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Shreyas Talpade Alok Nath: श्रेयस तलपड़े–आलोक नाथ मामले ने खड़े किए अहम कानूनी सवाल

Shreyas Talpade Alok Nath: सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने अभिनेता श्रेयस तलपड़े और वरिष्ठ अभिनेता आलोक नाथ को बड़ी कानूनी राहत देते हुए उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी। यह राहत कोऑपरेटिव सोसाइटी से जुड़े कथित धोखाधड़ी और आपराधिक विश्वासघात के मामले में जांच पूरी होने तक लागू रहेगी। जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस आर महादेवन की पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि मामले की गहराई से जांच जरूरी है। इस फैसले को (Supreme Court relief) के तौर पर देखा जा रहा है, जिसने फिलहाल दोनों अभिनेताओं को राहत की सांस दी है।

Shreyas Talpade Alok Nath
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पहले से मिली सुरक्षा को रखा गया बरकरार

श्रेयस तलपड़े की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पहले से मिली गिरफ्तारी से सुरक्षा को जारी रखने का आदेश दिया। कोर्ट का मानना था कि जांच पूरी होने से पहले किसी भी तरह की कठोर कार्रवाई उचित नहीं होगी। पीठ ने स्पष्ट किया कि यह आदेश अंतरिम है और जांच के निष्कर्षों के आधार पर आगे की कार्रवाई तय की जाएगी। कानूनी हलकों में इसे (interim protection) के रूप में देखा जा रहा है, जो आरोपी के अधिकारों की रक्षा करता है।


अलग-अलग राज्यों की FIR एक साथ जोड़ने की मांग

मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट उन याचिकाओं पर भी विचार कर रहा है, जिनमें दोनों अभिनेताओं ने अलग-अलग राज्यों में दर्ज FIR को एक साथ जोड़ने की मांग की है। उनका तर्क है कि एक ही आरोप के आधार पर कई राज्यों में मुकदमे दर्ज होना न्यायसंगत नहीं है। इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट का रुख भविष्य में ऐसे मामलों के लिए मिसाल बन सकता है। कानूनी विशेषज्ञ इसे (multiple FIR issue) से जुड़ा एक अहम मामला मान रहे हैं।


श्रेयस तलपड़े का पक्ष: सिर्फ मेहमान, कोई भूमिका नहीं

श्रेयस तलपड़े के वकील ने अदालत में दलील दी कि अभिनेता कंपनी के एक वार्षिक कार्यक्रम में केवल मेहमान के तौर पर शामिल हुए थे। उनका किसी भी तरह से सोसाइटी के संचालन, निवेश योजनाओं या वित्तीय गतिविधियों से कोई लेना-देना नहीं था। वकील ने यह भी कहा कि अभिनेता ने इस कथित सोसाइटी से कोई आर्थिक लाभ नहीं लिया। अदालत में रखे गए इस तर्क को (actor defense) के तौर पर देखा जा रहा है।


आलोक नाथ की दलील: बिना अनुमति इस्तेमाल हुई तस्वीर

वहीं आलोक नाथ के वकील ने दावा किया कि उनके मुवक्किल किसी भी कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए थे। उन्होंने अदालत को बताया कि पिछले करीब दस वर्षों से संबंधित सोसाइटी उनकी तस्वीर का इस्तेमाल बिना अनुमति के कर रही थी। अभिनेता की ओर से यह भी कहा गया कि उन्हें इस पूरे मामले की जानकारी तक नहीं थी। यह दलील (unauthorized image use) से जुड़े गंभीर सवाल खड़े करती है।


कोर्ट का अहम सवाल: ब्रांड एंबेसडर की जिम्मेदारी कितनी

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने एक बेहद महत्वपूर्ण सवाल उठाया। अदालत ने पूछा कि क्या किसी विज्ञापन में दिखने वाले या ब्रांड एंबेसडर बने अभिनेता या खिलाड़ी को तब जिम्मेदार ठहराया जा सकता है, जब वह कंपनी बाद में धोखाधड़ी या अपराध में शामिल पाई जाए। यह टिप्पणी केवल इस मामले तक सीमित नहीं मानी जा रही, बल्कि भविष्य में कई हाई-प्रोफाइल मामलों को प्रभावित कर सकती है। विशेषज्ञ इसे (brand ambassador liability) पर न्यायपालिका की गंभीर सोच बता रहे हैं।


शिकायत की पृष्ठभूमि और FIR का आधार

यह पूरा मामला हरियाणा के सोनीपत निवासी 37 वर्षीय विपुल अंतिल की शिकायत से जुड़ा है। उनकी शिकायत पर 22 जनवरी को FIR दर्ज की गई थी। FIR में श्रेयस तलपड़े और आलोक नाथ समेत कुल 13 लोगों के नाम शामिल हैं। आरोप है कि इन सभी ने ह्यूमन वेलफेयर क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड को प्रमोट किया था। यह मामला (cooperative society fraud) के आरोपों से जुड़ा हुआ है।


पुलिस का आरोप: मशहूर चेहरों से लोगों को किया गया आकर्षित

पुलिस का कहना है कि सोसाइटी ने मशहूर चेहरों के जुड़ाव का इस्तेमाल कर आम लोगों को निवेश के लिए आकर्षित किया। जांच एजेंसियों के अनुसार, लोगों ने भरोसे के आधार पर अपनी जमा पूंजी सोसाइटी में लगाई। अब यह जांच की जा रही है कि इन प्रचार गतिविधियों में अभिनेताओं की वास्तविक भूमिका क्या थी। पुलिस की यह दलील (celebrity endorsement misuse) के गंभीर पहलू को उजागर करती है।


किन धाराओं में दर्ज हुआ मामला

यह FIR भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 316(2), 318(2) और 318(4) के तहत दर्ज की गई है। इन धाराओं में धोखाधड़ी और आपराधिक विश्वासघात जैसे गंभीर आरोप शामिल हैं। जांच एजेंसियों का दावा है कि सोसाइटी ने वित्तीय योजनाओं के जरिए लोगों को गुमराह किया। कानूनी जानकारों के अनुसार (criminal breach of trust) के मामलों में जांच का दायरा काफी विस्तृत होता है।


आगे की सुनवाई पर टिकी सबकी नजर

सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला फिलहाल अंतरिम राहत जरूर देता है, लेकिन अंतिम निष्कर्ष जांच पूरी होने के बाद ही सामने आएगा। इस मामले में कोर्ट की टिप्पणियां और सवाल न सिर्फ अभिनेताओं, बल्कि विज्ञापन और ब्रांड प्रमोशन की दुनिया के लिए भी दिशा तय कर सकते हैं। आने वाली सुनवाई में यह साफ होगा कि जिम्मेदारी की सीमा कहां तक तय की जाती है। पूरे देश की नजर अब (Supreme Court hearing) पर टिकी हुई है।

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