
चीफ जस्टिस के साथ जस्टिस एएम खानविलकर और डीवाई चंद्रचूड़ की मौजूदगी वाली पीठ के सामने यूपी सरकार की तरफ से पेश एडिशनल एडवोकेट जनरल ऐश्वर्या भाटी ने भीड़ हिंसा के मुख्य आरोपी को दी गई जमानत को रद्द करने की अर्जी भी दाखिल की। साथ ही उन्होंने अब तक हुई जांच की सीलबंद स्टेट्स रिपोर्ट भी शीर्ष न्यायालय में पेश की। अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद होगी।
नए थानाध्यक्ष कर रहे हैं जांच
एएसजी भाटी ने पीठ को बताया कि इस मामले की छानबीन अब नोडल ऑफिसर बनाए गए पुलिस अधीक्षक की निगरानी में नए थानाध्यक्ष कर रहे हैं। यूपी पुलिस की तरफ से याचिकाकर्ता सैमउद्दीन को पुलिस सुरक्षा मुहैया करा देने की जानकारी भी दी गई।
क्या था पूरा मामला
हापुड़ में 18 जून को गोरक्षकों के एक समूह ने गोहत्या में शामिल होने के संदेह पर सैमउद्दीन (64) और 45 वर्षीय मीट व्यापारी कासिम कुरैशी की जमकर पिटाई कर दी थी। कासिम की मौत हो गई थी, जबकि सैमउद्दीन गंभीर हालत में अस्पताल में इलाज करा रहा है। पुलिस ने इसे रोडरेज की घटना करार दिया था। सैमउद्दीन ने शीर्ष न्यायालय के सामने पूरी घटना का ब्योरा देते हुए याचिका लगाई थी, जिसमें अदालत की निगरानी में एसआईटी से जांच कराने के बाद मामले का ट्रायल यूपी से बाहर चलाए जाने की गुहार लगाई गई थी।
अफवाह फैली तो सोशल मीडिया के भारतीय प्रमुख होंगे जिम्मेदार
सोशल मीडिया के जरिए भीड़ हिंसा की अफवाह फैलने पर फेसबुक, व्हाट्सएप, ट्विटर जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्म के भारतीय प्रमुखों को भी जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। केंद्रीय गृह सचिव राजीव गाबा की अध्यक्षता वाली सचिवों की समिति ने यह अहम सिफारिश की है। गृह मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता वाले मंत्रियों के समूह (जीओएम) की बुधवार को हुई पहली बैठक में समिति की भीड़ हिंसा को रोकने के लिए की गई सिफारिशों पर चर्चा की।