भारत, पाक के बीच कारगिल युद्ध की आज 20वीं वर्षगांठ हैं। इंडियन सैनिकों की शहादत को राष्ट्र का हर एक शख्स याद कर रहा है व सलाम कर रहा है। कारगिल युद्ध के दौरान इंडियन व पाक की सेना का जिक्र तो हर कोई करता है, लेकिन परवेज मुशर्रफ व नवाज शरीफ का जिक्र शायद ही कहीं पर होता है। कारगिल युद्ध में दुश्मनों को धूल चटाने वाली इंडियन सेना वायु सेना का सही निशाना लगा देती तो आज इन दोनों की लोगों के ज़िंदगी का सफर समाप्त हो चुका होता।
थल सेना की वायुसेना भी कर रही थी मदद
हिंदुस्तान व पाक का इतिहास भी इस बात का गवाह है कि जब-जब दोनों राष्ट्र आमने-सामने आई हैं, हर बार पाक को ही मुंह की खानी पड़ी है। कारगिल युद्ध पर 2016 में आई एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ था कि इंडियन वायुसेना के युद्धक विमान का निशाना सही लगते, तो परवेज मुशर्रफ व नवाज शरीफ नहीं बचते। यह घटना 24 जून, 1999 को प्रातः काल करीब 8.45 बजे घटती। दरअसल, ये वो दिन था जब कारगिल की लड़ाई में इंडियन सेना विजय का झंडा लहराने के लिए आगे बढ़ रही थी।थल सेना के साथ ही वायुसेना भी पाक पर बम बरसाने का कार्य करने में लगी हुई थी।
प्लानिंग के तहत की गई कार्रवाई के दौरान इंडियन वायुसेना ने पाक के अग्रिम मोर्चे को धाराशाही करने का निर्णय किया व जुगआर लड़ाकू विमान से निशाना साधने की प्रयास की। इंडियन सेना के एक जगुआर ने “लेजर गाइडेड सिस्टम” को तबाह करने के लिए निशाना था। इसके पीछे ही एक वजगुआर को भेजा गया जो शिकार के बाद सरजमीं को पूरी तरह से तबाह कर दें।
नवाज व मुशर्रफ की मौजूदगी से बेखबर थी सेना
जगुआर एसीएलडीएस ने प्वाइंट 4388 पर निशाना साधा, पायलट ने एलओसी के पार गुलटेरी को लेजर बॉस्केट में चिह्नित किया, लेकिन बम “लेजर बॉस्केट” से बाहर गिरा दिया, जिससे पाकिस्तानी ठिकाना बच गया। समाचार के मुताबिक, अगर निशाना सही होता, तो उसमें पाक के पूर्व जनरल परवेज मुशर्रफ व नवाज शरीफ भी मारे जा सकते थे। हालांकि इंडियन वायुसेना इस बात से अनजान थी कि नवाज व मुशर्रफ वहां पर मौजूद थे।
बम नहीं गिराने का मिला निर्देश
हिंदुस्तान गवर्नमेंट के इस दस्तावेज में मोटे अक्षरों में लिखा है, ‘बाद में इस बात की पुष्टि हुई कि हमले के समय पाकिस्तानी पीएम नवाज शरीफ उस समय गुलटेरी ठिकाने पर मौजूद थे। ‘ दस्तावेज के अनुसार जब पहले जगुआर ने निशाना साधा तब तक ये समाचार नहीं थी कि वहां पाकिस्तानी पीएम शरीफ व मुशर्रफ मौजूद हैं। हालांकि एक एयर कमाडोर जो उस समय एक उड़ान में थे, उन्होंने पायलट को बम नहीं गिराने का आदेश दिया, जिसके बाद बम को एलओसी के निकट इंडियन इलाके में गिरा दिया गया। ऐसा इसलिए क्योंकि यह पाकिस्तान सीमा के भीतर था व हमला नियम खिलाफ होता।
पाक का अग्रिम ठिकाना था गुलटेरी
बताते चलें कि कारगिल युद्ध के समय गुलटेरी पाकिस्तान सेना का अग्रिम सैन्य ठिकाना था, जहां से सैन्य साजो-सामान पहुंचाया जा रहा था। गुलटेरी पाक के कब्जे वाले कश्मीर में एलओसी से नौ किलोमीटर अंदर है, जो हिंदुस्तान के द्रास सेक्टर के दूसरी तरफ स्थित है। पाक मीडिया में छपी खबरों के मुताबिक 24 जून को नवाज शरीफ परवेज मुशर्रफ के साथ इस सैन्य ठिकाने पर गए थे।