जम्मू कश्मीर में इस समय 2015 से चल रहा भाजपा व पीडीपी का साझेदारी अब समाप्त हो गया है। इस साझेदारी के समाप्त होने के बाद यहाँ के लोगों के लिए कई सारे सवाल खड़े हो चुके है। वहीं घाटी में अभी गवर्नर शासन लागू है। केंद्र की भाजपा गवर्नमेंट व जम्मू व कश्मीर में भाजपा पीडीपी साझेदारी ने यहाँ पर कई वादें किए थे लेकिन वो अब तक अधूरे ही है।
दरअसल कश्मीर में जब बीजेपी, पीडीपी के साथ सत्ता में आई थी तो लम्बे से समय से शांत रहा कश्मीरी पंडितों का मुद्दा एक बार गरमा गया। बीजेपी ने इस बारे में यहाँ गवर्नमेंट बनाने से पहले लोगों से ढेरों वादे किए थे लेकिन जब स्थितियां काबू में नहीं रही तो उन्होंने पीडीपी के साथ साझेदारीसमाप्त कर लिया। लेकिन कश्मीर में पंडितों का पलायन मुद्दा आज भी वैसा ही है।
बता दें, 1992 के आसपास जब राष्ट्र में राममंदिर का मुद्दा जोरो पर था, व राष्ट्र में चारो व अशांति फैली हुई थी, तब कश्मीर में बसे लाखों पंडितों ने वहां से पलायन कर लिया था। जिसके बाद लगातार कश्मीरी पंडितों का मुद्दा भाजपा उठाते आई है लेकिन अफ़सोस केंद्र में आने के बाद भाजपा के पंडितों के बारे में सुर व फीके पड़ गए है। अब देखने वाली बात यह होती है कि चुनाव से पहले इस मुद्दे पर भाजपा कुछ कदम उठाती है यह हर बार की तरह यह मुद्दा वैसा ही ठंडे बस्ते में पड़ा रहेगा।