जिन पर सरकारी भूमि के संरक्षण और देखभाल का जिम्मा है खुद उन्हीं अफसरों ने अरबों रुपये की भूमि पर कब्जे करा दिए। पिछले ढाई साल में जिले में सरकारी भूमि पर कब्जों के एक के बाद एक कई मामले उजागर हुए हैं। इन सभी में सरकारी ओहदेदारों की भूमिका दागदार निकली है। कांठ में ग्राम समाज की 600 बीघा जमीन सरकारी हाकिमों ने मिलकर बेच डाली। शहर में सीलिंग की 68000 वर्ग मीटर भूमि का सौदा भी अफसरों ने कर डाला। कांठ प्रकरण में कार्रवाई एक एसडीएम के निलंबन तक सिमटी है तो सीलिंग प्रकरण में एई और दो बाबुओं के निलंबन से आगे बात नहीं बढ़ सकी। अब एमडीए की 2000 मीटर भूमि ठिकाने लगाने की कसरत चल रही है।

मुरादाबाद विकास प्राधिकरण द्वारा विकसित की गई सोनकपुर योजना शहर के पॉश एरिया में होने के बावजूद इसी वजह से नहीं बस सकी। अर्बन सीलिंग की भूमि पर बनाई गई इस योजना की 68000 वर्ग मीटर भूमि मार्च 2016 से अप्रैल 2017 के बीच कथित किसानों के पक्ष में छोड़ दी गई थी। इस भूमि पर प्राधिकरण सड़क, पार्क और नाले- नालियां बनाकर पूरी योजना विकसित कर चुका था। हालांकि मामला खुलने के बाद मौजूदा डीएम राकेश कुमार सिंह पूर्व डीएम और पूर्व एडीएम सिटी के सभी आदेशों को निरस्त कर भूमि वापस प्राधिकरण के नाम पर दर्ज कर चुके हैं। लेकिन इस मामले में कार्रवाई अर्बन सीलिंग के दो बाबू और एक एई के निलंबन से आगे नहीं बढ़ सकी। कमिश्नर द्वारा कराई गई जांच और विजिलेंस जांच में पूर्व डीएम, एडीएम, तहसीलदार समेत कई अफसरों की भूमिका दागदार निकली है। बावजूद इसके इनके खिलाफ अभी तक प्राथमिकी दर्ज नहीं कराई गई है।
इसी अवधि में कांठ तहसील में बड़ौती फतेहउल्लापुर की ग्राम समाज की 571 बीघा को ठिकाने लगा दिया गया। इस भूमि को ग्राम समाज से उन्हीं अफसरों ने मुक्त कर कथित किसानों के नाम दर्ज कर दिया जिन पर सरकारी भूमि की देखभाल और उसके संरक्षण की जिम्मेदारी थी। इस मामले में शासन ने कांठ के तत्कालीन एसडीएम संत कुमार को निलंबित तो किया लेकिन इस मामले में भी अभी तक रिपोर्ट दर्ज नहीं कराई गई है। हाईवे किनारे की एक भूमि के घोटाले में ही जिले में तैनात रहे एसडीएम शैलेंद्र सिंह को शासन ने दो माह पहले निलंबित किया था। अब इसी तर्ज पर एमडीए की वर्ष 1990 में अर्जित की जा चुकी 2000 वर्ग मीटर भूमि को अर्जन मुक्त करने की पटकथा लिखी जा रही है। मुरादाबाद से लखनऊ तक कई अधिकारी इस भूमि को अर्जन मुक्त करने का मन बना चुके हैं। सूत्राें का कहना है कि वीसी कनक त्रिपाठी के अड़ जाने की वजह से यह फाइल अभी तक रुकी हुई है।