोरी: शरीर भी देता है साफ इशारे
मानसिक लक्षणों के साथ-साथ विटामिन डी की कमी का असर शारीरिक स्वास्थ्य पर भी साफ नजर आता है। लगातार थकान महसूस होना, बिना ज्यादा काम किए ही शरीर में कमजोरी आ जाना और दिनभर सुस्ती बने रहना इसके आम लक्षण हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि यह विटामिन मांसपेशियों की ताकत और ऊर्जा के स्तर को बनाए रखने में अहम भूमिका निभाता है। इसकी कमी से व्यक्ति (chronic-fatigue) का शिकार हो सकता है।
हड्डियों और मांसपेशियों का दर्द बढ़ा रहा है खतरा
अगर आपको हड्डियों या मांसपेशियों में लगातार दर्द रहता है और आराम करने के बाद भी राहत नहीं मिलती, तो इसे सामान्य कमजोरी समझने की गलती न करें। विटामिन डी कैल्शियम के अवशोषण में मदद करता है, जो हड्डियों को मजबूत बनाता है। इसकी कमी से हड्डियां कमजोर होने लगती हैं और दर्द की समस्या बढ़ जाती है। लंबे समय तक यह स्थिति बनी रहे तो (bone-health) पर गहरा असर पड़ सकता है।
नींद की समस्या भी है कमी का अहम संकेत
नींद न आना या बार-बार नींद टूटना भी विटामिन डी की कमी से जुड़ा एक अहम लक्षण माना जाता है। यह विटामिन नींद के पैटर्न को नियंत्रित करने वाले हार्मोन्स पर असर डालता है। जब इसकी मात्रा कम होती है, तो व्यक्ति को गहरी नींद नहीं मिल पाती, जिससे मानसिक और शारीरिक थकान और बढ़ जाती है। लगातार नींद की कमी (sleep-disorder) जैसी गंभीर समस्या को जन्म दे सकती है।
समय रहते जांच और डॉक्टर की सलाह है जरूरी
अगर उदासी, चिड़चिड़ापन, थकान, दर्द और नींद की समस्या जैसे लक्षण एक साथ महसूस हो रहे हैं, तो बिना देर किए डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। एक साधारण ब्लड टेस्ट से विटामिन डी के स्तर की जांच की जा सकती है। सही समय पर पहचान होने से न सिर्फ मानसिक समस्याओं से बचा जा सकता है, बल्कि भविष्य में होने वाले गंभीर जोखिम भी टाले जा सकते हैं। समय पर की गई जांच (health-checkup) की दिशा में पहला मजबूत कदम होती है।
धूप और सही डाइट से दूर करें विटामिन डी की कमी
विटामिन डी की कमी को दूर करना मुश्किल नहीं है, बस थोड़ी जागरूकता जरूरी है। रोज सुबह 15 से 20 मिनट धूप में बैठना शरीर के लिए प्राकृतिक तरीका है। इसके अलावा मशरूम, फैटी फिश, अंडे की जर्दी और दूध जैसे खाद्य पदार्थों को डाइट में शामिल करना फायदेमंद होता है। जरूरत पड़ने पर डॉक्टर की सलाह से सप्लीमेंट्स भी लिए जा सकते हैं, ताकि (vitamin-d-supplements) के जरिए शरीर की कमी पूरी की जा सके।



