दुनिया भर के कई परम्पराएं मानी जाती हैं उन्ही में से एक प्रथा खतना भी है जो कई वर्षों से चली आ रही है व अब उसे ख़तम करने के लिए कदम उठाये जा रहे हैं। खतना यानी फिमेल जेनिटल म्यूटिलेशन जिसमें मुस्लिम दाउदी बोहरा समुदाय की बच्चियों के साथ होती है। इस पर राष्ट्र की गवर्नमेंट का कहना है इस प्रथा से बच्चियों को नुकसान होता है जिसकी भरपाई नहीं की जा सकती। इसलिए यही बेहतर होगा कि इस प्रथा को समाप्त कर दिया जाए।
आप जानते ही होंगे कि पहले सटी व देवदासी प्रथा भी चलाई जाती थी लेकिन उन प्रथाओं को भी स्त्रियों को देखते हुए बंद किया गया है उसी तरह खतना भी बंद किया जाना है। वहीं चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाले तीन सदस्यों के समक्ष गवर्नमेंट ने बोला कि इस प्रथा को संवैधानिक प्रावधानों के उल्टा बताया। लेकिन इस प्रथा को बंद करना थोड़ा कठिन ही रहेगा।
दाऊदी बोहरा समुदाय की ओर से पेश वरिष्ठ एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी ने इस प्रथा का बचाव किया है व उस पर बोला है खतना को गलत बताना व इसे अस्वास्थ्यकर समझना गलत है। उसके आगे वो कहते हैं कि विशेषज्ञ चिकित्सक एफजीएम को यानी खतना को अंजाम देते हैं। इस मामले पर अगली सुनवाई 9 अगस्त को की जाएगी।